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जमातियों के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तब्लीगी जमात के लोगों के  खिलाफ आपराधिक मुकदमों के निस्तारण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने के खिलाफ दाखिल अर्जियां खारिज कर दी हैं। यह अर्जियां उन याचिकाओं में दाखिल की गई थी, जिनमें कोर्ट पहले आदेश दे चुका है और याचिकाएं निस्तारित हो चुकी हैं। कोर्ट ने कहा कि याची को निस्तारित हो चुकी याचिका में अर्जी देने के बजाए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करनी चाहिए। हाईकोर्ट ने पहले ही केस के निस्तारण के संबंध में आदेश जारी किए हैं।यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने मौलाना अदा हदर्मी व अन्य की याचिका पर दाखिल अर्जियों की सुनवाई करते हुए दिया है। याचियों का कहना था कि मेरठ व बरेली की अदालत हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं कर रही हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रदेश की विभिन्न अदालतों में तब्लीगी जमात के लोगों के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस लखनऊ, मेरठ व बरेली की अदालतों में स्थानांतरित किए जाएं और आठ सप्ताह में उनका निस्तारण किया जाए। याची का कहना है कि अधीनस्थ अदालतें निर्देश का पालन नहीं कर रही हैं।