Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

काला घोड़ा शूटआउट: संगमनगरी के शूटरों ने मुंबई में मचा दिया था कोहराम

ख़बर सुनें

ख़बर सुनें

जगह: मुंबई, वक्त:  16 अक्तूबर 2006। मुंबई के काला घोड़ा इलाके में पुलिस की एक वैन दो कैदियों को लेकर कोर्ट में पेशी के लिए जा रही थी। उसी समय वैन को चारों ओर से घेरकर अपराधियों ने फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की तड़तड़ाहट उस वक्त रुकी जब गाड़ी में बैठे दोनों कैदियों के जिस्म ठंडे हो गए।
 
गोली मारने वाले बदमाश सरेआम वहां से निकले और कुछ ही मिनटों में भीड़ में गुम हो गए। दिन दहाड़े पुलिस की वैन में दो अपराधियों के मारे जाने से मुंबई में तहलका मच गया। पुलिस ने जब मामले का खुलासा किया तो पता चला कि दोनों हत्याएं दाऊद और छोटा राजन के गैंगवार का नतीजा थीं। खुलासे में सबसे चौंकाने वाली बात थी कि शूटआउट को अंजाम देने वाले शूटर इलाहाबाद के थे।
उस समय पहली बार पता चला कि अंडरवर्ल्ड की जड़े इलाहाबाद तक पहुंच गईं हैं। इस कांड में शहर के अपराधी बच्चा पासी, जफर मुबारक और खान मुबारक को मुंबई क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था।
2006 के आसपास दाऊद गैंग और छोटा राजन गैंग के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैंगवार चल रही थी। दोनों एक दूसरे के आदमियों को मुंबई ही नहीं थाईलैंड, मलेशिया और दुबई आदि देशों में मरवा रहे थे। छोटा राजन उस वक्त मलेशिया में अपना आपराधिक साम्राज्य कायम किए था। मुंबई में छोटा राजन के बेहद खास ड्रग माफिया एजाज पठान के 50 लाख ड्रग पैडलर अमजद खान और हिमांशु चौधरी ने लिए थे। एजाज पठान और उन दोनों में न जाने क्या विवाद हुआ, दोनों पठान का पैसा बिना लौटाए ही दाऊद गिरोह से जुड़ गए।
यह बात एजाज को बहुत खली। उसने दोनों को मरवाने के लिए सुपारी दे दी। इसी बीच अमजद खान और हिमांशु चौधरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह बात छोटा राजन तक पहुंचाई गई। तब तक छोटा राजन गिरोह ने यूपी के इलाहाबाद समेत कई शहरों में शूटरों की नई पौध तैयार कर ली थी। तय हुआ कि अमजद खान और हिमांशु चौधरी को पुलिस कस्टडी में ही मारा जाएगा ताकि एक तीर से दो निशाना साधा जा सके। दाऊद गिरोह के साथ ही पुलिस को मैसेज जाएगा कि छोटा राजन गिरोह से पंगा लेने वाला कहीं भी बच नहीं सकता।
उस वक्त जफर मुबारक उर्फ सुपारी और राजेश यादव से संपर्क किया गया। 2006 में यही दोनों छोटा राजन के गिरोह में छोटे शहरों के नए शूटरों को भर्ती कर उन्हें मुंबई भेज रहे थे। सब कुछ तय हो गया। अमजद और हिमांशु की सुपारी इलाहाबाद के अपराधियों को दी गई। काम बहुत टेढ़ा था। दो ड्रग पैडलर को पुलिस कस्टडी में मारना बेहद मुश्किल काम था, वह भी दिन दहाड़े जब मुंबई की सड़कों पर भारी भीड़ होती है। 16 अक्टूबर 2006 को अमजद और हिमांशु की कोर्ट में पेशी थी।
शहर से शूटर पहले ही मुंबई पहुंच गए थे। जेल से कोर्ट तक के पूरे रास्ते की कई बार रेकी की गई। गोली मारने के बाद भागने के लिए पुख्ता इंतजाम के बाद आखिरकार वह तारीख आ गई। अमजद और हिमांशु की काला घोड़ा इलाके में पुलिस कस्टडी में ही हत्या कर दी गई। दोनों की सरेआम हत्या के बाद शूटर फरार हो गए। पुलिस कस्टडी में हुआ यह हत्याकांड मुंबई पुलिस के लिए बेहद शर्मनाक था। जांच के बाद एजाज पठान के भतीजे को गिरफ्तार किया गया। फोन काल्स और बयानों के आधार पर मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने हत्याकांड के कुछ समय बाद शहर के शातिर अपराधी बच्चा पासी को गिरफ्तार किया था। बच्चा ही नहीं जफर सुपारी और उसके भाई खान मुबारक को भी पुलिस ने पकड़ा था। मुंबई पुलिस ने राजेश यादव से भी पूछताछ की थी। 
गैंग के लिए शूटरों को रिक्रूट करते थे जफर सुपारी और राजेश यादव
जफर मुबारक और उसका भाई खान मुबारक मूलत: अंबेडकर नगर के रहने वाले हैं। 2006 में खान मुबारक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए कर रहा था। क्रिकेट मैच में आउट देने के विवाद में मुबारक ने अंपायर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसी के बाद वह और उसका भाई जफर जेल गए। यहीं से उनकी आपराधिक दुनिया की शुरुआत हुई। जेल में ही किसी अन्य कैदी के माध्यम से जफर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक पहुंच गया।
 
जेल से छूटने के बाद वह मुंबई गया और छोटा राजन गिरोह के लिए काम करने लगा। झूंसी का राजेश यादव उस वक्त डा. कार्तिकेय शर्मा का अपहरण करने के कारण काफी चर्चा में था। जफर के माध्यम से राजेश यादव और बच्चा पासी भी छोटा राजन गैंग से जुड़ गए। राजेश और जफर का काम इलाहाबाद तथा अन्य जिलों से शूटर तैयार कर गिरोह में रिक्रूट कराना था। राजेश ने शहर के दो दर्जन से अधिक लड़कों को छोटा राजन के गिरोह में शामिल करवाया था। 
अब तक 50 से अधिक शूटर हो चुके हैं गिरफ्तार
छोटा राजन गिरोह के लिए प्रदेश के इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सीतापुर, आजमगढ़, जौनपुर और बलरामपुर से अब तक 50 से अधिक शूटर गिरफ्तार हो चुके हैं। छोटा राजन ने दो बड़े फिल्मकारों को मारने की सुपारी ली थी। शूटर चुने गए थे लखनऊ और बाराबंकी के। हालांकि घटना से पहले ही पुलिस ने दोनों शूटरों को पकड़ लिया था। 

जगह: मुंबई, वक्त:  16 अक्तूबर 2006। मुंबई के काला घोड़ा इलाके में पुलिस की एक वैन दो कैदियों को लेकर कोर्ट में पेशी के लिए जा रही थी। उसी समय वैन को चारों ओर से घेरकर अपराधियों ने फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की तड़तड़ाहट उस वक्त रुकी जब गाड़ी में बैठे दोनों कैदियों के जिस्म ठंडे हो गए।

 
गोली मारने वाले बदमाश सरेआम वहां से निकले और कुछ ही मिनटों में भीड़ में गुम हो गए। दिन दहाड़े पुलिस की वैन में दो अपराधियों के मारे जाने से मुंबई में तहलका मच गया। पुलिस ने जब मामले का खुलासा किया तो पता चला कि दोनों हत्याएं दाऊद और छोटा राजन के गैंगवार का नतीजा थीं। खुलासे में सबसे चौंकाने वाली बात थी कि शूटआउट को अंजाम देने वाले शूटर इलाहाबाद के थे।

उस समय पहली बार पता चला कि अंडरवर्ल्ड की जड़े इलाहाबाद तक पहुंच गईं हैं। इस कांड में शहर के अपराधी बच्चा पासी, जफर मुबारक और खान मुबारक को मुंबई क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था।

daud ibrahim

2006 के आसपास दाऊद गैंग और छोटा राजन गैंग के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैंगवार चल रही थी। दोनों एक दूसरे के आदमियों को मुंबई ही नहीं थाईलैंड, मलेशिया और दुबई आदि देशों में मरवा रहे थे। छोटा राजन उस वक्त मलेशिया में अपना आपराधिक साम्राज्य कायम किए था। मुंबई में छोटा राजन के बेहद खास ड्रग माफिया एजाज पठान के 50 लाख ड्रग पैडलर अमजद खान और हिमांशु चौधरी ने लिए थे। एजाज पठान और उन दोनों में न जाने क्या विवाद हुआ, दोनों पठान का पैसा बिना लौटाए ही दाऊद गिरोह से जुड़ गए।

छोटा राजन

यह बात एजाज को बहुत खली। उसने दोनों को मरवाने के लिए सुपारी दे दी। इसी बीच अमजद खान और हिमांशु चौधरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह बात छोटा राजन तक पहुंचाई गई। तब तक छोटा राजन गिरोह ने यूपी के इलाहाबाद समेत कई शहरों में शूटरों की नई पौध तैयार कर ली थी। तय हुआ कि अमजद खान और हिमांशु चौधरी को पुलिस कस्टडी में ही मारा जाएगा ताकि एक तीर से दो निशाना साधा जा सके। दाऊद गिरोह के साथ ही पुलिस को मैसेज जाएगा कि छोटा राजन गिरोह से पंगा लेने वाला कहीं भी बच नहीं सकता।

छोटा राजन (फाइल फोटो)

उस वक्त जफर मुबारक उर्फ सुपारी और राजेश यादव से संपर्क किया गया। 2006 में यही दोनों छोटा राजन के गिरोह में छोटे शहरों के नए शूटरों को भर्ती कर उन्हें मुंबई भेज रहे थे। सब कुछ तय हो गया। अमजद और हिमांशु की सुपारी इलाहाबाद के अपराधियों को दी गई। काम बहुत टेढ़ा था। दो ड्रग पैडलर को पुलिस कस्टडी में मारना बेहद मुश्किल काम था, वह भी दिन दहाड़े जब मुंबई की सड़कों पर भारी भीड़ होती है। 16 अक्टूबर 2006 को अमजद और हिमांशु की कोर्ट में पेशी थी।

prayagraj news : बच्चा पासी
– फोटो : prayagraj

शहर से शूटर पहले ही मुंबई पहुंच गए थे। जेल से कोर्ट तक के पूरे रास्ते की कई बार रेकी की गई। गोली मारने के बाद भागने के लिए पुख्ता इंतजाम के बाद आखिरकार वह तारीख आ गई। अमजद और हिमांशु की काला घोड़ा इलाके में पुलिस कस्टडी में ही हत्या कर दी गई। दोनों की सरेआम हत्या के बाद शूटर फरार हो गए। पुलिस कस्टडी में हुआ यह हत्याकांड मुंबई पुलिस के लिए बेहद शर्मनाक था। जांच के बाद एजाज पठान के भतीजे को गिरफ्तार किया गया। फोन काल्स और बयानों के आधार पर मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने हत्याकांड के कुछ समय बाद शहर के शातिर अपराधी बच्चा पासी को गिरफ्तार किया था। बच्चा ही नहीं जफर सुपारी और उसके भाई खान मुबारक को भी पुलिस ने पकड़ा था। मुंबई पुलिस ने राजेश यादव से भी पूछताछ की थी। 

prayagraj news : अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का शार्प शूटर राजेश यादव।
– फोटो : prayagraj

गैंग के लिए शूटरों को रिक्रूट करते थे जफर सुपारी और राजेश यादव
जफर मुबारक और उसका भाई खान मुबारक मूलत: अंबेडकर नगर के रहने वाले हैं। 2006 में खान मुबारक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए कर रहा था। क्रिकेट मैच में आउट देने के विवाद में मुबारक ने अंपायर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसी के बाद वह और उसका भाई जफर जेल गए। यहीं से उनकी आपराधिक दुनिया की शुरुआत हुई। जेल में ही किसी अन्य कैदी के माध्यम से जफर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक पहुंच गया।
 
जेल से छूटने के बाद वह मुंबई गया और छोटा राजन गिरोह के लिए काम करने लगा। झूंसी का राजेश यादव उस वक्त डा. कार्तिकेय शर्मा का अपहरण करने के कारण काफी चर्चा में था। जफर के माध्यम से राजेश यादव और बच्चा पासी भी छोटा राजन गैंग से जुड़ गए। राजेश और जफर का काम इलाहाबाद तथा अन्य जिलों से शूटर तैयार कर गिरोह में रिक्रूट कराना था। राजेश ने शहर के दो दर्जन से अधिक लड़कों को छोटा राजन के गिरोह में शामिल करवाया था। 
अब तक 50 से अधिक शूटर हो चुके हैं गिरफ्तार
छोटा राजन गिरोह के लिए प्रदेश के इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सीतापुर, आजमगढ़, जौनपुर और बलरामपुर से अब तक 50 से अधिक शूटर गिरफ्तार हो चुके हैं। छोटा राजन ने दो बड़े फिल्मकारों को मारने की सुपारी ली थी। शूटर चुने गए थे लखनऊ और बाराबंकी के। हालांकि घटना से पहले ही पुलिस ने दोनों शूटरों को पकड़ लिया था।