17 जनवरी 2007। शहर के इतिहास में यह रात शायद सबसे काली रातों में से एक मानी जाएगी। करेली के मदरसे में तीन बंदूकधारी घुसे और लड़कियों के हास्टल में घुस गए। लड़कियों को सामने खड़ा किया गया। उनके नकाब उतरवाए गए। इसके बाद दो नाबालिग लड़कियों को हैवान उठा ले गए। बगल में नदी के किनारे रात भर दरिंदों ने दोनों लड़कियों नोचा खसोटा।
सुबह होने से पहले दोनों को मदरसे के दरवाजे पर फेंककर भाग गए। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था। तत्कालीन सपा सरकार बैकफुट पर आ गई थी। यह पहली घटना थी जिसमें अतीक ने अपने ही लोगों का मान सम्मान और समर्थन खो दिया था। पुलिस ने इस कांड में पांच रिक्शे वालों और दर्जी का काम करने वालों का पकड़ा था जिन्हें बाद में अदालत से राहत मिल गई। उन लोगों ने पुलिस पर फंसाने का आरोप लगाते हुए घटना में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था। यह सवाल आज भी जिंदा है कि अगर वे असली आरोपी नहीं थे तो किसने इस कांड को अंजाम दिया था?
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