हाइलाइट्स:दुनिया के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में नोएडा और ग्रेनो भी शामिल हैंएक रिपोर्ट के मुताबिक, बिसरख जलालपुर दुनिया का चौथा सबसे प्रदूषित शहर है नोएडा छठा, ग्रेटर नोएडा सातवां और गाजियाबाद इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैंनोएडादुनिया के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में नोएडा और ग्रेनो भी शामिल हैं। आईक्यू एयर विजुअल की रिपोर्ट के मुताबिक, बिसरख जलालपुर दुनिया का चौथा, नोएडा छठा और ग्रेटर नोएडा सातवां सबसे प्रदूषित शहर रहा। पड़ोसी जिला गाजियाबाद इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है। यह हाल तब है जब प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए जिला जिला प्रशासन, प्राधिकरण और प्रदूषण विभाग की ओर से तमाम काम करने और कार्रवाई के दावे किए जाते हैं। वर्ष 2020 के पीएम 2.5 पर आधारित रिपोर्ट में दुनिया के आठ हजार से ज्यादा शहरों के वायु प्रदूषण पर अध्ययन के बाद प्रदूषित शहरों की सूची तैयार की गई।प्रदूषण की स्थित गंभीर होने पर सभी संबंधित विभाग अचानक हरकत में आ जाते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर सभी शांत हो जाते हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान साफ वातावरण ने उम्मीद जगाई थी। उसके बाद पहले जैसे हालात होते ही स्थिति फिर गंभीर हो गई। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का सख्ती से पालन नहीं किया गया। प्रदूषण स्तर कम करने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। इसी का असर है कि पिछले 2 साल के मुकाबले इस साल पीएम 2.5 का स्तर कम हुआ है। आने वाले वक्त में इसे और कम किया जाएगा। आगामी वर्ष में प्रदूषण कम करने को लेकर कई तरह के प्लान बनाए जा रहे हैं।प्रवीण कुमार, जिला प्रदूषण अधिकारी, गौतमबुद्ध नगरजीबीयू के प्रोफेसर एनपी मलकनिया का कहना है कि लॉकडाउन के कारण पिछले साल कई महीने तक न तो फैक्ट्रियों का संचालन हुआ और न ही सड़कों पर गाड़ियों का काफिला निकला। यही कारण रहा कि प्रदूषण के स्तर में कमी आई। अगर लॉकडाउन न होता तो प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा हो गया होता। यहीं के प्रोफेसर अरविंद सिंह का कहना है कि प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए प्रशासन की तरफ से कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इस वजह से ऐसे हालात बने हुए हैं।आंकड़ों में आई मामूली कमीरिपोर्ट में ग्रेनो, नोएडा और बिसरख भले ही प्रदूषण के लिहाज से टॉप टेन में हों, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल प्रदूषण का स्तर कम हुआ है। इस साल ग्रेटर नोएडा का औसत पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 लेबल 89.5 रहा, जो पिछले साल 91.3 था। वहीं नोएडा का औसत पीएम लेवल 94.3 रहा। 2019 में यह 97.6, 2018 में 123.6 और 2017 में 134 था। बिसरख इस सूची में नया है। बिसरख का औसत पीएम लेवल 96 दर्ज किया गया है। बिसरख से आशय ग्रेनो वेस्ट से है। ज्यादातर दिनों में ग्रेनो वेस्ट का एक्यूआई नोएडा और ग्रेनो की तुलना में अधिक रहता है। लॉकडाउन में ढील मिलते ही प्रदूषण का स्तर शिखर पर पहुंच गया। दिसंबर में नोएडा का औसत पीएम 2.5 का लेबल 160.1, ग्रेनो का 177.9 और बिसरख का 170.2 रहा। ये सभी महीनों में सर्वाधिक रहा। वहीं तीनों जगह अगस्त में पीएम 2.5 सबसे कम रहा।प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए ग्रैप, एनजीटी सहित अन्य निर्देशों का पालन किया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों को प्रदूषण कम करने का निर्देश दिया गया है। प्रदूषण बढ़ने के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार के जो भी निर्देश हैं उसको ध्यान में रखकर आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।सुहास एलवाई,जिलाधिकारी, गौतमबुद्ध नगरबच्चों पर पड़ता है बुरा असरपीएम 2.5 का स्तर ज्यादा हो जाने से वातावरण में धुंध बढ़ जाती है। सांस लेते समय ये कण शरीर में जाने से सांस लेने में परेशानी होती है। कई और बीमारी होने का खतरा रहता है। हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बढ़ने का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। पीएम 2.5 की मात्रा 60 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है।देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा ग्रेनोग्रेनो में मंगलवार को प्रदूषण खतरनाक स्तर पर था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 315 एक्यूआई के साथ ग्रेनो देश और एनसीआर का सबसे प्रदूषित शहर रहा। 296 एक्यूआई के साथ गाजियाबाद भी रेड जोन के मुहाने पर रहा। नोएडा का एक्यूआई 260, गुरुग्राम का 232 और फरीदाबाद का 252 दर्ज किया गया।दुनिया के टॉप 10 प्रदूषित शहरस्थान शहर देश1 होटन चीन2गाजियाबाद भारत3बुलंदशहरभारत4बिसरख जलालपुरभारत5 भिवाड़ीभारत6 नोएडाभारत7 ग्रेटर नोएडाभारत8 कानपुरभारत9लखनऊभारत10 दिल्लीभारतसांकेतिक तस्वीर
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