मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ वासंतिक नवरात्रि आरंभ होगा। अबकी किसी तिथि का क्षय नहीं है, ऐसे में पूरे नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाएगी। ब्रह्म मुहूर्त में ही कलश स्थापना कर दुर्गा शप्तसती और दुर्गा चालीसा के पाठ होंगे। निष्कुंभ योग और प्रीति योग में भगवती पूजी जाएंगी। शक्तिपीठों को नवरात्र में सजाया, संवारा गया है। प्रतिपदा पर घरों और शक्तिपीठों में घट स्थापना के साथ देवी की आराधना आरंभ होगी। शक्तिपीठों में कोविड गाइड लाइन के साथ ही पूजन-अर्चन की व्यवस्था की गई है। कलश, नारियल, चुनरी और अन्य पूजन सामग्री की खरीद के लिए शक्तिपीठों के करीब सहित चौक व अन्य बाजारों में लोग जुटे। वहीं शक्तिपीठों में देर रात तक तैयारियां जारी रहीं।
ललिता देवी मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा एवं महामंत्री धीरज नागर के मुताबिक कोविड गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए कई कतारें बनाई गई हैं, जहां दूरी बनाए रखते हुए श्रद्धालु दर्शन को जाएंगे लेकिन गर्भगृह में एक बार में पांच श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे। इसी तरह मंदिर में नारियल चुनरी या प्रसाद चढ़ाने की व्यवस्था नहीं रहेगी। गर्भगृह के बाहर एक चौरे पर प्रसाद रख दिया जाएगा, वहीं से श्रद्धालु नारियल लेकर लौटेंगे। मंदिर के प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर की व्यवस्था रहेगी।
शक्तिपीठ कल्याणी देवी के पुजारी सुशील पाठक और श्यामजी पाठक के मुताबिक श्रद्धालुओं को कोविड गाइड लाइन के मुताबिक ही प्रवेश और दर्शन का अवसर मिलेगा। देवी का बहुरंगी फूलों और आभूषणों से शृंगार किया जाएगा। शक्तिपीठ अलोपशंकरी में कोविड गाइड लाइन के मुताबिक ही श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। चौक गंगादास स्थित खेमामाई मंदिर की मुख्य पुजारिन कंचन मालवीय के मुताबिक देवी का फूलों और आभूषणों से शृंगार होगा। गर्भगृह में स्थान सीमित होने के कारण श्रद्धालु गाइड लाइन का पालन करते हुए ही बारी-बारी से दर्शन कर सकेंगे।घट स्थापन का मुहूर्तज्योतिर्विदों के अनुसार प्रतिपदा सोमवार की सुबह 8:01 बजे ही लग गई लेकिन तिथि का संचरण मंगलवार को दिन में 10:17 बजे तक रहेगा। ऐसे में उदयातिथि की मान्यता से मंगलवार को कलश स्थापना सुबह 5:45 बजे से 10:17 बजे तक की जा सकेगी। वहीं बृष लग्न में कलश स्थापना सुबह 7:04 बजे से 9:06 बजे तक के बीच की जाएगी।
मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ वासंतिक नवरात्रि आरंभ होगा। अबकी किसी तिथि का क्षय नहीं है, ऐसे में पूरे नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाएगी। ब्रह्म मुहूर्त में ही कलश स्थापना कर दुर्गा शप्तसती और दुर्गा चालीसा के पाठ होंगे। निष्कुंभ योग और प्रीति योग में भगवती पूजी जाएंगी। शक्तिपीठों को नवरात्र में सजाया, संवारा गया है। प्रतिपदा पर घरों और शक्तिपीठों में घट स्थापना के साथ देवी की आराधना आरंभ होगी। शक्तिपीठों में कोविड गाइड लाइन के साथ ही पूजन-अर्चन की व्यवस्था की गई है। कलश, नारियल, चुनरी और अन्य पूजन सामग्री की खरीद के लिए शक्तिपीठों के करीब सहित चौक व अन्य बाजारों में लोग जुटे। वहीं शक्तिपीठों में देर रात तक तैयारियां जारी रहीं।
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