हाइलाइट्स:निकाह के बाद नयी नवेली बहू को प्रधान पद का प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतार दियाग्रामीणों ने एकपक्षीय मतदान कर रिकॉर्ड मतों से नयी बहू को गांव का प्रधान बना दियाब्लॉक में रेकार्ड मतों से जीतने वाली प्रधान बनी सलमा खातूनकौशल किशोर त्रिपाठी, देवरियादेवरिया जिले में एक गांव का प्रधान पद पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हुआ तो सामान्य वर्ग के एक उम्मीदवार ने अपने बेटे का निकाह पिछड़ी जाति की युवती से करा दिया। निकाह के बाद नयी नवेली बहू को प्रधान पद का प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतार दिया। ग्रामीणों ने पहले तो इस फैसले पर व्यंग कसा। मगर बाद में एकपक्षीय मतदान कर रिकॉर्ड मतों से नयी बहू को गांव का प्रधान बना दिया। मामला तरकुलवा विकासखंड के नारायणपुर गांव का है। सीट हुई आरक्षित तो मेहनत पर फिरा पानीतरकुलवां विकासखंड के नारायणपुर गांव का प्रधान पद इस बार के चुनाव में पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हो गया। गांव के सरफराज अहमद प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए काफी दिनों से समाज सेवा कर रहे थे। पिछले चुनाव में भी सरफराज प्रधान पद के प्रत्याशी थे। मगर कुछ मतों के अंतर से वह चुनाव हार गए थे। चूंकि सरफराज सामान्य वर्ग से आते हैं। ऐसे में गांव आरक्षित होने के बाद उनकी मेहनत पर पानी फिरता नजर आया।बुलंदशहर का वो आरोपी, जो चुनाव जीत चुका है…नई बहू को लड़ाया था प्रधानी का चुनावकाफी सोच विचार के बाद सरफराज ने अपने नजदीकी मित्रों से राय लिया। मित्रों और रिश्तेदारों के कहने पर आनन फानन उन्होंने अपने इकलौते बेटे सिराज अहमद का निकाह कुशीनगर जनपद के पिछड़ी जाति की सलमा खातून से करा दिया। निकाह के बाद कानूनी राय लेकर नई नवेली बहू को प्रधान पद के लिए चुनाव मैदान में उतार दिया।पंचायत चुनाव क्या जीते कोरोना से कर दी ‘लंबरदारी’, दर्ज हुआ केसब्लॉक में रेकार्ड मतों से जीतने वाली प्रधान बनी सलमा खातूनबताते हैं कि पहले सरफराज के इस फैसले को लेकर ग्रामीणों ने पहले तो व्यंग कसा। मगर बाद में उनकी मेहनत और सेवा भावना को देखते हुए ग्रामीणों ने एकतरफा उनके पक्ष में मतदान कर सलमा खातून को रेकार्ड मतों से विजई बनाया। चुनाव में लगभग 11 सौ मत पोल हुए थे। जिसमें से लगभग 80 प्रतिशत वोट सरफराज की बहू सलमा खातून के पक्ष में पड़े थे। इस चुनाव में सलमा अपने ब्लॉक में सर्वाधिक मतों से जीतने वाली प्रधान चुनी गई हैं।गोरखपुर: 403 शौचालय बनवाए और 403 वोट से बन गए ग्राम प्रधानव्यक्त किया ग्रामीणों का आभारसरफराज ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि गांव का प्रधान पद पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित होने के बाद मेरी सेवा भावना को देखते हुए ग्रामीण मायूस हो गए थे। मैं सामान्य वर्ग का हूं ऐसे में अपने इकलौते बेटे का निकाह अपने ही समाज की पिछड़ी जात की युवती से करा दिया । ग्रामीणों ने भी मेरी मेहनत और लगन को देखते हुए मेरा भरपूर सहयोग किया और मेरी बहू को रिकॉर्ड मतों से विजई बनाया। इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं।यूपी पंचायत चुनाव: इन नतीजों से बीजेपी को टेंशन, एसपी में जश्न
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