अभिषेक जायसवाल, वाराणसीकाशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मस्जिद केस में वाराणसी सिविल कोर्ट के पुरातात्विक सर्वेक्षण के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी ने इस मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका में 8 अप्रैल को वाराणसी के सिविल कोर्ट के ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने के आदेश पर रोक लगाए जाने की मांग की है।अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी मोहम्मद यासीन ने बताया कि इस मामले में पहले से हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है। ऐसे में वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जल्दबाजी और दबाव में पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दिए हैं। कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार के प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) ऐक्ट 1991 को अवहेलना है।ये है पूरा मामलाकाशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में मुकदमा दाखिल हुआ था। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विशेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय ने बतौर वादी इसमें शामिल हैं। मुकदमा दाखिल होने के कुछ दिनों बाद ही मस्जिद कमिटी से ओर से 1991 केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) ऐक्ट 1991 का हवाला देकर इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्टे ऑर्डर जारी कर यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया।स्टे आर्डर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद 2019 से वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। तारीख दर तारीख सुनवाई के बाद 8 अप्रैल को वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दी थी। कोर्ट ने इसी फैसले को अब हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
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