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दो अदालतों के विरोधाभासी आदेश से हाईकोर्ट नाराज 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भूमि विवाद को लेकर सिविल कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज कर सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा निषेधात्मक आदेश जारी करने पर नाराजगी जताई है।  सिविल कोर्ट के निषेधात्मक आदेश देने से इंकार के बाद सिटी मजिस्ट्रेट निषेधात्मक आदेश जारी कर दिया। इस स्थिति पर हाईकोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने सिविल कोर्ट को ओवर राइड किया है।जो राहत  देने से सिविल जज से इंकार कर दिया वही राहत सिटी मजिस्ट्रेट ने दे दी। कोर्ट ने सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश को निलंबित कर पक्षों से जवाब मांगा है।सुनवाई पांच अप्रैल को होगी।यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने सुरेश कुमार  व अन्य की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है।कोर्ट ने छुट्टी में याचिका की सुनवाई कर राहत दी । हाईकोर्ट ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट ने  सिविल कोर्ट के आदेश के  ऊपर बैठ कर  भू स्वामी को अपनी ही जमीन पर निर्माण करने से  रोक  दिया। याचीगण ने  जमीन खरीदी और नगर निगम में नाम भी दर्ज करा लिया।जब वे मकान बनाने लगे ,तो विपक्षियों ने विरोध किया ।और सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रयागराज के समक्ष निषेधाज्ञा वाद दायर किया।  सिविल वाद में विवादित भूमि की यथास्थिति बनाए रखने की मांग नहीं मानी गई।अर्जी विचाराधीन है।सिविल कोर्ट से निराश विपक्षियों की पहल पर करेली थाना पुलिस ने शांति भंग के अंदेशे पर 25जनवरी को  चालान रिपोर्ट भेजी,उस पर  30जनवरी को नोटिस जारी हुआ।और तहसीलदार से भी रिपोर्ट भी मांगी गई। इसके बाद विपक्षियों ने  चार  फरवरी को धारा 145 सी आर पी सी की अर्जी दी । इसके दूसरे ही दिन पांच फरवरी को सिटी मजिस्ट्रेट ने  जमीन की नवैयत बदलने पर रोक लगा दी। और होली की छुट्टी से ठीक पहले 25 मार्च को एसएचओ करेली को निर्माण रोक कर  आठ अप्रैल को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश की प्रति जिलाधिकारी के मार्फत सिटी मजिस्ट्रेट व एसएसपी के मार्फत एसएचओ करेली को तत्काल भेजने का निर्देश दिया है।और जानकारी मांगी है।सुनवाई पांचअप्रैल को होगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भूमि विवाद को लेकर सिविल कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज कर सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा निषेधात्मक आदेश जारी करने पर नाराजगी जताई है।  सिविल कोर्ट के निषेधात्मक आदेश देने से इंकार के बाद सिटी मजिस्ट्रेट निषेधात्मक आदेश जारी कर दिया। इस स्थिति पर हाईकोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने सिविल कोर्ट को ओवर राइड किया है।जो राहत  देने से सिविल जज से इंकार कर दिया वही राहत सिटी मजिस्ट्रेट ने दे दी। कोर्ट ने सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश को निलंबित कर पक्षों से जवाब मांगा है।सुनवाई पांच अप्रैल को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने सुरेश कुमार  व अन्य की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है।कोर्ट ने छुट्टी में याचिका की सुनवाई कर राहत दी । हाईकोर्ट ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट ने  सिविल कोर्ट के आदेश के  ऊपर बैठ कर  भू स्वामी को अपनी ही जमीन पर निर्माण करने से  रोक  दिया। याचीगण ने  जमीन खरीदी और नगर निगम में नाम भी दर्ज करा लिया।जब वे मकान बनाने लगे ,तो विपक्षियों ने विरोध किया ।और सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रयागराज के समक्ष निषेधाज्ञा वाद दायर किया।  सिविल वाद में विवादित भूमि की यथास्थिति बनाए रखने की मांग नहीं मानी गई।अर्जी विचाराधीन है।

सिविल कोर्ट से निराश विपक्षियों की पहल पर करेली थाना पुलिस ने शांति भंग के अंदेशे पर 25जनवरी को  चालान रिपोर्ट भेजी,उस पर  30जनवरी को नोटिस जारी हुआ।और तहसीलदार से भी रिपोर्ट भी मांगी गई। इसके बाद विपक्षियों ने  चार  फरवरी को धारा 145 सी आर पी सी की अर्जी दी । इसके दूसरे ही दिन पांच फरवरी को सिटी मजिस्ट्रेट ने  जमीन की नवैयत बदलने पर रोक लगा दी। और होली की छुट्टी से ठीक पहले 25 मार्च को एसएचओ करेली को निर्माण रोक कर  आठ अप्रैल को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश की प्रति जिलाधिकारी के मार्फत सिटी मजिस्ट्रेट व एसएसपी के मार्फत एसएचओ करेली को तत्काल भेजने का निर्देश दिया है।और जानकारी मांगी है।सुनवाई पांचअप्रैल को होगी।