उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में रोजाना अजब-गजब किस्से सामने आ रहे हैं। महीनों से गांव में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही महिला दावेदार ने नामांकन के लिए फार्म खरीद लिया, लेकिन जब मतदाता सूची खंगाला तो उसमें नाम ही गायब था। महीनों की मेहनत पर पानी फिरता देख पति फफक पड़ा। मामला जौनपुर जिले के महराजगंज ब्लॉक के ग्राम पंचायत भरथरी का है। एसडीएम के सामने अपनी पीड़ा सुनाते समय आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने कहा कि अभी तक 20 हजार रुपये से अधिक खर्च कर चुके हैं। चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला तो यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे।ग्राम पंचायत भरथरी निवासी दलई राम पिछले एक साल से ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। आरक्षण की लिस्ट जारी हुई तो पता चला कि ग्राम प्रधान का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। उन्होंने अपनी पत्नी प्रेमा देवी को मैदान में उतारने के लिए तैयारी की। घर-घर चुनाव प्रचार किया।गांव की सभी बस्तियों में पोस्टर बैनर भी लगा दिए। तहसील से जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया। नोड्यूज बनवाने के बाद नामांकन पत्र भी खरीद लिया। नामांकन पत्र के साथ संलग्न होने वाले सभी जरूरी प्रपत्र तैयार किए। मतदाता सूची की प्रति ली तो पता चला कि सूची में प्रेमा देवी का नाम नहीं है।
दलई राम का कहना है कि चुनाव के प्रचार प्रसार के लिए बैनर पोस्टर छपवाने, और प्रपत्र तैयार करने में अबतक बीस हजार से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं। बृहस्पतिवार को बदलापुर तहसील मुख्यालय पहुंचे दलईराम ने एसडीएम को प्रार्थना पत्र दिया और अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए वह फफक पड़े।उन्होंने कहा कि साहब पत्नी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ तो इस सदमे को वह बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे। ग्राम प्रधान बनने का सपना बहुत पुराना है। इस बार मौका चूक गया तो क्या पता मेरी जिंदगी में यह गांव फिर से एससी वर्ग के लिए आरक्षित होगा या नहीं।
एसडीएम कौशलेश कुमार मिश्र ने बताया कि भरथरी गांव निवासी प्रेमा देवी का नाम सूची से कैसे कट गया, इसके लिए बीएलओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित का नाम सूची में शामिल कराने का भरोसा दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में रोजाना अजब-गजब किस्से सामने आ रहे हैं। महीनों से गांव में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही महिला दावेदार ने नामांकन के लिए फार्म खरीद लिया, लेकिन जब मतदाता सूची खंगाला तो उसमें नाम ही गायब था। महीनों की मेहनत पर पानी फिरता देख पति फफक पड़ा। मामला जौनपुर जिले के महराजगंज ब्लॉक के ग्राम पंचायत भरथरी का है। एसडीएम के सामने अपनी पीड़ा सुनाते समय आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उन्होंने कहा कि अभी तक 20 हजार रुपये से अधिक खर्च कर चुके हैं। चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला तो यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे।
ग्राम पंचायत भरथरी निवासी दलई राम पिछले एक साल से ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। आरक्षण की लिस्ट जारी हुई तो पता चला कि ग्राम प्रधान का पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। उन्होंने अपनी पत्नी प्रेमा देवी को मैदान में उतारने के लिए तैयारी की। घर-घर चुनाव प्रचार किया।
गांव की सभी बस्तियों में पोस्टर बैनर भी लगा दिए। तहसील से जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया। नोड्यूज बनवाने के बाद नामांकन पत्र भी खरीद लिया। नामांकन पत्र के साथ संलग्न होने वाले सभी जरूरी प्रपत्र तैयार किए। मतदाता सूची की प्रति ली तो पता चला कि सूची में प्रेमा देवी का नाम नहीं है।
दलई राम का कहना है कि चुनाव के प्रचार प्रसार के लिए बैनर पोस्टर छपवाने, और प्रपत्र तैयार करने में अबतक बीस हजार से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं। बृहस्पतिवार को बदलापुर तहसील मुख्यालय पहुंचे दलईराम ने एसडीएम को प्रार्थना पत्र दिया और अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए वह फफक पड़े।उन्होंने कहा कि साहब पत्नी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ तो इस सदमे को वह बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे। ग्राम प्रधान बनने का सपना बहुत पुराना है। इस बार मौका चूक गया तो क्या पता मेरी जिंदगी में यह गांव फिर से एससी वर्ग के लिए आरक्षित होगा या नहीं।
एसडीएम कौशलेश कुमार मिश्र ने बताया कि भरथरी गांव निवासी प्रेमा देवी का नाम सूची से कैसे कट गया, इसके लिए बीएलओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित का नाम सूची में शामिल कराने का भरोसा दिया गया है।
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