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अस्पतालों के हालात असामान्य उपचार कराए बिना लौटे मरीज 

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बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच जिले के अस्पतालों की व्यवस्था भी असामान्य होती जा रही है। शनिवार को एसआरएन, कॉल्विन, डफरिन सहित शहर के निजी अस्पतालों से मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा। कई मरीजों की सर्जरी टाल दी गई। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया है। इससे गंभीर मरीजों को थोड़ी राहत है, लेकिन जानकारों का कहना है कि जिस तरह से हालात बन रहे हैं, उससे आने वाले दिनों में निजी अस्पतालों में भी इलाज बंद हो जाएगा। 
उधर, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में शुक्रवार को ओपीडी बंदी की घोषणा के बाद शनिवार को कम संख्या में मरीज पहुंचे। भदोही के सीतामढ़ी से आए दीपक ने बताया कि उसे हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाना था, लेकिन ओपीडी बंद थी। बताया, अब किसी निजी अस्पताल में जाना होगा। इसी तरह भदोही के गंगापुर इलाके से आए राजेश कुमार ने बताया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और उन्हें भी एसआरएन में इलाज नहीं मिला। वहीं अस्पताल के कुछ विभागों में मरीजों को देखा गया।
फिजीशियन, गॉयनोकोलॉजी, आथोपेडिक विभाग में ओपीडी में डॉक्टर बैठे। उधर, सर्जरी के लिए लोगों को चार-चार महीने की आगे की डेट दी गई है। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि चिकित्सालय में लगातार कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं। उसके बीच सुविधाओं को बहाल रखने की कोशिश की जा रही है, जिससे कि गैर कोरोना मरीजों का भी उपचार हो सके।
कॉल्विन के चार डॉक्टर संक्रमित
बेली और एसआरएन को कोविड अस्पताल बनाए रखने के बाद कॉल्विन अस्पताल की ओपीडी को मरीजों के लिए खोले रखा गया था। लेकिन, वहां पर चार डॉक्टरों के संक्रमित होने से ओपीडी व्यवस्था लड़खड़ा गई है। चिकित्सालय की एसआईसी डॉ. सुषमा श्रीवास्तव ने बताया कि चिकित्सकों के संक्रमित होने से समस्या खड़ी हो गई है। उधर, डफरिन में भी ऐसे ही हालात हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते संक्रमण से अस्पतालों में मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। निजी अस्पतालों में भी संकट शहर के कई निजी अस्पतालों की ओपीडी भी बंद हो गई है। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. राजेश मौर्या के मुताबिक अभी निजी अस्पतालों की ओपीडी चल रही है, लेकिन बड़ी संख्या में प्रैक्टिनर्स संक्रमण की चपेट में आए हैं। ऐसे में ज्यादा दिन निजी अस्पताल भी इलाज नहीं कर पाएंगे। उधर, निजी अस्पतालों की व्यवस्था पहले की तरह हो गई है। 

विस्तार

बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच जिले के अस्पतालों की व्यवस्था भी असामान्य होती जा रही है। शनिवार को एसआरएन, कॉल्विन, डफरिन सहित शहर के निजी अस्पतालों से मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटना पड़ा। कई मरीजों की सर्जरी टाल दी गई। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया है। इससे गंभीर मरीजों को थोड़ी राहत है, लेकिन जानकारों का कहना है कि जिस तरह से हालात बन रहे हैं, उससे आने वाले दिनों में निजी अस्पतालों में भी इलाज बंद हो जाएगा। 

prayagraj news
– फोटो : prayagraj

उधर, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में शुक्रवार को ओपीडी बंदी की घोषणा के बाद शनिवार को कम संख्या में मरीज पहुंचे। भदोही के सीतामढ़ी से आए दीपक ने बताया कि उसे हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाना था, लेकिन ओपीडी बंद थी। बताया, अब किसी निजी अस्पताल में जाना होगा। इसी तरह भदोही के गंगापुर इलाके से आए राजेश कुमार ने बताया कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और उन्हें भी एसआरएन में इलाज नहीं मिला। वहीं अस्पताल के कुछ विभागों में मरीजों को देखा गया।

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– फोटो : prayagraj

फिजीशियन, गॉयनोकोलॉजी, आथोपेडिक विभाग में ओपीडी में डॉक्टर बैठे। उधर, सर्जरी के लिए लोगों को चार-चार महीने की आगे की डेट दी गई है। मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि चिकित्सालय में लगातार कोरोना मरीज बढ़ रहे हैं। उसके बीच सुविधाओं को बहाल रखने की कोशिश की जा रही है, जिससे कि गैर कोरोना मरीजों का भी उपचार हो सके।

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– फोटो : prayagraj

कॉल्विन के चार डॉक्टर संक्रमित
बेली और एसआरएन को कोविड अस्पताल बनाए रखने के बाद कॉल्विन अस्पताल की ओपीडी को मरीजों के लिए खोले रखा गया था। लेकिन, वहां पर चार डॉक्टरों के संक्रमित होने से ओपीडी व्यवस्था लड़खड़ा गई है। चिकित्सालय की एसआईसी डॉ. सुषमा श्रीवास्तव ने बताया कि चिकित्सकों के संक्रमित होने से समस्या खड़ी हो गई है। उधर, डफरिन में भी ऐसे ही हालात हैं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते संक्रमण से अस्पतालों में मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। निजी अस्पतालों में भी संकट शहर के कई निजी अस्पतालों की ओपीडी भी बंद हो गई है। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. राजेश मौर्या के मुताबिक अभी निजी अस्पतालों की ओपीडी चल रही है, लेकिन बड़ी संख्या में प्रैक्टिनर्स संक्रमण की चपेट में आए हैं। ऐसे में ज्यादा दिन निजी अस्पताल भी इलाज नहीं कर पाएंगे। उधर, निजी अस्पतालों की व्यवस्था पहले की तरह हो गई है।