पंचायत चुनाव की तैयारी में जुटे भावी उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण गांव की खाक छानते हुए लोगों के चरण पकड़ने वाले प्रत्याशियों की रफ्तार में फिलहाल कमी आ गई है। वहीं आरक्षण बदलने की उम्मीद लगाए नए दावेदार सामने आ गए हैं और दावा कर रहे हैं कि इस बार आरक्षण उनके मनमाफिक आ सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने सरकार की ओर से जारी आरक्षण सूची को रद्द करते हुए 2015 को आधार वर्ष मानकर नए सिरे से आरक्षण सूची जारी करने और चुनाव कराने का निर्देश जारी किया है। इसके बाद से चुनाव की तैयारी में जुटे दावेदारों की उम्मीदों पर मानो तुषारापात हो गया है। कई आरक्षण अपने हिसाब से आने के बाद तैयारी में जुटे दावेदारों ने काफी पैसा भी खर्च कर दिया था।
हाईकोर्ट ने 27 मार्च को नए सिरे से आरक्षण जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही आरक्षण सूची जारी करने के लिए 2015 को आधार वर्ष माना है। कयास लगाए जा रहे हैं जो सीट अनारक्षित हुई थी व आरक्षित हो सकती है और जो आरक्षित श्रेणी में थी उसे या तो सामान्य या कोई दूसरा आरक्षण लागू हो सकता है। गांव में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। सीट मनमाफिक न आने के कारण घर बैठे तमाम नेता सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं। नए नए पोस्ट डालकर मतदाताओं को होली, नवरात्रि की बधाई दे रहे हैं।
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