ब्रांडेड दवाओं के जितनी कारगर हैं जेनेरिक दवाएं भीदवाओं के मूल्य में जमीन आसमान का होता है अंतर
संवाद न्यूज एजेंसी
लखीमपुर खीरी। डॉक्टरों के कमीशन के चक्कर में लोग महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदने को मजबूर हैं, जबकि जेेनेरिक दवाओं का मूल्य इससे काफी कम है। कीमत में बड़ा अंतर होने के कारण मरीजों में इस बात का भ्रम भी रहता है कि जेनेरिक दवाएं सस्ती हैं, इसलिए फायदा नहीं होगा, जबकि ब्रांडेड की तरह ही जेनेरिक दवाएं भी गुणवत्तायुक्त होने के साथ स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती हैं।
देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है। संक्रमित से लेकर इम्युनिटी मजबूत करने के लिए लोग महंगी एवं सस्ती दवा के भ्रम में पड़े हैं। आलम यह है ब्रांडेड दवाओं के चक्कर में अपनी जेब खाली कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी संक्रमित हैं जो सरकारी की ओर से दी जाने वाली दवाओं का उपयोग न कर वही दवाएं ब्रांडेड खरीदकर खा रहे हैं। लोगों का मानना है कि जेनेरिक दवाएं सस्ती होती हैं, इसलिए संक्रमण में लाभ पहुंचाने में कारगर नहीं होगी। इस भ्रम के कारण ही लोग ब्रांडेड दवाओं के चक्कर में अपनी जेबें हल्की कर रहे हैं।
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में अंतर
जानकार बताते हैं कि ब्रांडेड दवाइयां निजी कंपनियां बनाती हैं। एक विशेष नाम रखकर मूल्य निर्धारित करती हैं, जबकि जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण में सरकार का हस्तक्षेप रहता है। इसलिए इनकी कीमत कम होती है। हालांकि दोनों प्रकार की दवाओं में रासायनिकगुण एक जैसे ही होते हैं। जेनेरिक दवाएं सॉल्ट के नाम से जानी जाती हैं। मगर, ब्रांडेड दवाएं कंपनी की ओर से तय नाम से।
गुणवत्तायुक्त हैं जेनेरिक दवाएं
जन औषधि केंद्र पर बिक रही जेनेरिक दवाएं भी गुणवत्तायुक्त होती हैं। यह कहना है जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ. एसके सिंह का। उन्होंने बताया कि दवाओं की कीमत से उसकी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता। जेनेरिक दवाओं का मूल्य सरकार निर्धारित करती है। इसलिए इसका मूल्य कम रहता है। मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए ही जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। कोरोना संक्रमित हों या फिर अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज जेनेरिक दवाओं को लेकर दिमाग में भ्रम बिल्कुल न पाले कि दवाएं सस्ती हैं इसलिए लाभ नहीं होगा। जन औषधि संचालक डॉ. अनिल गुप्ता बताते हैं कि जेनेरिक दवाएं किसी भी मायने में ब्रांडेड से कम नहीं होती। गुणवत्ता के मामले में ये ब्रांडेड दवाओं की तरह कारगर हैं। जेनेरिक दवाओं सॉल्ट के नाम से होती हैं न कि ब्रांड नाम से। ब्रांड के चक्कर में मरीज जेनेरिक दवाओं लेने से बचते हैं, जबकि ब्रांडेड दवाओं की तरह की जेनेरिक दवाएं भी बीमारी दूर करने में लाभकारी हैं।
शहर में यहां हैं जन औषधि केंद्र
1. तहसील मार्केट में ऊपरी मंजिल पर
2. आवास विकास कॉलोनी खीरी रोड
3. रामापुर
4. महेवागंज
कोरोना के मरीजों की जरूरी दवाएं
दवा जेनेरिक में कीमत -ब्रांडेड में कीमत
पैरासिटामोल 10 गोली 6 रुपये 10 रुपये
विटामिन सी 10 गोली 15 रुपये 20 से 24 रुपये
विटामिन-बी व जिंक टेबलेट 8 रुपये 40 से 60 रुपये
एजिथ्रोमाइसीन 3 गोली 42 रुपये 60 से 70 रुपये
डॉक्सीसिलिन 10 गोली 13 रुपये 30 रूपये की आठ
मल्टीविटामिन 10 गोली 30 रूपये 80 से 120 रूपये
आइवरमेटिन टेबलेट 10 गोली 21 रूपये 250 रुपये
बंद पड़ा जिला अस्पताल का औषधि केंद्र
मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए शासन स्तर से जिला अस्पताल में केंद्र खुलवाया गया था। मगर, प्रदेश स्तर से टेंडर कैंसिल होने से यह बंद हो गया। केंद्र पर काम करने वाले विवेक कुमार बताते हैं कि टेंडर तो हो गया है, लेकिन दवाएं अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। इसलिए बंद है।
मरीजों का शोषण करने में डॉक्टर भी कम दोषी नहीं
जेनेरिक दवाएं न बिकने का कारण डॉक्टर भी हैं, क्योंकि ब्रांडेड कंपनियां डॉक्टर को अपना ब्रांड लिखने के लिए प्रेरित करते हैं इसके लिए हर तरह से लाभ पहुंचाते हैं। मगर, जेनेरिक दवाओं में इनका कुछ फायदा होता नहीं हैं। इसलिए जेनेरिक दवाएं लिखने में डॉक्टर परहेज करते हैं। कुछ चिकित्सक ऐसे भी हैं जो मरीज को दवा लाकर दिखाने के लिए कहते हैं। यदि मरीज लिखी गई दवा की जगह उसी सॉल्ट की अन्य कोई दवा ले भी ले तो उसे वापस यह कहकर वापस करा देते हैं कि जो लिखी है वही लेकर आओ। इससे बेचारे मरीज जेनेरिक दवाएं न लेकर ब्रांडेड दवाएं खरीदकर अपनी जेब ढीली करा रहे हैं।
ब्रांडेड दवाओं के जितनी कारगर हैं जेनेरिक दवाएं भी
दवाओं के मूल्य में जमीन आसमान का होता है अंतर
संवाद न्यूज एजेंसी
लखीमपुर खीरी। डॉक्टरों के कमीशन के चक्कर में लोग महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदने को मजबूर हैं, जबकि जेेनेरिक दवाओं का मूल्य इससे काफी कम है। कीमत में बड़ा अंतर होने के कारण मरीजों में इस बात का भ्रम भी रहता है कि जेनेरिक दवाएं सस्ती हैं, इसलिए फायदा नहीं होगा, जबकि ब्रांडेड की तरह ही जेनेरिक दवाएं भी गुणवत्तायुक्त होने के साथ स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती हैं।
देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है। संक्रमित से लेकर इम्युनिटी मजबूत करने के लिए लोग महंगी एवं सस्ती दवा के भ्रम में पड़े हैं। आलम यह है ब्रांडेड दवाओं के चक्कर में अपनी जेब खाली कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी संक्रमित हैं जो सरकारी की ओर से दी जाने वाली दवाओं का उपयोग न कर वही दवाएं ब्रांडेड खरीदकर खा रहे हैं। लोगों का मानना है कि जेनेरिक दवाएं सस्ती होती हैं, इसलिए संक्रमण में लाभ पहुंचाने में कारगर नहीं होगी। इस भ्रम के कारण ही लोग ब्रांडेड दवाओं के चक्कर में अपनी जेबें हल्की कर रहे हैं।
जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं में अंतर
जानकार बताते हैं कि ब्रांडेड दवाइयां निजी कंपनियां बनाती हैं। एक विशेष नाम रखकर मूल्य निर्धारित करती हैं, जबकि जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण में सरकार का हस्तक्षेप रहता है। इसलिए इनकी कीमत कम होती है। हालांकि दोनों प्रकार की दवाओं में रासायनिकगुण एक जैसे ही होते हैं। जेनेरिक दवाएं सॉल्ट के नाम से जानी जाती हैं। मगर, ब्रांडेड दवाएं कंपनी की ओर से तय नाम से।
गुणवत्तायुक्त हैं जेनेरिक दवाएं
जन औषधि केंद्र पर बिक रही जेनेरिक दवाएं भी गुणवत्तायुक्त होती हैं। यह कहना है जिला अस्पताल के ईएमओ डॉ. एसके सिंह का। उन्होंने बताया कि दवाओं की कीमत से उसकी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं होता। जेनेरिक दवाओं का मूल्य सरकार निर्धारित करती है। इसलिए इसका मूल्य कम रहता है। मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए ही जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। कोरोना संक्रमित हों या फिर अन्य बीमारी से पीड़ित मरीज जेनेरिक दवाओं को लेकर दिमाग में भ्रम बिल्कुल न पाले कि दवाएं सस्ती हैं इसलिए लाभ नहीं होगा। जन औषधि संचालक डॉ. अनिल गुप्ता बताते हैं कि जेनेरिक दवाएं किसी भी मायने में ब्रांडेड से कम नहीं होती। गुणवत्ता के मामले में ये ब्रांडेड दवाओं की तरह कारगर हैं। जेनेरिक दवाओं सॉल्ट के नाम से होती हैं न कि ब्रांड नाम से। ब्रांड के चक्कर में मरीज जेनेरिक दवाओं लेने से बचते हैं, जबकि ब्रांडेड दवाओं की तरह की जेनेरिक दवाएं भी बीमारी दूर करने में लाभकारी हैं।
शहर में यहां हैं जन औषधि केंद्र
1. तहसील मार्केट में ऊपरी मंजिल पर
2. आवास विकास कॉलोनी खीरी रोड
3. रामापुर
4. महेवागंज
कोरोना के मरीजों की जरूरी दवाएं
दवा जेनेरिक में कीमत -ब्रांडेड में कीमत
पैरासिटामोल 10 गोली 6 रुपये 10 रुपये
विटामिन सी 10 गोली 15 रुपये 20 से 24 रुपये
विटामिन-बी व जिंक टेबलेट 8 रुपये 40 से 60 रुपये
एजिथ्रोमाइसीन 3 गोली 42 रुपये 60 से 70 रुपये
डॉक्सीसिलिन 10 गोली 13 रुपये 30 रूपये की आठ
मल्टीविटामिन 10 गोली 30 रूपये 80 से 120 रूपये
आइवरमेटिन टेबलेट 10 गोली 21 रूपये 250 रुपये
बंद पड़ा जिला अस्पताल का औषधि केंद्र
मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए शासन स्तर से जिला अस्पताल में केंद्र खुलवाया गया था। मगर, प्रदेश स्तर से टेंडर कैंसिल होने से यह बंद हो गया। केंद्र पर काम करने वाले विवेक कुमार बताते हैं कि टेंडर तो हो गया है, लेकिन दवाएं अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। इसलिए बंद है।
मरीजों का शोषण करने में डॉक्टर भी कम दोषी नहीं
जेनेरिक दवाएं न बिकने का कारण डॉक्टर भी हैं, क्योंकि ब्रांडेड कंपनियां डॉक्टर को अपना ब्रांड लिखने के लिए प्रेरित करते हैं इसके लिए हर तरह से लाभ पहुंचाते हैं। मगर, जेनेरिक दवाओं में इनका कुछ फायदा होता नहीं हैं। इसलिए जेनेरिक दवाएं लिखने में डॉक्टर परहेज करते हैं। कुछ चिकित्सक ऐसे भी हैं जो मरीज को दवा लाकर दिखाने के लिए कहते हैं। यदि मरीज लिखी गई दवा की जगह उसी सॉल्ट की अन्य कोई दवा ले भी ले तो उसे वापस यह कहकर वापस करा देते हैं कि जो लिखी है वही लेकर आओ। इससे बेचारे मरीज जेनेरिक दवाएं न लेकर ब्रांडेड दवाएं खरीदकर अपनी जेब ढीली करा रहे हैं।
जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड कंपनियों से काफी सस्ती हैं। बीमारी दूर करने में उतनी ही सहायक हैं, जितनी ब्रांडेड दवा। मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए ही जिले भर में जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जहां से मरीज बेहद कम कीमत पर दवाएं ले सकते हैं। – सुनील कुमार रावत, ड्रग इंस्पेक्टर
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