इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद और प्रदेश सरकार से ऐसे शिक्षकों का तबादला रद्द करने पर जवाब तलब किया है, जिन्होंने अपने ऑनलाइन आवेदन में शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में तैनाती भरने में गलती की थी। रीना उपाध्याय और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने प्रदेश सरकार को 10 जून तक इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि दिसंबर 2019 में अंतरजनदीय तबादले के लिए शासनादेश जारी किया गया। याचीगण ने संतकबीर नगर और महराजगंज आदि जिलों से आवेदन किया। ऑनलाइन आवेदन में उन्होंने भूलवश अपनी नियुक्ति शहरी क्षेत्र में दिखा दी जबकि वे ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्त थे। चूंकि उनको एचआरए शहरी क्षेत्र के बराबर मिल रहा था।बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी आवेदन प्रमाणित कर दिया। इसके बाद याचीगण का स्थानांतरण गोरखपुर कर दिया गया। जहां उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया। 11 फरवरी 21 को एक शासनादेश जारी किया गया कि जिन अध्यापकों ने गलती से अपने आवेदन में ग्रामीण की जगह शहरी भर दिया है उनका स्थानांतरण शहरी क्षेत्र से रद्द कर ग्रामीण क्षेत्र में कर दिया जाए। संबंधित बीएसए इस बात की पुष्टि करें कि अध्यापक की नियुक्ति कहां थी। इस शासनादेश के बावजूद बीएसए गोरखपुर ने याचीगण का स्थानांतरण रद्द कर उनके मूल जनपदों में वापस भेज दिया। याचीगण का कहना था कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र गलत भरने से उनके स्थानांतरण भारांक में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसलिए बीएसए को स्थानांतरण रद्द करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में दस जून तक सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से जवाब मांगा है।
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