इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सकीय आधार पर दो सहायक अध्यापकों द्वारा म्यूचुअल ट्रांसफर की मांग पर बिना किसी औपचारिकता के विचार कर निर्णय लेने का सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची की पत्नी कैंसर से पीड़ित है। उसने अपने गृह जनपद में तैनात एक शिक्षक की सहमति से स्थानांतरण की मांग की है। इस पर तत्काल निर्णय लिया जाए। सीमा रानी और कपिल चौधरी की याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सुनवाई की। याचीगण के अधिवक्ता नवीन शर्मा का कहना था कि याची सीमा रानी की नियुक्ति बागपत में है, जबकि कपिल की शामली में। सीमा ने बागपत से शामली और कपिल ने शामली से बागपत स्थानांतरण करने की अर्जी दी थी। कपिल की पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं, इसलिए उन्होंने स्थानांतरण की मांग की है। दोनों सहायक अध्यापक म्यूचुअल स्थानांतरण चाहते हैं। इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने उनकी अर्जियों पर कोई निर्णय नहीं लिया है।अधिवक्ता ने बताया कि हालांकि, उन्होंने ऑनलाइन आवेदन फार्म भरने की औपचारिकता पूरी नहीं की है, मगर याची को तत्काल स्थानांतरण की आवश्यकता है। कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि यदि याचीगण कोर्ट के आदेश की प्रति और याचिका दो सप्ताह के भीतर उनके समक्ष प्रस्तुत करते हैं तो सचिव याचीगण के प्रत्यावेदन पर सकारण उचित आदेश पारित करें। खासकर याची कपिल की चिकित्सकीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मौजूदा नीति और गाइडलाइन के तहत आदेश पारित करें तथा आवेदन करने की तकनीकी औपचारिकताओं पर जोर न दें।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिकित्सकीय आधार पर दो सहायक अध्यापकों द्वारा म्यूचुअल ट्रांसफर की मांग पर बिना किसी औपचारिकता के विचार कर निर्णय लेने का सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची की पत्नी कैंसर से पीड़ित है। उसने अपने गृह जनपद में तैनात एक शिक्षक की सहमति से स्थानांतरण की मांग की है। इस पर तत्काल निर्णय लिया जाए। सीमा रानी और कपिल चौधरी की याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सुनवाई की।
याचीगण के अधिवक्ता नवीन शर्मा का कहना था कि याची सीमा रानी की नियुक्ति बागपत में है, जबकि कपिल की शामली में। सीमा ने बागपत से शामली और कपिल ने शामली से बागपत स्थानांतरण करने की अर्जी दी थी। कपिल की पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं, इसलिए उन्होंने स्थानांतरण की मांग की है। दोनों सहायक अध्यापक म्यूचुअल स्थानांतरण चाहते हैं। इसके बाद बेसिक शिक्षा परिषद ने उनकी अर्जियों पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
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