हाइलाइट्स:नोएडा में यूके स्ट्रेन के सस्पेक्टेड 18 सैंपल जांच के लिए भेजे गए थेचाइल्ड पीजीआई में जांच के बाद 7 सैंपलों में मिला यूके स्ट्रेनमरीजों के सैंपल जीनोम जांच केलिए दिल्ली के NCDC भेजे गए थेअधिकारी छिपा रहे नोएडा में यूके स्ट्रेन की बात लेकिन सरकार को भेजी सूचनाअभिषेक गौतम, नोएडाकोरोना संक्रमित मरीजों में यूके स्ट्रेन की पुष्टि होने से गौतमबुद्ध नगर के आसपास जिलों में बढ़ा खतरा बढ़ गया है। सेक्टर 30 चाइल्ड पीजीआई की लैब में 18 मरीजों के सैंपल संदिग्ध पाए गए थे, जिन्हें जांच के लिए दिल्ली भेजा गया था। इसमें 7 मरीजों में यूके स्ट्रेन की पुष्टि हुई है।हैरत वाली बात यह है कि अधिकारी इसका खुलासा नहीं कर रहे हैं, जबकि चाइल्ड पीजीआई की ओर से सरकार व इंफेक्शन कंट्रोल ऑफिसर को इसकी जानकारी भेज दी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर यूके स्ट्रेन का संक्रमण फैलता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?बढ़ा सैंपलों का वर्कलोडजानकारी के मुताबिक, सेक्टर 30 चाइल्ड पीजीआई में गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, संभल, बुलंदशहर और बागपत से कोरोना जांच के लिए सैंपल आते थे। बीते दो दिन से सैंपल का वर्कलोड बढ़ जाने से महज गौतमबुद्ध नगर, रामपुर और संभल से कोरोना संदिग्ध के सैंपल आ रहे हैं।18 सैंपल मिले थे संदिग्धचाइल्ड पीजीआई के एक डॉक्टर ने बताया कि कुछ दिन पहले 18 संदिग्ध सैंपल पाए गए। उनमें यूके स्ट्रेन होने की आशंका लगी। इसके बाद मरीजों के सैंपल जीनोम जांच के लिए दिल्ली के नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोंल (एनसीडीसी) भेज दिए गए। इसमें 7 मरीज में यूके स्ट्रेन की पुष्टि हुई है।नए स्ट्रेन ने बिगाड़ी जिले की हालतसेक्टर 39 कोविड अस्पताल की एमएस डॉ. रेनू अग्रवाल ने बताया कि यूके स्ट्रेन बेहद खतरनाक है। इसी के वजह से 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीज के फेफड़े तेजी से खराब हो रहे हैं, जिससे मौत भी काफी हो रही है। यह काफी घातक स्ट्रेन है।गौतमबुद्ध नगर के अलावा अन्य जिलों के सैंपल चाइल्ड पीजीआई में जांच के लिए आते हैं। इसमें 18 सैंपल की जांच दिल्ली भेजी गई थी, जिसमें 7 मरीज में यूके स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। इसकी जानकारी सरकार व जिले के संबंधित अधिकारी को दे दी गई है।डॉ. सुमि नंदवानी, एचओडी, माइक्रोबायोलॉजी विभागतेजी से फैलता है यूके स्ट्रेनचाइल्ड पीजीआई की डॉ. सुमी के मुताबिक, कोविड-19 के जीनोम में थोड़ा सा बदलवा देखने को मिला था। इस नए स्ट्रेन की पुष्टि यूके में हुई थी। इसका ट्रांसमिशन कोविड 19 से कई गुना तेज है। यह एक साथ कई लोग को संक्रमित कर सकता है। वैज्ञानिकों में इसे B.1.1.7 या VUC-202012/01 नाम दिया है। बता दें कि नवंबर 2002 में सार्स वायरस का खुलासा हुआ। इसका SARS CoV नाम दिया गया था, जो बिल्ली से फैला था। उसके बाद नवंबर 2019 में सार्स वायरस के जीनोम में स्पाइक प्रोटीन पूरी तरफ बदल गया। जिससे यह नया वायरस कोविड 19 बना। डब्लूएचओ में इसे SARS CoV-2 यानी कोविड-19 नाम दिया गया।प्रतीकात्मक चित्र
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