मुरादनगरगाजियाबाद में इसी साल जनवरी में हुए श्मशान घाट हादसे में घायल पवन की सोमवार को मौत हो गई थी। परिवार ने इलाज के लिए घर की पूरी जमापूंजी लगा दी थी। 50 हजार रुपये अधिकारियों ने दिए थे। कुछ दिन रोज हाल-चाल भी पूछते रहे लेकिन, चंद दिनों में ही अधिकारियों ने दूरी बना ली। जमापूंजी खत्म हुई तो रिश्तेदारों ने मदद की। साढ़े 6 लाख का कर्ज हो गया। कई अस्पताल बदले, लेकिन बचा नहीं सके। सोमवार को दम तोड़ने वाले पवन की पत्नी अंजू ने ये बातें कहीं। उनके बगल ही बैठे पवन के पिता कांपती जुबान से बोले, ‘इलाज ने कर्जदार बना दिया, फिर भी घर के चिराग को नहीं बचा सके।’ फिर बूढ़ी आंखों से निकले आंसुओं ने जुबान पर मानों ताला लगा दिया। अंजू ने कहा, ‘पति की जान बचाने के लिए सबसे पहले मुरादनगर के आईटीएस सूर्या अस्पताल में भर्ती कराया। उसके बाद कोलंबिया एशिया अस्पताल, सुभारती अस्पताल मेरठ और केएमसी अस्पताल बागपत रोड मेरठ में भर्ती कराया गया।’ अंजू ने बताया कि इतनी दिनों तक चले इलाज के बाद घर की सारी जमापूंजी खत्म हो गई। उम्मीद थी कि एक दिन ठीक हो जाएंगे तो फिर रुपये कमा लेंगे। रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों से कर्ज लेकर इलाज कराते रहे। लेकिन, जान नहीं बचा सके। सरकार से भी इलाज में मदद नहीं मिली। अधिकारियों ने मुफ्त में इलाज कराने की बात कही थी, लेकिन 50 हजार रुपये देने के बाद कोई सुध लेने नहीं आया।भविष्य की चिंता में सूख नहीं रहे आंसूपवन की पत्नी अंजू ने बताया कि बूढ़े सास-ससुर के साथ ही 2 बच्चों की जिम्मेदार ही। बच्चों की पढ़ाई का खर्च और खाने-पीने की व्यवस्था के लिए भी रुपये नहीं बचे हैं। साढ़े 6 लाख रुपये कर्ज हो गए हैं। उसे चुकाने की भी चिंता है। सरकार से अब एक ही गुजारिश है कि नौकरी दिला दे। घर में अभी आय का कोई दूसरा साधन नहीं बचा है। अंजू ने कहा, ‘घटिया सामग्री लगाने की वजह से लिंटर गिरा था। सरकारी तंत्र ही इसमें दोषी है।’मदद के लिए भेजा है प्रस्तावमोदीनगर के उपजिलाधिकारी आदित्य प्रजापति ने कहा कि शासन की ओर से घायलों को इलाज के लिए 50 हजार रुपये दिए गए थे। पवन को ये 50 हजार रुपये मिले थे। पवन की मौत के बाद उनके परिवार को भी 10 लाख रुपये की मदद दिलाने की कार्रवाई की जा रही है। शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। बाकी सुविधाएं भी दी जाएंगी।लिंटर के नीचे दब गए थे 50 से ज्यादा लोग3 जनवरी को संगम विहार कॉलोनी निवासी जयराम की अंत्येष्टि के दौरान बंबा रोड के श्मशान घाट पर हादसा हुआ था। बारिश से बचने के लिए कुछ लोग गैलरी में खड़े थे। इसी दौरान गैलरी का लिंटर गिर गया था। उसके नीचे 50 से ज्यादा लोग दब गए थे। 24 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। बाकी घायल थे। शासन ने मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपये, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, बच्चों की मुफ्त पढ़ाई आदि का आश्वासन दिया था। अभी तक चार्जशीट दाखिल नहींहादसे की जांच एसआईटी की टीम कर रही है। इस मामले में नगर पालिका की तत्कालीन अधिशासी अधिकारी रहीं निहारिका चौहान, पूर्व जेई चंद्रपाल सिंह, ठेकेदार अजय त्यागी और सुपरवाइजर आशीष सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। निहारिका हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा है। अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
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