टीबी की बीमारी का सीधा प्रभाव छाती पर पड़ता है। कभी-कभी सांस लेने में भी परेशानी हो जाती है। कोरोनाकाल में टीबी मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन करते रहना चाहिए। आम तौर पर कुछ मरीज बीच में ही दवा छोड़ देते हैं। कोरोनाकाल में इस तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है। टीबी मरीजों को जागरूक करने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम ‘दी क्लॉक इस टिकिंग’ है। इसका उद्देश्य टीबी की रोकथाम के लिए समय-समय पर लोगों की जांच और इलाज के लिए जागरूक करना है। बीएचयू के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट अध्यक्ष प्रो. जीएन श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर टीबी मरीजों का सवाल रहता है कि टीबी की दवा के साथ-साथ वैक्सीन लगवाई जाए या नहीं। जानना जरूरी है कि दवा के साथ वैक्सीन ले सकते हैं। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल को भी नहीं भूलना चाहिए। निशुल्क जांच, इलाज की सुविधा
प्रो. जीएन श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं। निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। इसके बाद मरीज निशुल्क जांच और इलाज की सुविधा ले सकते हैं। घर के पास स्वास्थ्य केंद्र पर निशुल्क दवा भी मिल जाएगी। पोर्टल पर पंजीकरण कराने के अलावा एक कार्ड भी दिया जाता है। मरीजों को पोषण भत्ते के रूप में हर महीने 500 रुपये भी खाते में दिए जाते हैं। कोरोना से 11 टीबी मरीजों की जा चुकी है जान
कोरोनाकाल में अब तक जिले में 377 लोगों की मौत अलग-अलग बीमारियों की वजह से हुई है। वहीं, 11 मरीजों की मौत की वजह टीबी और इससे जुड़ी बताई गई है। लोगों को अधिक सतर्क रहना होगा। ताकि समय रहते इस पर नियंत्रण पा सके।
टीबी की बीमारी का सीधा प्रभाव छाती पर पड़ता है। कभी-कभी सांस लेने में भी परेशानी हो जाती है। कोरोनाकाल में टीबी मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन करते रहना चाहिए। आम तौर पर कुछ मरीज बीच में ही दवा छोड़ देते हैं। कोरोनाकाल में इस तरह की लापरवाही भारी पड़ सकती है। टीबी मरीजों को जागरूक करने के लिए 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है।
इस बार की थीम ‘दी क्लॉक इस टिकिंग’ है। इसका उद्देश्य टीबी की रोकथाम के लिए समय-समय पर लोगों की जांच और इलाज के लिए जागरूक करना है। बीएचयू के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट अध्यक्ष प्रो. जीएन श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर टीबी मरीजों का सवाल रहता है कि टीबी की दवा के साथ-साथ वैक्सीन लगवाई जाए या नहीं। जानना जरूरी है कि दवा के साथ वैक्सीन ले सकते हैं। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल को भी नहीं भूलना चाहिए।
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