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बीएचयू के जिंक युक्त गेहूं ने अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला की पास की परीक्षा, जानें इसके फायदे

बीएचयू द्वारा तैयार किए गए 50 पीपीएम जिंक और 40 से 45 पीपीएम युक्त आयरन वाले गेहूं को अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला से मान्यता मिल गई है। अब इसे केंद्र और राज्य स्तर पर मंजूरी मिलने की देरी है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इस गेहूं से बच्चों के शारीरिक विकास में वृद्धि होगी। साथ ही आयरन और जिंक की प्रचुर मात्रा से गर्भवती महिलाओं को कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. रमेश सिंह ने बताया कि बीएचयू संस्थान द्वारा तैयार किए गए 50 पीपीएम जिंक, 40 से 45 पीपीएम आयरन (लोहा) और 11 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा वाले गेहूं को अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला ने प्रमाणित कर दिया है। अनौपचारिक रूप से नेपाल और चीन सहित भारत के 10 फर्मों पर मौसम के अनुकूल परीक्षण के तौर पर खेती की गई है। इसमें मिर्जापुर, जौनपुर, चंदौली और बनारस में भी कई किसानों ने लगाया है। इसके लिए केंद्र और राज्य को प्रस्ताव भी भेजा गया। जिसकी मंजूरी मिलने के बाद पर्याप्त मात्रा में उक्त गेहूं की खेती सामान्य किसान कर सकेंगे।आयरन और जिंक की कमी से होने वाले नुकसान
सामान्य गेहूं में 25 से 30 पीपीएम जिंक और 30 से 35 पीपीएम आयरन होता है। भारत में आयरन और जिंक की कमी के कारण सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी बहुतायत है। गर्भवती महिलाओं और छह से 35 साल तक की उम्र के लोगों में आयरन की कमी पाई जाती है। आयरन की कमी के कारण महिलाओं में गर्भधारण करने में परेशानी, गर्भधारण के दौरान बच्चे की मृत्यु होने के मामले सामने आते हैं। वहीं, जिंक की कमी के कारण बच्चों की शारीरिक वृद्धि रुकने के साथ कई बीमारियां होती हैं। बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. रमेश सिंह ने बताया कि पर्याप्त मात्रा वाले जिंक और आयरन युक्त गेहूं का शोध दो संस्थानों द्वारा मिलकर किए जाने के कारण अभी फिलहाल इसे कोई नाम नहीं दिया गया है। हालांकि बीएचयू की ओर से इसे अभी बीएचयू डब्ल्यू-11 नाम से ही जाना जाता है। यह नाम अभी आधिकारिक नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही इसे कोई आधिकारिक नाम दिया जाएगा।

बीएचयू द्वारा तैयार किए गए 50 पीपीएम जिंक और 40 से 45 पीपीएम युक्त आयरन वाले गेहूं को अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला से मान्यता मिल गई है। अब इसे केंद्र और राज्य स्तर पर मंजूरी मिलने की देरी है। इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इस गेहूं से बच्चों के शारीरिक विकास में वृद्धि होगी। साथ ही आयरन और जिंक की प्रचुर मात्रा से गर्भवती महिलाओं को कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।

बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. रमेश सिंह ने बताया कि बीएचयू संस्थान द्वारा तैयार किए गए 50 पीपीएम जिंक, 40 से 45 पीपीएम आयरन (लोहा) और 11 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा वाले गेहूं को अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशाला ने प्रमाणित कर दिया है। अनौपचारिक रूप से नेपाल और चीन सहित भारत के 10 फर्मों पर मौसम के अनुकूल परीक्षण के तौर पर खेती की गई है। इसमें मिर्जापुर, जौनपुर, चंदौली और बनारस में भी कई किसानों ने लगाया है। इसके लिए केंद्र और राज्य को प्रस्ताव भी भेजा गया। जिसकी मंजूरी मिलने के बाद पर्याप्त मात्रा में उक्त गेहूं की खेती सामान्य किसान कर सकेंगे।

आयरन और जिंक की कमी से होने वाले नुकसान