आरएफसी को मंडी समिति राजापुर में मिली खामियां, एफआईआर के निर्देशक्रय केंद्र प्रभारी बोले, पता नहीं किसका गेहूं, चबूतरा नंबर छह के अलावा दो ट्रकों में लोड करीब 350 क्विंटल गेहूं भी मिला
लखीमपुर खीरी। सरकारी क्रय केंद्र पर गेहूं खरीद में बड़ा घपला सामने आया है। आरएफसी (रिजनल फूड कंट्रोलर) संतोष कुमार ने बृहस्पतिवार को मंडी समिति राजापुर में क्रय केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने चबूतरा नंबर छह पर सरकारी प्लास्टिक बोरियों में पैक 1465.50 क्विंटल (2931 बोरी) गेहूं पकड़ा है। वहीं दो ट्रक में करीब 350 क्विंटल (700 बोरी) गेहूं मिला। आरएफसी ने मंडी समिति और यूपीएसएस के क्रय केंद्र प्रभारियों को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। बरामद गेहूं को मंडी समिति की सुपुर्दगी में दे दिया गया है।कोविड-19 के चलते कोरोना कर्फ्यू लागू है तो इससे पहले पंचायत चुनाव कराने में अधिकारी व्यस्त रहे। अप्रैल और मई में सरकारी खरीद का हाल जानने की कोशिश नहीं हुई। इससे बेखौफ क्रय एजेंसियों और आढ़तियों ने मिलकर खेल शुरू कर दिया, जिसका भंडाफोड़ जांच करने आए आरएफसी संतोष कुमार ने कर दिया।आरएफसी ने सबसे पहले विपणन शाखा के क्रय केंद्र प्रथम, द्वितीय और पीसीयू के क्रय केंद्रों का निरीक्षण किया। इसके बाद आरएफसी मंडी समिति के क्रय केंद्र पर पहुंचे। यहां यूपीएसएस का भी क्रय केंद्र खुला था। दोनों क्रय केंद्रों के स्टॉक का सत्यापन करने के बाद आरएफसी ने चबूतरे पर लगे सरकारी बोरियों में पैक गेहूं के स्टॉक के बारे में पड़ताल की तो क्रय केंद्र प्रभारियों ने इन गेहूं की बोरियों के बारे में अनभिज्ञयता जताई। मौके पर कोई आढ़ती इन गेहूं की बोरियों पर क्लेम करने के लिए सामने भी नहीं आया। सरकारी बोरियों में पैक गेहूं पर किसी क्रय एजेंसी की स्टेंसिल (छापा) भी अंकित नहीं थी।यह देखकर आरएफसी का माथा ठनका और उन्होंने तुरंत एसडीएम सदर को बुलाकर मामले की जांच करने के निर्देश दिए। चबूतरे पर लगे स्टॉक की गिनती हुई तो 3119 बोरियां निकलीं। इस दौरान मंडी समिति क्रय केंद्र के प्रभारी राजेश वर्मा ने 89 क्विंटल यानी 188 बोरियां क्रय केंद्र की होने का दावा किया। शेष बोरियों पर किसी ने दावा नहीं किया। हालांकि इस दौरान एक बिचौलिया भी सामने आया, जिसने एक क्रय केेंद्र का गेहूं रखा होने की बात कही, जिस पर आरएफसी ने उससे परिचय पूछा और एसडीएम के आने तक उसे वहीं पर रुकने के लिए कहा, लेकिन मौका पाकर वह बिचौलिया वहां से खिसक गया।आरएफसी ने दोनों क्रय केंद्र प्रभारियों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज कराए हैं, जिसमें दोनों ने गेहूं की जानकारी से इंकार किया है। मौके पर जांच चल ही रही थी कि एसडीएम सदर की नजर पास में खड़े दो ट्रकों पर पड़ी, जिसमें करीब 700 बोरी गेहूं था। इसके कागज भी मौके पर चालक नहीं दिखा पाया। इसे भी मंडी समिति के सुपुर्द कर दिया गया है।आखिर कहां से आढ़तियों को मिले सरकारी बोरेएक तरफ क्रय केंद्रों पर बोरे की कमी होने की बात कहकर किसानों से खरीद नहीं की जा रही है, तो दूसरी ओर आढ़तिए उन्हीं सरकारी बोरों में गेहूं पैक कर मुनाफाखोरी में जुटे हैं। इससे क्रय एजेंसियां भी सवालों के घेरे में आ गई हैं, क्योंकि सरकारी बोरे क्रय एजेंसियों के पास ही होते हैं। आढ़तियों के पास यह बोरियां क्रय एजेंसी के माध्यम से ही पहुंची है। इससे जाहिर है कि इस खेल में आढ़तियों और क्रय एजेंसियों का गठजोड़ काम कर रहा है। इसकी भनक जनपद के जिला खरीद अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भी नहीं लगी।
खरीद से ज्यादा कैैैसे कर दी गेहूं की डिलीवरी
आरएफसी ने मंडी समिति के क्रय केंद्र पर स्टॉक का सत्यापन किया, जिसमें गेहूं खरीदने की मात्रा से 19 क्विंटल ज्यादा गेहूं की डिलीवरी किए जाने का मामला पकड़ा है। केंद्र प्रभारी ने बताया कि 11741 क्विंटल गेहूं खरीद चुके हैं, जिसके सापेक्ष एफसीआई गोदाम में 11760 क्विंटल गेहूं की डिलीवरी की जा चुकी है। इस पर आरएफसी ने खरीद से ज्यादा गेहूं डिलीवरी किए जाने पर सवाल किए, तो केंद्र प्रभारी राजेश वर्मा बगलें झांकने लगे।यूपीएसएस के केंद्र प्रभारी प्रदीप कुमार ने बताया कि 267 किसानों से 16902 क्विंटल गेहूं खरीद चुके हैं, जिसके सापेक्ष 16194 क्विंटल गेहूं की डिलीवरी की जा चुकी है। पीसीयू के केंद्र पर जांच के दौरान प्रभारी शंभूदयाल गेहूं खरीद के रिकार्ड नहीं दिखा सके, जिस पर आरएफसी ने केंद्र प्रभारी को फटकार लगाई।
केंद्र प्रभारी बोले, पता नहीं किसका गेहूं, चबूतरा नंबर छह के अलावा दो ट्रकों में लोड करीब 350 क्विंटल गेहूं भी मिला
लखीमपुर खीरी। सरकारी क्रय केंद्र पर गेहूं खरीद में बड़ा घपला सामने आया है। आरएफसी (रिजनल फूड कंट्रोलर) संतोष कुमार ने बृहस्पतिवार को मंडी समिति राजापुर में क्रय केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने चबूतरा नंबर छह पर सरकारी प्लास्टिक बोरियों में पैक 1465.50 क्विंटल (2931 बोरी) गेहूं पकड़ा है। वहीं दो ट्रक में करीब 350 क्विंटल (700 बोरी) गेहूं मिला। आरएफसी ने मंडी समिति और यूपीएसएस के क्रय केंद्र प्रभारियों को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। बरामद गेहूं को मंडी समिति की सुपुर्दगी में दे दिया गया है।
कोविड-19 के चलते कोरोना कर्फ्यू लागू है तो इससे पहले पंचायत चुनाव कराने में अधिकारी व्यस्त रहे। अप्रैल और मई में सरकारी खरीद का हाल जानने की कोशिश नहीं हुई। इससे बेखौफ क्रय एजेंसियों और आढ़तियों ने मिलकर खेल शुरू कर दिया, जिसका भंडाफोड़ जांच करने आए आरएफसी संतोष कुमार ने कर दिया।
आरएफसी ने सबसे पहले विपणन शाखा के क्रय केंद्र प्रथम, द्वितीय और पीसीयू के क्रय केंद्रों का निरीक्षण किया। इसके बाद आरएफसी मंडी समिति के क्रय केंद्र पर पहुंचे। यहां यूपीएसएस का भी क्रय केंद्र खुला था। दोनों क्रय केंद्रों के स्टॉक का सत्यापन करने के बाद आरएफसी ने चबूतरे पर लगे सरकारी बोरियों में पैक गेहूं के स्टॉक के बारे में पड़ताल की तो क्रय केंद्र प्रभारियों ने इन गेहूं की बोरियों के बारे में अनभिज्ञयता जताई। मौके पर कोई आढ़ती इन गेहूं की बोरियों पर क्लेम करने के लिए सामने भी नहीं आया। सरकारी बोरियों में पैक गेहूं पर किसी क्रय एजेंसी की स्टेंसिल (छापा) भी अंकित नहीं थी।
यह देखकर आरएफसी का माथा ठनका और उन्होंने तुरंत एसडीएम सदर को बुलाकर मामले की जांच करने के निर्देश दिए। चबूतरे पर लगे स्टॉक की गिनती हुई तो 3119 बोरियां निकलीं। इस दौरान मंडी समिति क्रय केंद्र के प्रभारी राजेश वर्मा ने 89 क्विंटल यानी 188 बोरियां क्रय केंद्र की होने का दावा किया। शेष बोरियों पर किसी ने दावा नहीं किया। हालांकि इस दौरान एक बिचौलिया भी सामने आया, जिसने एक क्रय केेंद्र का गेहूं रखा होने की बात कही, जिस पर आरएफसी ने उससे परिचय पूछा और एसडीएम के आने तक उसे वहीं पर रुकने के लिए कहा, लेकिन मौका पाकर वह बिचौलिया वहां से खिसक गया।
आरएफसी ने दोनों क्रय केंद्र प्रभारियों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज कराए हैं, जिसमें दोनों ने गेहूं की जानकारी से इंकार किया है। मौके पर जांच चल ही रही थी कि एसडीएम सदर की नजर पास में खड़े दो ट्रकों पर पड़ी, जिसमें करीब 700 बोरी गेहूं था। इसके कागज भी मौके पर चालक नहीं दिखा पाया। इसे भी मंडी समिति के सुपुर्द कर दिया गया है।
आखिर कहां से आढ़तियों को मिले सरकारी बोरे
एक तरफ क्रय केंद्रों पर बोरे की कमी होने की बात कहकर किसानों से खरीद नहीं की जा रही है, तो दूसरी ओर आढ़तिए उन्हीं सरकारी बोरों में गेहूं पैक कर मुनाफाखोरी में जुटे हैं। इससे क्रय एजेंसियां भी सवालों के घेरे में आ गई हैं, क्योंकि सरकारी बोरे क्रय एजेंसियों के पास ही होते हैं। आढ़तियों के पास यह बोरियां क्रय एजेंसी के माध्यम से ही पहुंची है। इससे जाहिर है कि इस खेल में आढ़तियों और क्रय एजेंसियों का गठजोड़ काम कर रहा है। इसकी भनक जनपद के जिला खरीद अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भी नहीं लगी।
खरीद से ज्यादा कैैैसे कर दी गेहूं की डिलीवरी
आरएफसी ने मंडी समिति के क्रय केंद्र पर स्टॉक का सत्यापन किया, जिसमें गेहूं खरीदने की मात्रा से 19 क्विंटल ज्यादा गेहूं की डिलीवरी किए जाने का मामला पकड़ा है। केंद्र प्रभारी ने बताया कि 11741 क्विंटल गेहूं खरीद चुके हैं, जिसके सापेक्ष एफसीआई गोदाम में 11760 क्विंटल गेहूं की डिलीवरी की जा चुकी है। इस पर आरएफसी ने खरीद से ज्यादा गेहूं डिलीवरी किए जाने पर सवाल किए, तो केंद्र प्रभारी राजेश वर्मा बगलें झांकने लगे।
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