प्रदेश सरकार ने पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह के खिलाफ वाराणसी के कैंट थाने में दर्ज मुकदमा वापस ले लिया है। यह मुकदमा वर्ष 2004 की गर्मी के दिनों में शैलेंद्र सिंह सहित आठ लोगों के खिलाफ कैंट थाने में दर्ज किया गया था। प्रदेश सरकार के इस निर्णय का शैलेंद्र के साथ ही उनके शुभचिंतकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने स्वागत किया है।वर्ष 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी इकाई के डिप्टी एसपी के पद पर तैनात थे। उन्हें सूचना मिली थी कि सेना के एक भगोड़े से एक लाइट मशीनगन (एलएमजी) मुख्तार खरीद रहा है। 25 जनवरी 2004 को शैलेंद्र ने उस भगोड़े सहित दो बदमाशों को चौबेपुर क्षेत्र से पकड़कर मशीन गन बरामद कर ली थी। इस मामले में मुख्तार के खिलाफ पोटा के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार में शैलेंद्र पर मुकदमा वापसी का दबाव बनाया जाने लगा। इससे आजिज आकर शैलेंद्र ने अपने पद से फरवरी 2004 में इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद वह सामाजिक सरोकारों से जुड़ गए थे। जून 2004 में वह छात्रों की समस्या लेकर कलेक्ट्रेट गए थे। इसे लेकर कलेक्ट्रेट के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालजी की तहरीर के आधार पर राजकीय कार्य में बाधा डालने सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया था। शैलेंद्र इस मुकदमे में जेल में भी रहे। वर्तमान प्रदेश सरकार का मानना है कि शैलेंद्र के खिलाफ यह मुकदमा मुख्तार के खिलाफ की गई कार्रवाई के कारण दर्ज कराया गया था।सीजेएम की अदालत ने प्रदेश सरकार के अनुरोध पर शैलेंद्र के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है। उधर, मुकदमा वापसी की अदालत की नकल मिलने पर बेगुनाह शैलेंद्र का दर्द छलक पड़ा। फेसबुक पर उन्होंने लिखा कि वह और उनका परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस सहृदयता का आजीवन आभारी रहेगा। इसके साथ ही संघर्ष के दौरान साथ देने वाले सभी शुभेच्छुओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
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