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हाईकोर्ट स्टेनोग्राफर परीक्षा के दो चरण फिर से कराने का दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट स्टेनोग्राफर ग्रेड सी परीक्षा में अनियमितता और नियम विरुद्ध चयन को देखते हुए परीक्षा के दो चरण (टाइप टेस्ट और शार्टहैंड) फिर से कराने का आदेश दिया है। इस परीक्षा में वह सभी अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे जिन्होंने पहले चरण (लिखित परीक्षा) पास कर ली थी। परीक्षा उन अभ्यर्थियों को भी देनी होगी जो सफल होकर नियुक्ति पा चुके हैं और काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा है कि उनकी नियुक्ति नई चयन सूची पर निर्भर करेगी। यदि यह लोग नई चयन सूची में आ जाते हैं तो उनकी प्रोन्नति व अन्य लाभ प्रभावित नहीं होंगे। विनीत कुमार व कई अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि  चयन करने वाली एजेंसी ने हाईकोर्ट की चयन समिति द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। टाइप टेस्ट और शार्ट हैंड के लिए न्यूनतम अंक निर्धारित नहीं किया गया। शून्य या निगेटिव अंक पाने वाले भी चयनित हो गए। नियुक्ति विज्ञापन में यह नहीं बताया गया कि टाइप टेस्ट किस फांट में देना है। कोर्ट ने कहा कि अविवेकपूर्ण चयन प्रक्रिया द्वारा चुने गए अभ्यर्थी नौकरी में बने रहने का दावा नहीं कर सकते उनको निष्पक्ष रूप से फिर से प्रतिस्पर्धा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। याचिका में हाईकोर्ट द्वारा 2015 में आयोजित स्टेनाग्राफर और अधीनस्थ न्यायालयों में क्लर्क के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा को चुनौती दी गई थी। कहा गया कि स्टेनोग्राफर के लिए कंप्यूटर टाइप टेस्ट किस फांट में लिया जाएगा यह विज्ञापन में नहीं बताया गया था। याचीगण ने कृति देव में टाइपिंग का अभ्यास किया जो कि सामान्यत: सभी जगह प्रचलित है।चार दिन पहले उनको पता चला कि टेस्ट मंगल फांट में होगा जो कि कृति देव से काफी भिन्न है और चार दिन में उसका अभ्यास किया जाना संभव नहीं है। इसी प्रकार से शार्ट हैंट और टाइप टेस्ट के लिए कोई न्यूनतम अंक निर्धारित नहीं किया गया था। जिसकी वजह से बहुत से ऐसे अभ्यर्थी भी चयनित कर लिए गए जिनको शून्य या निगेटिव अंक मिले थे। परीक्षा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा कराई गई थी जिसने हाईकोर्ट चयन समिति द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ।