पूरे देश में कोरोना के हालात पर हाहाकार मचा हुआ है। कहीं मरीजों को बेड नहीं मिल रहा है, तो कहीं ऑक्सीजन के लिए तड़पते हुए लोगों की जानें जा रही हैं। कहीं अस्पताल मरीजों को दाखिल नहीं कर रहे हैं तो कहीं इंजेक्शन और दवा के लिए मरीज और उनके तीमारदार भीख मांग रहे हैं। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत सभी जिलों में कमोवेश कोरोना को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की भयावहता के बीच चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं की जो तस्वीर सामने आ रही है उस पर डॉट कॉम ने बातचीत की चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना से…
सवाल: कोरोना महामारी में उत्तर प्रदेश में जो तस्वीर सामने आ रही है वह बड़ी भयावाह दिख रही है। अस्पतालों में बेड नहीं हैं। मरीज सड़कों से लेकर अस्पतालों के बाहर और एम्बुलेंस में तड़प कर जान दे रहे हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
ऐसा नहीं है। अब हालात बेहतर हो रहे हैं। हम लोग तैयार तो थे लेकिन कोरोना की लहर इतनी तीव्र होगी इसका अंदाजा नहीं था। पूरे देश में अचानक कोरोना की तीव्र लहर के बीच में उत्तर प्रदेश ने बहुत हद तक चीजों को संभालने का प्रयास किया है और हम लोग उसको संभाल भी रहे हैं।
सवाल: अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत हो गयी थी। मरीजों के तीमारदारों से तो अस्पताल प्रशासन ने उन्हें कहीं और शिफ्ट करने को कह दिया था। अब भी वैसी ही स्थिति सुनने में आ रही है।
ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं थी। दिक्कत ऑक्सीजन को पहुंचाने की थी। इसलिए हमने गैस लाने वाले वाहनों की संख्या बढ़ाई है। अब हमने ऑक्सीजन को लाने वाले 62 टैंकर लगाए हैं। जो दूरदराज के प्रांतों से ऑक्सीजन लेकर आ रहे हैं। हर जगह ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है। हालात सामान्य करने की पूरी कोशिश में सरकार लगी हुई है।
सवाल: जो भी हो, हालात तो बिगड़ ही गए। अभी भी हालात कमोवेश वैसे ही हैं। क्या आप मानते हैं कि व्यवस्था में कहीं चूक हुई?
देखिए हम लोग विशेषज्ञों से हालात का आकलन करने को कहते हैं। जो विशेषज्ञ होते हैं वे ऐसे मामलों में सरकार को बताते हैं और सरकार भी उनसे एक्सपर्ट ओपिनियन मांगती है। यहां पर एक्सपर्ट की ओपिनियन फेल हो गयी। ऐसे हालात होंगे या कोरोना की लहर इतनी भयावाह होगी इसकी कोई एक्सपर्ट ओपिनियन साझा नहीं हुई। फिर भी जब हालात बिगड़ने लगे तो हमारी पूरी सरकार इसे दुरुस्त करने में लग गयी।
सवाल: प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा दूरदराज के जिलों में भी यही बदहाली का हाल है। इलाज नहीं मिल पा रहा है।
देखो, जब पहली लहर कोरोना की आई तो हमारी स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त नहीं थीं। लेकिन हम लोगों ने कोशिश की और सफल हो रहे हैं। कोरोना की पहली लहर में हमारे पास L2 और L3 के महज आठ हजार बेड थे। आज यह संख्या 18 हजार हो गयी है। 36 जिलों में वेंटिलेटर नहीं थे। आज सात हजार वेंटिलेटर हैं। इसके अलावा 70 हजार से ज्यादा L1 के बेड हैं। एक हजार जल्द ही और हो जाएंगे। जब दिक्कत हुई तब पता चला कि और क्या-क्या जरूरतें हैं जो तुरंत होनी ही चाहिए अस्पतालों में, उन्हें पूरा किया जाने लगा। हमारी सरकार ने कहा है कि अगर सरकारी अस्पतालों में जगह न बचे तो प्राइवेट में इलाज कराओ। इसका पूरा खर्चा सरकार वहन करेगी। हमने तो हाल में ही 55 प्राइवेट अस्पतालों को कोविड का इलाज करने के लिए कहा है।
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