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Gyanvapi case : 100 फीट ऊंचा काशी विश्वनाथ शिवलिंग, गिरती थी गंगा की धारा! कोर्ट में चीनी यात्री ह्वेनसांग और किताब का भी जिक्र

वाराणसीवाराणसी के काशी विश्वनाथ परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की कोर्ट एक फैसला सुनाया। कोर्ट ने विवादित ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश उस याचिका को लेकर है जिसमें कहा गया है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई है। कोर्ट में चीनी यात्री ह्वेनसांग और एक किताब का भी जिक्र किया गया है।हिस्ट्री ऑफ बनारस का जिक्रबीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. एएस ऑल्टेकर ने ‘हिस्ट्री ऑफ बनारस’ किताब लिखी है। इस किताब में उन्होंने प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग द्वारा किए गए विश्वनाथ मंदिर के लिंग का जिक्र किया है। किताब में बताया गया है कि विश्वनाथ का शिवलिंग 100 फीट ऊंचा था और उसके ऊपर लगातार गंगा की धारा गिरती थी। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने वाराणसी को धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर तक लिखा है।1664 में किया गया नष्टकहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में इसे नष्ट कर दिया था और इसके अवशेषों का उपयोग मस्जिद बनाने के लिए किया, जिसे मंदिर की भूमि के एक हिस्से पर ज्ञानवापसी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।250 साल पुराना मंदिर होने के सबूतयाचिकाकर्ता ने कहा था कि मंदिर का निर्माण लगभग 2,50 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। यहां पर लोग पूजा करते थे। विवादित स्थल के भूतल में तहखाना और मस्जिद के गुम्बद के पीछे प्राचीन मंदिर की दीवार का दावा किया जाता है। ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर विशालकाय नंदी हैं, जिसका मुख मस्जिद की ओर है। इसके अलावा मस्जिद की दीवारों पर नक्काशियों से देवी देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं। स्कंद पुराण में भी इन बातों का वर्णन है।