अलीगढ़अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ओर से दिल्ली के ‘इंस्टीटयूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी’ (सीएसआईआर) को जीनोम के लिए भेजे गए किसी भी नमूने में कोविड-19 के किसी नए घातक स्वरूप का पता नहीं चला है। अस्पताल के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। इस खबर ने अस्पताल के संकटग्रस्त चिकित्सा कर्मचारियों को राहत दी है जो दो वरिष्ठ चिकित्सकों और विश्वविद्यालय के मौजूदा व सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत से सहमे थे। एएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हारिस मंजूर खान के अनुसार, भेजे गए 20 नमूनों में से 18 (90%) में वायरस का बी.1.617.2 स्वरूप मिला है। उन्होंने बताया ‘इसे ‘डबल म्यूटेंट वेरिएंट’(दो बार स्वरूप बदलना) कहा जाता है। इसका पता पहली बार पांच अक्टूबर, 2020 को महाराष्ट्र में चला था। यह बी.1.617 प्रकार का एक उप प्रकार है जो उत्तर प्रदेश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मुख्य रूप से पाया गया है।’’ एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने आईसीएमआर के निदेशक, दिल्ली स्थित सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक और सभी वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया है। एक महीने में 21 एएमयू शिक्षकों की हुई मौतपिछले एक महीने के दौरान एएमयू ने 17 सेवारत शिक्षकों और कम से कम 21 सेवानिवृत्त शिक्षकों को खो दिया है जो कोविड और कोविड जैसे लक्षणों से पीड़ित थे। चूंकि उनमें से अधिकांश एएमयू परिसर में और उसके आसपास रहते थे, इसलिए एएमयू अधिकारियों ने अलीगढ़ के सिविल लाइंस क्षेत्र से एकत्र किए गए नमूनों के जीनोम अनुक्रमण का पता लगाने की मांग की थी। इस बीच, जवाहर नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति की स्थिति जो तीन सप्ताह से अधिक समय से अनिश्चित थी, उसमें अब काफी सुधार हुआ है।’ अधिकारी ने कहा कि जर्मनी से आयात किए जा रहे तरल ऑक्सिजन संयंत्र के अगले सप्ताह आने की उम्मीद है।
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