अमित तिवारी, कासगंजयूपी की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है। कोरोना की दूसरी लहर में यहां हर जिले में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कहीं बेड हैं तो उन्हें आपरेट करने वाला कोई नहीं है और जहां आपरेट करने वाला है वहां बेड की कमी की बात सामने आर रही है। कुछ ऐसा ही एक मामला कासगंज के जिला अस्पताल का सामने आया है। यहां पिछले एक वर्ष से 22 वेंटिलेटर बेड धूल फांक रहे हैं। इसका कारण यहां एनेस्थेटिक की आज तक तैनाती न होना बताया जा रहा है। कासगंज जिले में समय पर उपचार न मिलने से कई मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं। हाल ही में कासगंज के पड़ोसी जिला अलीगढ़ में सूबे के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पुहंचे तो वहां पहुंचे कासगंज के सांसद राजू भैया ने उनके सामने यह मुद्दा उठाया। जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि कासगंज में एक एनेस्थेटिक की तत्काल तैनाती की जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश बावजूद कासगंज के लिए कानपुर से एक एनेस्थेटिक का तबादला भी किया गया, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी अभी तक एनेस्थेटिक जॉइन नहीं किया है। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्या बोले सीएमओ…वहीं, कासगंज के सीएमओ अनिल कुमार का कहना है कि जिला चिकित्सालय में एनेस्थेटिक की तैनाती न होने के कारण 22 वेंटिलेटर बेड अनुपयोगी बने हुए हैं। कानपुर से एक विजय प्रताप नाम के एनेस्थेटिक का कासगंज तबादला हुए 5 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। ऐसे में उसने अभी तक कासगंज सीएमओ कार्यालय में कोई संपर्क नहीं किया है। गंभीर हालात में मरीजों को मजबूरन हायर सेंटर्स के लिए रेफर करना पड़ रहा है, अगर एनेस्थेटिक की तत्काल तैनाती हो जाती है तो गंभीर उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही इलाज की सुविधा रहेगी।
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