उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में सिगरा-महमूरगंज सीवर की आठ सौ मीटर पाइप लाइन डालने में 10 करोड़ रुपये खर्च हो गए। बावजूद इसके अभी तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई है। इस मामले की ऑडिट रिपोर्ट व तकनीकी फाल्ट रिपोर्ट विधान परिषद की अंकुश समिति में पेश की जाएगी। समिति ने अपर मुख्य सचिव नगर विकास को निर्देशित किया है कि समिति की अगली बैठक में इस रिपोर्ट को पेश करें।समिति सदस्य एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने 800 मीटर लंबी सिगरा-महमूरगंज सीवर पाइप डालने में लगे 8 साल और प्रति 100 मीटर पाइप लाइन बिछाने मे 100.25 लाख रुपये खर्च (1 मीटर पर 1.25 लाख) पर अंकुश समिति में सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि 800 मीटर सीवर पाइप लाइन बिछाने में 10 करोड़ रुपये क्यों खर्च हो गए। 13 वें वित्त आयोग द्वारा प्रथम चरण में जेएनएनयूआरएम के तहत जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा सन 2012-13 में शुरू की गई योजना को अमृत योजना के अंतर्गत सन 2020 में किसी तरह पूरा किया गया। इस योजना के चलते स्थानीय नागरिकों को धूल, गंदा पानी, फेफड़े, गर्दन न व रीढ़ की हड्डी की बीमारी भी हुई।
योजना अवधि में धूल फांकने के अलावा सीवर जलजमाव और गड्ढों में गिरने का सिलसिला चला। पीने की पाइप लाइन में सीवर जल मिलता रहा। व्यापार ठप रहा। दो गुना लागत खर्च हो गई। सड़क न बनाने और गैर कानूनी सीवर लाइन जोड़ने हेतु रोड कटिंग आज भी जारी है। 2012-13 से 15 जुलाई 2015 तक तक मात्र 1.80 मीटर तक सीवर लाइन बिछाई गई थी। 800 मीटर मे 7 ठेकेदारों को ठेका दिया गया था। वे सभी ठेकेदार काम अधूरा छोड़ कर भाग गए थे। 2018 में मेसर्स हरिमोहन शर्मा कंपनी को 686 लाख का ठेका दिया गया था। वह कंपनी भी अधूरा काम छोड़कर भाग गई थी। जीएम जल निगम तक सस्पेंड हुए थे।बिना सर्वे के हुआ था काम
दरअसल पूरा काम बिना अंडरग्राउंड सर्वे कराने से एलाइंगमेंट गड़बड़ा गया था। सिगरा ईसाई बस्ती के सामने शंभू यादव के मकान के नीचे सीवर पाइप चला गया और गलत बेंड बनाया गया था। एक सीवर पाइप ऊपर तो दूसरा पाइप एक मीटर नीचे था। इसे सही कराने में तीन साल लग गए। विद्या सागर सोनकर के सभापतित्व में संपन्न बैठक में ध्रुव नारायण त्रिपाठी, सनी यादव, जितेंद्र यादव, सीपी चंद, चंचल सिंह, उदयवीर एमएलसी सहित अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे, सचिव नगर विकास अनुराग यादव, वाराणसी जल निगम महाप्रबंधक पुरवार, विशेष सचिव नगर विकास आदि उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में सिगरा-महमूरगंज सीवर की आठ सौ मीटर पाइप लाइन डालने में 10 करोड़ रुपये खर्च हो गए। बावजूद इसके अभी तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई है। इस मामले की ऑडिट रिपोर्ट व तकनीकी फाल्ट रिपोर्ट विधान परिषद की अंकुश समिति में पेश की जाएगी। समिति ने अपर मुख्य सचिव नगर विकास को निर्देशित किया है कि समिति की अगली बैठक में इस रिपोर्ट को पेश करें।
समिति सदस्य एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने 800 मीटर लंबी सिगरा-महमूरगंज सीवर पाइप डालने में लगे 8 साल और प्रति 100 मीटर पाइप लाइन बिछाने मे 100.25 लाख रुपये खर्च (1 मीटर पर 1.25 लाख) पर अंकुश समिति में सवाल उठाए थे। उन्होंने पूछा था कि 800 मीटर सीवर पाइप लाइन बिछाने में 10 करोड़ रुपये क्यों खर्च हो गए। 13 वें वित्त आयोग द्वारा प्रथम चरण में जेएनएनयूआरएम के तहत जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा सन 2012-13 में शुरू की गई योजना को अमृत योजना के अंतर्गत सन 2020 में किसी तरह पूरा किया गया। इस योजना के चलते स्थानीय नागरिकों को धूल, गंदा पानी, फेफड़े, गर्दन न व रीढ़ की हड्डी की बीमारी भी हुई।
योजना अवधि में धूल फांकने के अलावा सीवर जलजमाव और गड्ढों में गिरने का सिलसिला चला। पीने की पाइप लाइन में सीवर जल मिलता रहा। व्यापार ठप रहा। दो गुना लागत खर्च हो गई। सड़क न बनाने और गैर कानूनी सीवर लाइन जोड़ने हेतु रोड कटिंग आज भी जारी है। 2012-13 से 15 जुलाई 2015 तक तक मात्र 1.80 मीटर तक सीवर लाइन बिछाई गई थी। 800 मीटर मे 7 ठेकेदारों को ठेका दिया गया था। वे सभी ठेकेदार काम अधूरा छोड़ कर भाग गए थे। 2018 में मेसर्स हरिमोहन शर्मा कंपनी को 686 लाख का ठेका दिया गया था। वह कंपनी भी अधूरा काम छोड़कर भाग गई थी। जीएम जल निगम तक सस्पेंड हुए थे।बिना सर्वे के हुआ था काम
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