मोदी सरकार के खिलाफ किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन छह माह से जारी हैं। किसान अभी भी अपनी मांगों से टस से मस नहीं होने का नाम ले रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार भी किसानों के लिए वार्ता के दरवाजे नहीं खोल रही है। लंबे खींचते आंदोलन के बीच किसान संगठनों में अब कुछ दूरी और मतभेद सामने आ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे से अलग भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन बनाकर ने यह साफ संकेत दे दिया कि वह संयुक्त किसान मोर्चे संगठन के साथ तो रहेंगे, लेकिन अपनी अलग राह पर चलते रहेंगे। इधर, चढूनी के अलग फेडरेशन बनाने पर किसान नेताओं ने मौन साध लिया है।
मध्यप्रदेश से एक वरिष्ठ किसान नेता को बताया कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी नए संगठन भारतीय किसान मजदूर फेडरेशन को लेकर कुछ भी दावा करें लेकिन इस नए संगठन के बनने से किसान आंदोलन ओर कमजोर पड़ेगा। संयुक्त किसान मोर्चा में भी अलगाव की बात उठने लगी है। हाल में ही चढ़ूनी ने सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आंदोलन नहीं चलने की बात कही थी। इस दौरान उन्होंने नेताओं के साथ साथ संगठन पर भी सवाल खड़े किए थे।उनका कहना था कि हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश में सरकार और नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध क्यों नहीं होता है। इसका सीधा ईशारा भाकियू नेता राकेश टिकैत पर ही था। आज आंदोलन में शामिल सभी बड़े नेता कुछ भी कहने से बचते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन किसानों में भी इस फेडरेशन के औचित्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। सभी कहना है कि आज पूरे देश में किसान एक बड़े संगठन के नीचे खड़ा है तो ये फिर नए फेडरेशन की क्या जरूरत है। संयुक्त किसान मोर्चे की कोर कमेटी के सदस्य योगेंद्र यादव इंटरनेट मीडिया पर मुखर रहते हैं, लेकिन चढूनी के नए फेडरेशन को लेकर उनका कोई बयान या प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। से चर्चा करते हुए किसान नेता हन्ना मौला ने कहा कि चढूनी जी ने कुछ संगठनों के साथ मिलकर एक फेडरेशन बनाई है। हम सभी लोग मिलकर पूरी एकता के साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। उनके फेडरेशन बनाने से हमारी ताकत ओर मजबूत होगी। फेडरेशन के बनने को लेकर हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है हम सभी मिलकर सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।इस मामले ने गुरनाम सिंह चढूनी से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। ने जब ऑल इंडिया किसान फेडरेशन के अध्यक्ष प्रेम सिंह भंगू से चर्चा करनी चाही तो वे भी इससे बचते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग एकजुट होकर ही सरकार का विरोध कर रहे हैं। गुरनाम सिंह चढूनी की फेडरेशन भी हमारे साथ ही है।
भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने से कहा कि गुरनाम सिंह चढूनी ने करीब 10 किसान संगठन के नेताओं के साथ बैठक कर इस फेडरेशन का गठन किया है। हम सभी लोग मिलकर आंदोलन को चला रहे है। उत्तर प्रदेश में आंदोलन के निष्प्रभावी की बाबत गुरनाम सिंह चढूनी का जो बयान आया है, यह उनकी व्यक्तिगत सोच हो सकती है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन प्रभावी ढंग से चल रहा है। गाजीपुर बार्डर पर हजारों किसान लगातार प्रदर्शन में शामिल हैं। किसानों के हक में भारतीय किसान यूनियन हर संभव लड़ाई लड़ रही है।
Nationalism Always Empower People
More Stories
Jhansi पुलिस और एसओजी की जबरदस्त कार्रवाई: अपहृत नर्सिंग छात्रा नोएडा से सकुशल बरामद
Mainpuri में युवती की हत्या: करहल उपचुनाव के कारण सियासी घमासान, सपा और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप
Hathras में खेत बेचने के नाम पर लाखों की ठगी, पुलिस ने सात आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा