कोरोना की बेकाबू स्पीड के बीच यूपी के नोएडा में लगातार नए मरीजों के मिलने से कोविड हॉस्पिटल भर चुके हैं। हालत यह है कि गंभीर मरीजों के लिए जगह खाली नहीं है। मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर इस आस में लगा रहे हैं कि कहीं उसे बेड मिल जाए, पर ऐसा नहीं हो रहा है। मंगलवार को एक ऐसा ही दुखद दृश्य सेक्टर-39 कोविड अस्पताल में देखने को मिला। चार अस्पतालों का चक्कर लगाने के बाद भी एक बुजुर्ग मरीज को बेड नसीब नहीं हुआ। मरीज 7 घंटे से ऐम्बुलेंस में जिंदगी और मौत से जूझता रहा। जबकि दावा यह है कि जिले में 3 हजार से ज्यादा बेड की सुविधा है।7 घंटे तक अस्पतालों में भटकता रहा मरीजनोएडा एक्सटेंशन के रहने वाले मनोज ने बताया कि जिले में कोरोना के मरीज के लिए व्यवस्था नहीं है। 65 वर्ष अपूर्वा सरकार कोरोना से संक्रमित हैं। सुबह 9 से 4 बजे तक यथार्थ, कैलाश, सेक्टर 39 कोविड अस्पताल और शारदा के चक्कर लगा रहा हूं, पर कहीं उन्हें भर्ती नहीं किया गया। अधिकारियों का कहना है न तो बेड खाली है और न ही ऑक्सिजन। ऐसे में मरीज ऐम्बुलेंस में तड़प रहा है। निराश होकर मनोज मरीज घर लेकर लौट गए। जिले में करीब 3 हजार बेड की सुविधा है। इसमें से शारदा, सूर्या और मेट्रो अस्पताल में लगभग 300 बेड खाली हैं। बाकी सभी अस्पताल में बेड फुल हैं।घर ले चलो, यहां न दवाई दी और न ही इंजेक्शन… दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहाग्रेटर नोएडा स्थित शारदा अस्पताल में भर्ती एक बुजुर्ग की कोरोना से मौत हो गई। घरवालों का आरोप है कि अस्पताल के एक कर्मचारी ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन के लिए 32400 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करा लिया, लेकिन टीका लगाया नहीं। इस मामले में शारदा अस्पताल का पक्ष जानने के लिए वहां के मीडिया प्रभारी अजीत कुमार को कॉल और मेसेज किया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।आखिर कहां गए इंजेक्शन के पैसे?सेक्टर 53 गिझौड़ के संजीव ने बताया कि उनके पिता बनवारीलाल चौहान की कुछ दिन पहले कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 17 अप्रैल को शारदा अस्पताल में भर्ती कराया। अगले दिन एक कर्मचारी का फोन आया और उसने कहा कि मरीज की जान बचाने के लिए रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाना पड़ेगी। आप इंजेक्शन के लिए पैसे ट्रांसफर कर दीजिए। संजीव ने विदेश में रह रहे अपने भाई से 5 मिनट में 32,400 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कराए। आरोप है कि 19 अप्रैल को करीब 10 बजे पिता जी से बात हुई थी औैर उन्होंने बताया कि उन्हें न तो दवा दी जा रही है और न ही कोई इंजेक्शन। वह दर्द से तड़प रहे थे। उन्होंने कहा- मुझे अस्पताल से घर ले चलो। कुछ देर बाद अस्पताल से फोन आया कि उनकी मौत हो गई। संजीव का कहना है कि इंजेक्शन के लिए पैसे दिए तो इंजेक्शन लगाया क्यों नहीं? आरोप है कि इलाज में लापरवाही व इंजेक्शन न लगाने से पिता की मौत हो गई। संजीव ने इसकी शिकायत सीएम से करने की बात कही है। संजीव का कहना है कि रेमडेसिवीर कहीं नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में उनसे इंजेक्शन के नाम पर लिए गए पैसे कहां गए?कोविड अस्पताल में ऑक्सिजन की सप्लाई रुकी, उखड़ने लगीं मरीजों की सांसेंकिसी बीमार की जब घर में सांस उखड़ने लगती है तो उसे सिर्फ और सिर्फ अस्पताल का ही सहारा होता है। वहीं अस्पताल में ही ऑक्सिजन की आपूर्ति बाधित हो जाए तो इंसान क्या करे। कुछ ऐसा ही हुआ नोएडा के सेक्टर 39 कोविड अस्पताल में सोमवार देर रात। ऑक्सिजन की सप्लाई रुकने से वॉर्ड में अफरातफरी मच गई। डॉक्टर, नर्स ऑक्सिजन सिलिंडर लेने भागने लगे। 10 मिनट में छोटे सिलिंडर से मरीज को सांस दी गई। कोविड अस्पताल 39 में करीब 250 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं।आईसीयू पूरी तरह से फुल हो चुका है। करीब 123 मरीज ऑक्सिजन के सहारे मौत से लड़ रहे हैं। सोमवार देर रात लगभग 2 बजे ऑक्सिजन की सप्लाई रुक गई। आईसीयू से लेकर वॉर्ड में डॉक्टर, नर्स, और मरीज चींखने लगे। आनन-फानन में डॉक्टर ने इमरजेंसी में रखे छोटे सिलिंडर को मैन सप्लाई में जोड़कर मरीजों को जिंदगी दी। कोविड अस्पताल में ऑक्सिजन सप्लाई कार्य देखने वाले डॉ. एस मिश्रा ने बताया कि रात करीब 2 बजे ऑक्सिजन सप्लाई रुकने से दिक्कत हुई। हालांकि छोटे सिलिंडर की मदद से मरीजों को राहत मिली।
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