आरएसएस में सरसंघचालक के बाद नंबर दो के पद सरकार्यवाह की जिम्मेदारी अब दतात्रेय होसबाले को दी गई है। उनका काशी से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1992 से लेकर 2003 के बीच छात्रसंघ चुनाव में धार देने का काम उन्होंने किया था। उनके साथ काम करने वाले लोगों के अनुसार, एबीवीपी के जरिये युवाओं को नेतृत्व गढ़ने की कला सिखाई थी। इसके जरिये छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिनों दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर होती चली गई। उनके साथ काम करने वालों ने बताया कि उनकी स्मरण शक्ति काफी तेज है। एक बार वे जिससे मिल लेते हैं, उसका नाम नहीं भूलते हैं। वे कभी अति विशिष्ट के यहां जाना पसंद नहीं करते थे। वह हमेशा जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं और झोपड़ी में रहने वाले लोगों के घर भोजन करना पसंद करते हैं। अक्सर उनका बनारस में प्रवास होता था। 1992 से लेकर 2003 के बीच छात्रसंघ चुनाव चरम पर था। उस दौरान छात्रों के भीतर राष्ट्रवाद की जो अलख वे जगा देते थे, वैसा कोई दूसरा नहीं कर पाता।सोनभद्र, मिर्जापुर के आदिवासी इलाकों में जाकर करते थे बातचीत
सर्व समावेशी और सर्व स्पर्शी भाव हमेशा उनके भीतर रहता है। वह बेबाक टिप्पणी के लिए प्रसिद्ध हैं। बनारस में प्रवास के दौरान वे अति पिछड़े इलाकों में जाना पसंद करते थे। सोनभद्र, मिर्जापुर के आदिवासी इलाकों में जाकर वहां उनसे बातचीत करते थे। उनकी समस्याओं को समझते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बंगलूरू में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह (महासचिव) का चुनाव हो गया।अब सुरेश भैयाजी जोशी की जगह दतात्रेय होसबाले को सरकार्यवाह की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दतात्रेय 2009 से सह सरकार्यवाह का दायित्व निर्वहन कर रहे थे। लंबे समय तक दतात्रेय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन महामंत्री रहे। एबीवीपी और आरएसएस को असम में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई। असम के रास्ते बीजेपी पूर्वोतर के राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
आरएसएस में सरसंघचालक के बाद नंबर दो के पद सरकार्यवाह की जिम्मेदारी अब दतात्रेय होसबाले को दी गई है। उनका काशी से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1992 से लेकर 2003 के बीच छात्रसंघ चुनाव में धार देने का काम उन्होंने किया था। उनके साथ काम करने वाले लोगों के अनुसार, एबीवीपी के जरिये युवाओं को नेतृत्व गढ़ने की कला सिखाई थी। इसके जरिये छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिनों दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर होती चली गई।
उनके साथ काम करने वालों ने बताया कि उनकी स्मरण शक्ति काफी तेज है। एक बार वे जिससे मिल लेते हैं, उसका नाम नहीं भूलते हैं। वे कभी अति विशिष्ट के यहां जाना पसंद नहीं करते थे। वह हमेशा जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं और झोपड़ी में रहने वाले लोगों के घर भोजन करना पसंद करते हैं। अक्सर उनका बनारस में प्रवास होता था। 1992 से लेकर 2003 के बीच छात्रसंघ चुनाव चरम पर था। उस दौरान छात्रों के भीतर राष्ट्रवाद की जो अलख वे जगा देते थे, वैसा कोई दूसरा नहीं कर पाता।
सोनभद्र, मिर्जापुर के आदिवासी इलाकों में जाकर करते थे बातचीत
सर्व समावेशी और सर्व स्पर्शी भाव हमेशा उनके भीतर रहता है। वह बेबाक टिप्पणी के लिए प्रसिद्ध हैं। बनारस में प्रवास के दौरान वे अति पिछड़े इलाकों में जाना पसंद करते थे। सोनभद्र, मिर्जापुर के आदिवासी इलाकों में जाकर वहां उनसे बातचीत करते थे। उनकी समस्याओं को समझते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बंगलूरू में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह (महासचिव) का चुनाव हो गया।अब सुरेश भैयाजी जोशी की जगह दतात्रेय होसबाले को सरकार्यवाह की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दतात्रेय 2009 से सह सरकार्यवाह का दायित्व निर्वहन कर रहे थे। लंबे समय तक दतात्रेय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन महामंत्री रहे। एबीवीपी और आरएसएस को असम में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई। असम के रास्ते बीजेपी पूर्वोतर के राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
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