उन्नावउत्तर प्रदेश के उन्नाव में पंचायत चुनाव के दौरान हुई मौतों पर शिक्षक संगठन और शासन आमने-सामने हैं। शिक्षक संगठन इन मौतों का कारण कोरोना संक्रमण बता रहा है। संगठन ने कहा कि चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए शिक्षक के परिजन को इतना मौका नहीं मिला कि वह आरटी-पीसीआर जांच करा पाते। इतना अधिक संक्रमित हो गए थे कि अच्छा उपचार भी नहीं मिला। संगठन ने शासन से प्रभावित परिवारो को पारिवारिक लाभ पेंशन दिए जाने की मांग की। वहीं, शिक्षा विभाग कहा रहा है कि अगर कोरोना से मौत हुई है तो आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट जमा करें।यूपी पंचायत चुनाव की शुरुआत 11 अप्रैल से प्रशिक्षण के साथ शुरू हुआ। मतदान 26 अप्रैल और मतगणना 2 मई को हुई थी। शिक्षक संगठन द्वारा जारी सूची के अनुसार, विगत 11 अप्रैल से 6 मई के बीच 30 शिक्षकों की मौत हुई है। इसमें सात शिक्षामित्र, एक अनुदेशक और 22 शिक्षक शामिल हैं, जबकि 2 शिक्षकों की मौत सितंबर 2020 में हुई थी। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष बृजेश पांडे ने बताया चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने के बाद शिक्षकों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि परिजन संक्रमित शिक्षक का उपचार कराते की आरटी-पीसीआर जांच की लाइन में लगते। अब विभाग जांच रिपोर्ट की मांग कर रहा है।क्या कहते हैं जिम्मेदारजूनियर शिक्षक संघ जिलाअध्यक्ष राघवेंद्र सिंह ने बताया कि शासन ने मृतक शिक्षकों को लेकर जो मानक अपनाया है। वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। शासन ने मतदान के दिन हुई मौतों को ही संज्ञान में लिया है, जबकि प्रशिक्षण से लेकर मतदान और मतगणना तक शिक्षक संक्रमित हुए हैं। इसके बाद भी उन्होंने अपनी ड्यूटी पूरी की। परिणाम स्वरूप उनकी मौत हो गई। शासन मृतक शिक्षकों के साथ भेदभाव कर रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार पांडे ने इस संबंध में कुछ भी बोलने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण को शासन स्वयं देख रहा है। शासनादेश के अनुसार, कोरोना संक्रमण से यदि किसी शिक्षक की मृत्यु हुई है तो आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट सबमिट करें।
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