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नहीं रहे अदब दोस्त कलीम उर्फी, सोमवार को किए जाएंगे सुपुर्दे खाक

वयोवृद्ध लेखक कलीम उर्फी नहीं रहे। रविवार की दोपहर उनकी किडनी फेल हो गई और अपने अटाला स्थित आवास पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली। वह तकरीबन 93 वर्ष के थे और काफी दिनों से अस्वस्थ थे। उनके बेटे और कांग्रेस नेता जावेद उर्फी के मुताबिक सोमवार की सुबह तकरीबन 10 बजे कालाडांडा कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा।बता दें, कलीम उर्फी का जन्म दो अक्तूबर 1928 को प्रयागराज में हुआ था। शिक्षा के बाद वह मुंबई में रहने लगे थे। बीमार होने पर दस बरस पहले प्रयागराज आए थे। उनकी हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में सौ से अधिक किताबें प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने मुख्यतया कहानियां ,लधुकथाएं, संस्मरण आदि लिखे थे। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सहित उत्तर प्रदेश और बिहार सरकारों की ओर से उन्हें सम्मानित किया गया था। मुंबई प्रवास के दौरान वह राज कपूर, गुरुदत्त और मनोज कुमार के काफी करीबी भी रहे।वहीं संस्था गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, मनमोहन सिंह तन्हा, नरेश महरानी,प्रभाशंकर शर्मा, संजय सक्सेना, नीना मोहन,शैलेंद्र जय,अर्चना जायसवाल, सुजाता सिंह, संजय सागर, श्रीराम तिवारी आदि ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है।