उन्नावउत्तर प्रदेश के उन्नाव में ऑक्सिजन की कमी बनी हुई है, जिसके कारण जिला प्रशासन की ओर से प्रस्तावित कोविड-19 के दो हॉस्पिटल संचालित नहीं हो पा रहे हैं। जिलाधिकारी के आदेश के बाद जनपद वासियों को आशा की किरण दिखाई पड़ी थी कि अब संक्रमित व्यक्तियों के उपचार के लिए लखनऊ कानपुर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। शासन-प्रशासन चाहे जितने दावे कर ले। जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं। डीएम रवींद्र कुमार ने सीडीओ और सीएमओ को निर्देशित किया था कि मौरावां स्थित नवनिर्मित सौ बेड के अस्पताल को कोविड-19 हॉस्पिटल के रूप में तैयार किया जाए। चिकित्सीय उपकरण के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति कर ली जाए, लेकिन एक हफ्ते से ज्यादा बीतने के बाद भी अस्पताल संचालित नहीं हो सका। श्री राम मूर्ति स्मारक में 50 बेड का कोविड-19 अस्पताल के रूप में विकसित करने का आदेश आया था। डीएम सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रस्तावित कोविड-19 हॉस्पिटल का निरीक्षण भी कर चुके हैं। जानकारी मिली कि ऑक्सीजन के अभाव में अस्पताल शुरू नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में सीडीओ और सीएमओ से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। ‘ऑक्सिजन एक्सप्रेस कागजों पर चल रही’पुरवा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक उदय राज यादव ने सरकार की नीयत पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती है कि लोगों को सहूलियत मिले। ऑक्सिजन, वेंटिलेटर और दवा के अभाव में लोग मर रहे हैं। देश के वैज्ञानिकों ने विगत वर्ष कहा था कि कोविड-19 का दूसरी लहर काफी खतरनाक आएगी, लेकिन सरकार ने पिछले 1 साल में कोई काम नहीं किया। सरकार के जिम्मेदार बयां करते हैं कि ऑक्सिजन की कोई कमी नहीं है। वहीं लखनऊ के बड़े-बड़े अस्पताल संचातल बताते हैं कि पिछले 15 दिनों से ऑक्सिजन न मिलने के कारण मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ऑक्सिजन एक्सप्रेस कागजों पर चल रही है।
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