prayagraj news : शराब की दुकान।
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कोरोना कर्फ्यू के चलते एक बार फिर शराब व्यवसायियों और आबकारी विभाग को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। 13 दिनों की अवधि में लगभग 20 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा प्रतिदिन होने वाली औसत बिक्री के आधार पर निकाला गया है। हालांकि विभागीय जानकारों का कहना है कि दुकानें खुलने से अब राहत मिलने के आसार हैं। आबकारी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में मार्च में कुल 6.2 लाख लीटर अंग्रेजी शराब की बिक्री हुई। होली के चलते बिक्री के आंकड़े में लगभग 10 प्रतिशत अधिक था। मौजूदा साल में भी इसमें करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ और इस बार लगभग 6.8 लाख लीटर शराब की बिक्री हुई। अंग्रेजी शराब की औसत कीमत 700 रुपये प्रति लीटर मान ली जाए तो मार्च के महीने में करीब 47.6 करोड़ की शराब बिकी। यानी औसतन करीब 1.5 करोड़ की अंग्रेजी शराब रोज बिकी। कोरोना कर्फ्यू के चलते 29 अप्रैल से ही शराब की दुकानें बंद हो गईं और यह सिलसिला 11 मई तक चला। इस तरह से हिसाब लगाया जाए तो पता चलता है कि 13 दिनों में केवल अंग्रेजी शराब की बिक्री न होने से आबकारी विभाग को 20 करोड़ की चपत लगी।
देशी और बीयर में भी 20 लाख का नुकसान
इसी तरह देशी शराब की बात की जाए तो इस बार मार्च में करीब 10266 लीटर देशी शराब की बिक्री हुई। प्रति लीटर 350 रुपये की औसत कीमत मानी जाए तो इसका मूल्य करीब 35 लाख रुपये होता है। यानी औसतन एक लाख रुपये की देशी शराब रोज बिकी। इस तरह 13 दिनों की बंदी में हुए नुकसान की बात करें तो करीब 13 से 14 लाख रुपये होता है। बीयर की बात करें तो इस वर्ष मार्च में करीब बीयर की 13.5 हजार केन बिकीं। मूल्य की बात करें तो यह करीब 17 लाख रुपये के आसपास होता है। औसतन 56 हजार रुपये प्रतिदिन की बिक्री के हिसाब से बात की जाए तो 13 दिन में केवल बीयर से सात लाख से ज्यादा का नुकसान विभाग को हुआ।
कारोबारी बोले, लाइसेंस फीस का ही नुकसान लाखों में
शराब के कारोबारी से जुड़े लोगों का कहना है कि केवल लाइसेंस फीस की ही बात करें तो बंदी के चलते लाखों का नुकसान हुआ है। प्रदेश भर में शराब का कारोबार करने वाली एक कंपनी के एरिया मैनेजर अजय प्रकाश मित्तल ने बताया कि उनकी कंपनी ने अपनी दुकानों के करीब 18 करोड़ की लाइसेंस फीस जमा की है। प्रति माह के हिसाब से यह 1.5 करोड़ के आसपास होती है। 13 दिन की बंदी की बात की जाए तो लगभग 75 लाख रुपये लाइसेेंस ड्यूटी का ही नुकसान हुआ। पिछली बार भी 45 दिनों की बंदी में तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा था।
शराब वाली खबर का इनसेटशराब व्यवसायी अभिषेक जायसवाल बताते हैं कि अन्य नुकसान तो अपनी जगह है, सबसे ज्यादा चिंताजनक लाइसेंस फीस का नुकसान है। लाइसेंस फीस वह शुल्क है जो मालिक एकमुश्त अदा करता है। शराब की बिक्री में 80 फीसदी के करीब लाइसेंस फीस ही हो जाती है। ऐसे में बंदी के चलते लाइसेंस फीस का ही तगड़ा नुकसान हुआ है। पिछली बार 40 दिनों की बंदी में भी शराब कारोबारियों को इसका नुकसान उठाना पड़ा था।
विस्तार
कोरोना कर्फ्यू के चलते एक बार फिर शराब व्यवसायियों और आबकारी विभाग को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। 13 दिनों की अवधि में लगभग 20 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा प्रतिदिन होने वाली औसत बिक्री के आधार पर निकाला गया है। हालांकि विभागीय जानकारों का कहना है कि दुकानें खुलने से अब राहत मिलने के आसार हैं।
आबकारी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में मार्च में कुल 6.2 लाख लीटर अंग्रेजी शराब की बिक्री हुई। होली के चलते बिक्री के आंकड़े में लगभग 10 प्रतिशत अधिक था। मौजूदा साल में भी इसमें करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ और इस बार लगभग 6.8 लाख लीटर शराब की बिक्री हुई। अंग्रेजी शराब की औसत कीमत 700 रुपये प्रति लीटर मान ली जाए तो मार्च के महीने में करीब 47.6 करोड़ की शराब बिकी। यानी औसतन करीब 1.5 करोड़ की अंग्रेजी शराब रोज बिकी। कोरोना कर्फ्यू के चलते 29 अप्रैल से ही शराब की दुकानें बंद हो गईं और यह सिलसिला 11 मई तक चला। इस तरह से हिसाब लगाया जाए तो पता चलता है कि 13 दिनों में केवल अंग्रेजी शराब की बिक्री न होने से आबकारी विभाग को 20 करोड़ की चपत लगी।
देशी और बीयर में भी 20 लाख का नुकसान
इसी तरह देशी शराब की बात की जाए तो इस बार मार्च में करीब 10266 लीटर देशी शराब की बिक्री हुई। प्रति लीटर 350 रुपये की औसत कीमत मानी जाए तो इसका मूल्य करीब 35 लाख रुपये होता है। यानी औसतन एक लाख रुपये की देशी शराब रोज बिकी। इस तरह 13 दिनों की बंदी में हुए नुकसान की बात करें तो करीब 13 से 14 लाख रुपये होता है। बीयर की बात करें तो इस वर्ष मार्च में करीब बीयर की 13.5 हजार केन बिकीं। मूल्य की बात करें तो यह करीब 17 लाख रुपये के आसपास होता है। औसतन 56 हजार रुपये प्रतिदिन की बिक्री के हिसाब से बात की जाए तो 13 दिन में केवल बीयर से सात लाख से ज्यादा का नुकसान विभाग को हुआ।
कारोबारी बोले, लाइसेंस फीस का ही नुकसान लाखों में
शराब के कारोबारी से जुड़े लोगों का कहना है कि केवल लाइसेंस फीस की ही बात करें तो बंदी के चलते लाखों का नुकसान हुआ है। प्रदेश भर में शराब का कारोबार करने वाली एक कंपनी के एरिया मैनेजर अजय प्रकाश मित्तल ने बताया कि उनकी कंपनी ने अपनी दुकानों के करीब 18 करोड़ की लाइसेंस फीस जमा की है। प्रति माह के हिसाब से यह 1.5 करोड़ के आसपास होती है। 13 दिन की बंदी की बात की जाए तो लगभग 75 लाख रुपये लाइसेेंस ड्यूटी का ही नुकसान हुआ। पिछली बार भी 45 दिनों की बंदी में तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा था।
शराब वाली खबर का इनसेट
शराब व्यवसायी अभिषेक जायसवाल बताते हैं कि अन्य नुकसान तो अपनी जगह है, सबसे ज्यादा चिंताजनक लाइसेंस फीस का नुकसान है। लाइसेंस फीस वह शुल्क है जो मालिक एकमुश्त अदा करता है। शराब की बिक्री में 80 फीसदी के करीब लाइसेंस फीस ही हो जाती है। ऐसे में बंदी के चलते लाइसेंस फीस का ही तगड़ा नुकसान हुआ है। पिछली बार 40 दिनों की बंदी में भी शराब कारोबारियों को इसका नुकसान उठाना पड़ा था।
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