निरंजनी अखाड़े से निष्कासित योग गुरु स्वामी आनंद गिरि ने यूपी और उत्तराखंड पुलिस को पत्र लिखकर अपनी हत्या की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि किसी भी समय उनकी हत्या की जा सकती है। स्वामी आनंद गिरि का कहना है कि कि बड़ी साजिश के तहत उनको फंसाया गया है और उनकी सुरक्षा छीन ली गई है। उनके साथ रहने वालों को भी हटा दिया गया है। उनकेपास रहने के लिए छत भी नहीं रह गई है। ऐसे में वह इस समय किसी तरह अपनी जान बचाना चाहते हैं।
अखाड़े से निष्कासन के सवाल पर आनंद गिरि का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि ये निष्कासन किस आधार पर हुआ है। इसे लेकर वह व्यथित और भयभीत हैं। उनका कहना है कि उनकी परंपरा में संपत्ति के विवाद अखाड़े में होते रहे हैं। इस तरह के विवादों में साधुओं की हत्याएं भी होती रही हैं। उन्होंने कहा है कि आस्ट्रेलिया में एक युवती के आरोप में गिरफ्तारी के दौरान उनकेछुड़ाने के लिए विदेश पैसा भेजने के लिए चार करोड़ रुपये लोगों से लकर हजम किए गए हैं।
रिहाई केबाद वापस आने पर उस प्रकरण को उन्होंने ठीक किया। आनंद गिरि ने बताया कि वह वर्ष 2004 से निरंजनी अखाड़े जुड़े हैं। तब से उन्होंने कभी मेरे अपने घर का कभी रुख नहीं किया है। घर तो दूर अपने जनपद में भी कभी नहीं गया। वह योग गुरु हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान है। अगर घर ही बसाना होता तो उन्हें यह सब करने की जरूरत नहीं थी। स्वामी आनंद गिरि ने बताया कि अखाड़ा तबाह हो रहा है, उसे वह बचाना चाह रहे थे।
उन्होंने कहा कि वह अपने गुरु के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहते, इसलिए कि हो सकता है कि वह भी किसी दबाव में हों, लेकिन समय का वह इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह स्वामी नरेंद्र गिरि के शिष्य तब से हैं, जब वह महंत नहीं थे। हर घड़ी वह उनकेसाथ खड़े रहे हैं। स्वामी आनंद गिरि ने यह भी कहा कि हमेशा उनके मठ में आवाज उठाने वालों को मार दिया जाता है। हाल ही वर्षों में उनकी ही उम्र का एक साथ साधु मृत पाया गया था और उसकी मौत को आत्महत्या में तब्दील कर दिया गया था। इस वजह से मैं बहुत भयभीत हूं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के डीजीपी और यूपी के पुलिस अधिकारियों को भी इस घटना से अवगत करा दिया गया है।
एक शिकायती पत्र के आधार पर बनाया गया इतना बड़ा दबाव, आश्रम भी कराया गया सील
एक शिकायती पत्र के आधार पर इतना बड़ा कदम उठाया गया। कोई जांच नहीं हुई न कमेटी बैठी और मुझे निकाल दिया गया। अब मुझे पहले प्राण बचाने की चिंता है। हरिद्वार में एक आश्रम बनवा रहा था। श्यामपुर कांगड़ी में निर्माणाधीन तीन मंजिला आश्रम को रुडक़ी हरिद्वार विकास प्राधिकरण से सील करवा दिया गया। समझ में नहीं आ रहा है कि करूं तो क्या करूं। अभी मेरे पास रहने की जगह भी नहीं है।
तीन साल हिमालय की गुफा में साधना करें आनंद गिरि, फिर होगा वापसी पर विचार
निरंजनी अखाड़े में आनंद गिरि की वापसी के सवाल पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने शनिवार को कहा कि फिलहाल अभी कुछ भी संभव नहीं है। उनका कहना है कि जब कोई व्यक्ति किसी संस्था से बाहर होता है, इसके पीछे उसके अपने कृत्य होते हैं। स्वामी आनंद गिरि को उन्होंने सलाह दी है कि फिलहाल वह कम से कम तीन साल तक हिमालय की गुफा में जाकर साधना करें। उन्होंने मौज मस्ती बहुत कर ली। यह संन्यास की परंपरा साधना ही है। ऐसे में उन्हें अभी चुपचाप साधना करनी चाहिए। इसके पीछे उनको आत्म मनन, चिंतन करना चाहिए। तीन साल के बाद सब ठीकठाक रहा तो वह उनकी वापसी के लिए अखाड़े को पत्र लिखकर निवेदन कर सकते हैं।संत आनंद गिरि के खिलाफ एक पक्षीय कारवाई बिना किसी शिकायत के जो की गई है वह बहुत ही निंदनीय और विधि विरुद्ध है। आनंद गिरि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग विद्या का प्रचार कर रहे हैं। बड़े हनुमान मंदिर की देख रेख उन्हीं की देखरेख में होती रही है। उनकी बढ़ती हुई लोकप्रियता के कारण यह कारवाई षड्य़ंत्र के रूप में की गई, जो गलत है।प्रभाशंकर मिश्रा, महासचिव, इलाहाबाद हाइकोर्ट बार एसोसिएशन।आनंद गिरि की पहचान छोटे महाराज के रूप में हो गई थी, लेकिन इसका उन्होंने ख्याल नहीं किया। उनको गुरु की गरिमा का अनादर नहीं करना चाहिए था। इनकी उम्र बहुत कम है अभी उनको इंतजार करना चाहिए था। आनंद गिरि से मैंने कहा कि वह मौन हो जाएं। तपस्या करें। बड़े महाराज के बारे में कोई कुछ बोलता है तो उसे बाहर कर दें, लेकिन वह माने नहीं। महंत हरि गिरि, महामंत्री, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद।युवा संत आनंद गिरि की लोकप्रियता को सहन न करने वालों ने ऐसी साजिश रची है। मेरे गुरु भाई आनंद गिरि का इस समय संत समाज को एकजुट होकर साथ देना चाहिए। मैं हर तरह से आनंद गिरि के साथ हूं। बिनैका बाबा।
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