हाईकोर्ट ने बिना विभागीय जांच के निलंबन आदेश जारी करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी कानून के सिद्धांतों की अनदेखी कर निलंबन आदेश जारी कर रहे हैं। यह आश्चर्यजनक है। कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के लीडिंग फायर मैन मनोज कुमार के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। मनोज कुमार की याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने सुनवाई की। याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और सहायक अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम का कहना था कि एसएसपी गौतमबुद्ध नगर वैभव कृष्ण द्वारा जारी निलंबन आदेश विधि सिद्धांतों के विरुद्ध है। सच्चिदानंद त्रिपाठी व जय सिंह आदि कई केस में हाईकोर्ट ने यह तय कर दिया है कि निलंबन आदेश जारी करने से पूर्व अधिकारी के पास आरोपी कर्मचारी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य होने चाहिए। एसएसपी ने बिना विभागीय जांच कराए ही निलंबन आदेश जारी कर दिया। जो अदालत द्वारा प्रतिपादित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत है। याची को भ्रष्टाचार के आरोप में मेरठ की पुलिस ने पकड़ा था। उस पर भ्रष्टाचार के अलावा पुलिस विभाग की छवि धूमिल करने का आरोप था। 24 दिसंबर 2019 को उसे निलंबित कर रिजर्व पुलिस लाइन से संबद्ध कर दिया गया था। याची ने निलंबन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अधिवक्ता का कहना था कि निलंबन आदेश फायर पुलिस सर्विस द्वारा जारी किया जाना चाहिए था। एसएसपी को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट का कहना था कि यह आश्चर्य का विषय है कि पुलिस अधिकारी हाईकोर्ट द्वारा प्रतिपादित विधि सिद्धांतों की अनदेखी कर आदेश पारित कर रहे हैं। इससे अदालत पर अनावश्यक मुकदमों का बोझ बढ़ता है।
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