दो मई को चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद भी सैकड़ों ग्राम पंचायतों के प्रधान शपथ नहीं ले पाएंगे। इन गांवों में ग्राम पंचायतों का गठन ही नहीं हो पाएगा। ग्राम पंचायत सदस्य के 40 प्रतिशत से अधिक सीटों पर कोई दावेदार ही सामने नहीं आया है। इसकी वजह से आठ हजार से अधिक सीटें खाली रह जाएंगी। अब इन सीटों पर जून में उपचुनाव कराए जाने की बात कही जा रही है। इसके बाद ही प्रभावित ग्राम पंचायतों का गठन हो पाएगा।जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य पद पर चुनाव लड़ने को लेकर ग्रामीणों में खासी रुचि दिख रही है। इसके विपरीत ग्राम पंचायत सदस्य बनने के लिए वे आगे नहीं आए। ग्राम पंचायत के गठन के लिए दो तिहाई सदस्यों का निर्वाचन अनिवार्य है। इससे कम सदस्य पर गांव की सरकार का गठन नहीं हो पाएगा।
इसके विपरीत स्थिति यह है कि ग्राम पंचायत सदस्य के कुल 19,820 पदों के सापेक्ष 11 हजार 800 ही नामांकन हुए हैं। इस तरह से कुल पद की तुलना में करीब आठ हजार कम नामांकन हुए हैं। इसके अलावा कई सीट पर दो या इससे अधिक लोगों ने नामांकन किया है। ऐसे में बिना नामांकन वाले ग्राम पंचायत सदस्यों के सीट की संख्या आठ हजार से भी अधिक है। अफसरों का कहना है कि पिछले चुनाव में भी ग्राम पंचायत सदस्य के छह हजार पद खाली रह गए थे। उन पर तीन महीने बाद दोबारा चुनाव कराए गए थे, लेकिन इस बार यह संख्या कहीं अधिक है। निर्वाचन से जुड़े एक अफसर का कहना है कि जून में उपचुनाव कराए जाएंगे। प्रभावित होगा ग्राम पंचायत का विकासग्राम पंचायत सदस्यों का कोरम पूरा नहीं होने की वजह से गांव की सरकार का गठन नहीं हो पाएगा। इसकी वजह से प्रधान तथा पंचायत से जुड़ी समितियों के खाते नहीं खुल पाएंगे। इससे पंचायत क्षेत्र का विकास भी प्रभावित होगा।
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