संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों के सहारे प्रदेश के 75 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में 1130 लोगों ने शिक्षक की नौकरी हासिल की है। इसमें आजमगढ़ के 43 शिक्षक फर्जी पाए गए हैं। इसका खुलासा फर्जी डिग्रियों की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट में हुआ है। उक्त शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाएगा।फर्जी डिग्रियों का मामला सामने आने पर प्रदेश शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 2004 से 2014 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में चयनित उन शिक्षकों के अभिलेखों का दोबारा सत्यापन कराया, जिन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से उपाधि हासिल की है।जिले में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर शिक्षक की नौकरी करने वाले 125 शिक्षकों का डाटा सत्यापन के लिए भेजा गया था। जिसमें से 43 शिक्षकों के अभिलेख फर्जी मिले हैं। माना जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे विश्वविद्यालयों के अधिकारी और कर्मचारी भी संलिप्त हैं। जांच चल रही है दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। उक्त शिक्षकों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
परिषदीय विद्यालयों में आए दिन फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। इस फर्जीवाड़े को जड़ से मिटाने के लिए विद्यालयों में तैनात समस्त शिक्षकों के अभिलेख दोबारा सत्यापन के लिए संबंधित विश्वविद्यालय एवं कालेजों को भेजे गए हैं। सत्यापन प्रक्रिया चल रही है। यदि फर्जी तरीके से कोई नौकरी कर रहा है तो इस सत्यापन के बाद नहीं बचेगा।पहले भी मिल चुके हैं कई फर्जी शिक्षकआजमगढ़। संपूर्णानंद संस्कृत विवि के फर्जी अभिलेख के आधार पर नौकरी पाने के मामले पहले भी जिले में कई बार सामने आ चुके हैं। दो साल पहले 14 शिक्षकों को ऐसे ही प्रकरण में बर्खास्त किया गया था। इसमें ठेकमा में कई ऐसे मामले सामने आए थे। अब 43 और शिक्षकों को चिह्नित किया गया है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों के सहारे प्रदेश के 75 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में 1130 लोगों ने शिक्षक की नौकरी हासिल की है। इसमें आजमगढ़ के 43 शिक्षक फर्जी पाए गए हैं। इसका खुलासा फर्जी डिग्रियों की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट में हुआ है। उक्त शिक्षकों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाएगा।
फर्जी डिग्रियों का मामला सामने आने पर प्रदेश शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 2004 से 2014 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में चयनित उन शिक्षकों के अभिलेखों का दोबारा सत्यापन कराया, जिन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से उपाधि हासिल की है।
जिले में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर शिक्षक की नौकरी करने वाले 125 शिक्षकों का डाटा सत्यापन के लिए भेजा गया था। जिसमें से 43 शिक्षकों के अभिलेख फर्जी मिले हैं। माना जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे विश्वविद्यालयों के अधिकारी और कर्मचारी भी संलिप्त हैं। जांच चल रही है दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। उक्त शिक्षकों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
सत्यापन के लिए भेजा गया था डाटा
परिषदीय विद्यालयों में आए दिन फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। इस फर्जीवाड़े को जड़ से मिटाने के लिए विद्यालयों में तैनात समस्त शिक्षकों के अभिलेख दोबारा सत्यापन के लिए संबंधित विश्वविद्यालय एवं कालेजों को भेजे गए हैं। सत्यापन प्रक्रिया चल रही है। यदि फर्जी तरीके से कोई नौकरी कर रहा है तो इस सत्यापन के बाद नहीं बचेगा।पहले भी मिल चुके हैं कई फर्जी शिक्षकआजमगढ़। संपूर्णानंद संस्कृत विवि के फर्जी अभिलेख के आधार पर नौकरी पाने के मामले पहले भी जिले में कई बार सामने आ चुके हैं। दो साल पहले 14 शिक्षकों को ऐसे ही प्रकरण में बर्खास्त किया गया था। इसमें ठेकमा में कई ऐसे मामले सामने आए थे। अब 43 और शिक्षकों को चिह्नित किया गया है।
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