गाजियाबादकोरोना संक्रमण से बचाव और उपचार के लिए इन दिनों लोग बिना डॉक्टर की सलाह के भी दवाएं ले रहे हैं। किसी एक डॉक्टर द्वारा दिए गए पर्चे पर सैकड़ों लोग दवाएं ले रहे हैं। यहां तक कि वे लोग भी एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं, जिन्हें सामान्य बुखार या जुकाम है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की ओर से भी जो मेडिकल किट बांटी गई हैं, उनमें एक ही तरह की एंटीबायोटिक है।स्पेशलिस्ट के अनुसार प्रत्येक मरीज को एक ही एंटीबायोटिक नहीं दी जा सकती। हालांकि इस बात को लेकर सफाई में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि दवाओं कि किट केवल उन्हीं लोगों को दी गई हैं, जिन्हें वायरल या कोरोना संक्रमण की आशंका थी।कैसे काम करती हैं एंटीबायोटिकएंटीबायोटिक मरीज के शरीर को बैक्टीरिया के प्रभाव से बचाती है और उसे खत्म करती है। हालांकि किस मरीज को कौन सी एंटीबायोटिक देनी है, इसका निर्धारण उपचार करने वाला डॉक्टर मरीज की शारीरिक स्थिति देखकर करता है। जिला एमएमजी अस्पताल के पूर्व सीएमएस डॉ. रविंद्र राणा के अनुसार कई बार मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं देना जरूरी नहीं होता है।क्यों नुकसानदायक होती हैं एंटीबायोटिकएंटीबायोटिक दवाएं शरीर से नुकसानदायक बैक्टीरिया को हटाने के लिए दी जाती हैं, लेकिन अनावश्यक रूप से लेने पर यह दवाएं शरीर के फायदेमंद बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती हैं। जिससे कई तरह की परेशानियां हो जाती हैं। इसके अलावा कई मामलों में यह भी देखा गया है कि एक मरीज को एक बार जो एंटीबायोटिक दी गई, दूसरी बार वह कम असर करती है या फिर असर ही नहीं करती है। इसलिए एंटीबायोटिक का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए।होते हैं साइड इफैक्टआईएमए गाजियाबाद के अध्यक्ष डॉ. आशीष अग्रवाल का कहना है कि एंटीबायोटिक के अनावश्यक रूप से प्रयोग करने से इसके साइड इफैक्ट्स भी होते हैं। ज्यादा दवा लेने से हाजमे से जुड़े अच्छे बैक्टीरिया भी कम हो जाते हैं। जिससे डायरिया, पेट दर्द और जी मिचलाने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में फल, पनीर वे अन्य चीजों का उपयोग किया जा सकता है, जो एंटीबायोटिक के साइड इफैक्ट से बचाने में सहायक होते हैं।बिना जरूरत एंटीबायोटिक लेने के बाद लक्षणउल्टी महसूस होना या चक्कर आनाडायरिया या पेटदर्दएलर्जिक रिएक्शन, कई बार एलर्जी इतनी गंभीर हो जाती है कि इलाज की जरूरत पड़ती है।महिलाओं में वेजाइनल यीस्ट इंफेक्शन की शिकायत भी हो सकती है।गंभीर बीमारियां या विकलांगता।पूर्व में जिन रोगों का उपचार संभव होता है, वही रोग अब इतने गंभीर हो जाते हैं कि मौत का कारण बन सकते हैं।बीमारी में ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।बार-बार डॉक्टर के चक्कर लगाने या भर्ती होने की नौबत आ सकती है।किसी भी इलाज का जल्दी असर नहीं होता है।इस तरह से कर सकते हैं बचावएंटीबायोटिक्स तभी लें, जब डॉक्टर ने सलाह दी हो।रोजाना नियमित समय पर गोलियां लें और कोर्स जरूर पूरा करें।अगर कोर्स पूरा करने के बाद एंटीबायोटिक गोलियां बच गई हों, तो उन्हें वापस कर दें या फेंक दें।बिना डॉक्टर के कहे एंटीबायोटिक खुद कभी न लें, भले ही रोग के लक्षण एक समान हों।डॉक्टर पर कभी एंटीबायोटिक्स देने के लिए दबाव न बनाएं, डॉक्टर को जरूरी लगेगा तो वह खुद देंगे।
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