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चार कंधे भी नहीं हो रहे नसीब… श्मशान घाटों पर अपनों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे परिजन

सुमित शर्मा, कानपुरकोरोना वायरस के संक्रमण ने समूचे प्रदेश को अपनी चपेट में ले लिया है। संक्रमण का डर लोगों पर इस कदर हावी है कि घरों में दम तोड़ने वाले शवों को चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे हैं। मृतक के अपने खास परिवारिक और रिश्तेदार दूरी बना रहे हैं। पड़ोसी तो पलट कर भी देखने को तैयार नहीं होते हैं। अंतिम संस्कार प्रक्रिया में चार लोग भी नहीं जुट पा रहे हैं। परिजन मजबूरी में ऐंबुलेंस या फिर शव वाहन से श्मशान घाटों तक पहुंच रहे हैं। श्मशान घाट से अस्थियां भी लेने लोग नहीं जा रहे हैं।हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि श्मशान घाट पर पहुंचने के बाद शव को किनारे रख कर लकड़ियों की व्यवस्था करने में परिजन जुट जाते हैं। इसके बाद परिजनों को चिता लगाने के लिए जगह ढूढ़ना पड़ता है। यदि संघर्षों के बाद जगह मिल गई तो फिर शव को उठाने के लिए चार कंधों की जरूरत पड़ती है। परिजन हाथ-पैर जोड़कर श्मशान घाट के कर्मचारियों या फिर श्मशान में आए अन्य लोगों की मदद से शव को चिता तक ले जाते हैं, तब कहीं अपनों का अंतिम संस्कार कर पाते हैं।श्मशान पर अस्थियों को लेने नहीं पहुंच रहे परिजनकोरोना काल में बिगड़े हालातों के बीच एक और कड़वी सच्चाई निकल कर सामने आई है। श्मशान घाटों पर लोग अपनों का अंतिम संस्कार कर आते हैं, लेकिन उनकी अस्थियों को सहजने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। श्मशान घाट पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि यदि एक दिन 100 चिताएं जली हैं तो अगले दिन सुबह उनमें से मात्र 14 से 17 लोग ही अस्थियों को लेने के लिए आ रहे हैं। पहले लोग आते थे अपनों परिजनों की अस्थियों को लेकर पूरे विधि विधान से गंगा में प्रवाहित करते थे।अपनों की चिताओं वाले स्थल भूले जा रहे परिजनकानपुर के प्रमुख घाटों पर क्षमता से अधिक पांच गुना शव पहुंच रहे हैं। श्मशान घाटों पर चिता जलाने के लिए जगह कम पड़ रही है। सुबह से लेकर देररात तक शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की जा रही है। इस बीच एक और चौंकाने वाली बात भी सामने आई है कि घाटों पर लगने वाली चिताओं के झुंड में लोग अपनों की चिताओं के स्थल भूले जा रहे हैं। श्मशान घाटों पर जगह नहीं मिलने की वजह से चिताएं पास-पास लगाईं जा रही हैं, जिसने सुबह के वक्त अपने परिजनों का अंतिम संस्कार किया वो अगले दिन सुबह खुद नहीं बता पाएगा कि उसके परिजन की चिता की ठंडी राख कौन सी है।श्मशान घाटों पर लगा राख का ढेरश्मशान घाटों पर लोग अपनों की अस्थियां लेने के लिए भी नहीं पहुंच रहे हैं। इस स्थिति में श्मशान घाटों पर राख का ढेर लगा हुआ है। बीते दिनों राख के ढेरों की सफाई कराई गई थी, यदि सफाई नहीं कराई गई होती तो यह ढेर अब तक किसी पहाड़ में तब्दील हो गए होते। दरअसल दोपहर के वक्त चलने वाली तेज हवा से श्मशान घाटों पर राख उड़ती है, जिसकी वहज से लोगों को आंख खोलने दिक्कत का सामना करना पड़ता है।