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इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल होने वाली याचिकाओं में वकालतनामे के साथ सौ रुपये के बार एसोसिएशन के कूपन की अनिवार्यता की वैधता को चुनौती दी गई है। इसे लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने महानिबंधक हाईकोर्ट व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से जवाब मांगा है और याचिका को सुनवाई के लिए दो अप्रैल को पेश करने का निर्देश दिया है। अभिषेक तिवारी, सर्वजीत कुमार व हरि शुक्ल अधिवक्ताओं की जनहित याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय यादव तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने की।हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने वकालतनामे पर 100 रुपये के बार एसोसिएशन के कूपन को अनिवार्य करने की अनुमति दी है। जिसकी वैधता को चुनौती दी गई है। याचियों का कहना है कि हाईकोर्ट रूल्स में ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके तहत वकालतनामे पर बार एसोसिएशन को 100 रुपये का कूपन लगाने का अधिकार दिया जा सके।
याचियों का कहना है कि मुख्य न्यायाधीश का आदेश हाईकोर्ट रूल्स के खिलाफ है, उसे रद्द किया जाए। याचिका में मुख्य न्यायाधीश को भी पक्षकार बनाया गया था मगर कोर्ट के आदेश पर मुख्य न्यायाधीश को याचिका में पक्षकार से हटा लिया गया है।
बार एसोसिएशन के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने 12 अक्तूबर 20 को बिना 100 रुपये के बार एसोसिएशन के कूपन के वकालतनामा स्वीकार न करने का आदेश दिया। जिसे महानिबंधक ने 28 अक्तूबर को बार एसोसिएशन को सूचित किया है। वकीलों की जनहित याचिका में दोनों आदेश रद्द किए जाने की मांग की गई है।याचियों का कहना है कि 100 रुपये कूपन की अनिवार्यता से कनिष्ठ अधिवक्ताओं को काफी कठिनाई हो रही है। इसलिए इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। अधिवक्ता अभिषेक तिवारी का यह भी कहना है कि मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया प्रस्ताव बार एसोसिएशन से पारित नहीं है। जिसके लिए उन्होंने एसोसिएशन की आम सभा बुलाने की भी मांग की है। इसके लिए अभियान शुरू कर दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल होने वाली याचिकाओं में वकालतनामे के साथ सौ रुपये के बार एसोसिएशन के कूपन की अनिवार्यता की वैधता को चुनौती दी गई है। इसे लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने महानिबंधक हाईकोर्ट व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से जवाब मांगा है और याचिका को सुनवाई के लिए दो अप्रैल को पेश करने का निर्देश दिया है। अभिषेक तिवारी, सर्वजीत कुमार व हरि शुक्ल अधिवक्ताओं की जनहित याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय यादव तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने की।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने वकालतनामे पर 100 रुपये के बार एसोसिएशन के कूपन को अनिवार्य करने की अनुमति दी है। जिसकी वैधता को चुनौती दी गई है। याचियों का कहना है कि हाईकोर्ट रूल्स में ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके तहत वकालतनामे पर बार एसोसिएशन को 100 रुपये का कूपन लगाने का अधिकार दिया जा सके।
वकील
– फोटो : pixabay
याचियों का कहना है कि मुख्य न्यायाधीश का आदेश हाईकोर्ट रूल्स के खिलाफ है, उसे रद्द किया जाए। याचिका में मुख्य न्यायाधीश को भी पक्षकार बनाया गया था मगर कोर्ट के आदेश पर मुख्य न्यायाधीश को याचिका में पक्षकार से हटा लिया गया है।
बार एसोसिएशन के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने 12 अक्तूबर 20 को बिना 100 रुपये के बार एसोसिएशन के कूपन के वकालतनामा स्वीकार न करने का आदेश दिया। जिसे महानिबंधक ने 28 अक्तूबर को बार एसोसिएशन को सूचित किया है। वकीलों की जनहित याचिका में दोनों आदेश रद्द किए जाने की मांग की गई है।याचियों का कहना है कि 100 रुपये कूपन की अनिवार्यता से कनिष्ठ अधिवक्ताओं को काफी कठिनाई हो रही है। इसलिए इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। अधिवक्ता अभिषेक तिवारी का यह भी कहना है कि मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया प्रस्ताव बार एसोसिएशन से पारित नहीं है। जिसके लिए उन्होंने एसोसिएशन की आम सभा बुलाने की भी मांग की है। इसके लिए अभियान शुरू कर दिया है।
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