कोरोना काल में ग्रामीण क्षेत्र के लिए जीवन रेखा बनी ‘मनरेगा’ में घुसपैठ हो रही है। कई जगहों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि उपस्थिति रजिस्टर में नाम तो दर्ज होता है, मगर लोग काम पर नहीं आते। सेटिंग के चलते उन्हें मेहनताना पूरा मिल रहा है। दूसरी तरफ अनेक ऐसे लोग भी हैं जो सारा दिन मनरेगा के तहत काम करते हैं, लेकिन कई तरह की कमियां गिनाकर उनका भुगतान रोक दिया जाता है।
25707 शिकायतें
खास बात ये है कि जिन लोगों या संस्था पर मनरेगा को लागू करने की जिम्मेदारी है, उनके खिलाफ ही शिकायतों का अंबार लग रहा है। अभी तक जिन व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ जो 25707 शिकायतें मिली हैं, उनमें ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत, पंचायत अफसर, जिला परिषद और जिला कार्यक्रम समन्वयक आदि शामिल हैं। सबसे ज्यादा 6077 शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिली हैं, जबकि दूसरे नंबर पर कर्नाटक 3240 और महाराष्ट्र से 2505 शिकायतें दर्ज की गई हैं।ग्राम पंचायतें, जिनके कंधों पर मनरेगा को लागू करने की जिम्मेदारी है, उसी के खिलाफ सर्वाधिक शिकायतें आ रही हैं। अभी तक 29 राज्यों में मनरेगा के अंतर्गत हुई गड़बड़ी के चलते ग्राम पंचायत के खिलाफ 21747 शिकायतें मिली हैं। इसके बाद ब्लॉक पंचायत के खिलाफ 1080 शिकायतें दर्ज की गई हैं। पंचायत अधिकारी, जिसके पास इस तरह के मामलों को निपटाने की शक्ति होती है, उसके खिलाफ भी 1007 शिकायतें मिली हैं। इसका मतलब है कि वह अधिकारी भी अपनी ड्यूटी ठीक तरह से नहीं कर रहा है।
3,808 शिकायतें अभी तक पेंडिंग
मनरेगा में काम करने वाले लोगों की सुनवाई जब दूसरी जगहों पर नहीं होती तो वे जिला परिषद के पास पहुंचते हैं। यहां भी सभी लोगों की सुनवाई ठीक तरह से नहीं हुई। जिला परिषद के खिलाफ 669 शिकायतें दी गई हैं। जिला कार्यक्रम समन्वयक के खिलाफ 859 शिकायतें देखने को मिली हैं। पेंडिंग शिकायतों का ग्राफ देखें तो पंचायत अफसर के पास 628, जिला कार्यक्रम समन्वयक के कार्यालय में 748, राज्य सरकारों के पास 13630 और केंद्र सरकार के पास पहुंची इन शिकायतों की संख्या 421 है।शिकायतों का मौजूदा स्टेट्स क्या है, इस पर मनरेगा की रिपोर्ट बताती है कि 13,808 शिकायतें अभी तक पेंडिंग हैं। करीब 2,874 शिकायतों को आगे भेज दिया गया है। इंटर मीडिएट रिप्लाई में 33 शिकायतें शामिल हैं। आंशिक रूप से 21 शिकायतों को खत्म कर दिया गया है, जबकि जांच-पड़ताल के बाद पूर्णतया खत्म की गई शिकायतों की संख्या 8974 बताई गई है।मनरेगा में अनियमितताओं के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें श्रमिकों की तरफ से मिली हैं। श्रमिकों ने अभी तक 16221 शिकायतें दी हैं। आम नागरिक जो मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों पर नजर रखते हैं, उनके द्वारा भी संबंधित एजेंसी को 6904 शिकायतें दी गई हैं। ग्राम पंचायत से 125, पंचायत अधिकारी से 182, जिला कार्यक्रम समन्वयक से 116, गैर-सरकारी संगठन 332, वीआईपी 422, मीडिया से 380, राज्य से 537, ग्रामीण विकास मंत्रालय से 2, सोशल आडिट 1, इंजीनियर के द्वारा 57 और बैंक व पोस्ट ऑफिस के माध्यम से एक-एक शिकायत मिली है।
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