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महाशिवरात्रि का पर्व 11मार्च को मनाया जाएगा। भोले के भक्त दर्शन, पूजन के साथ ही जलाभिषेक, रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय का जप करेंगे। रात्रि जागरण करते हुए उन्हें याद किया जाएगा। मान्यता है कि ग्रहों के शुभफल की प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान शिव की पूजा श्रेष्ठ फलदायक होती है। पर्व पर बृहस्पतिवार को चतुर्दश लिंग की पूजा के साथ ही बैद्यनाथ जयन्ंती भी मनायी जाएगी। श्रद्धालु महाशिवरात्रि का व्रत भी रखेंगे। व्रत का पारण 12 मार्च को किया जाएगा।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी ‘पूर्वांचली’ के मुताबिक त्रयोदशी तिथि का संचरण 10 मार्च को दिन में 2.52 बजे हुआ, तिथि 11 मार्च को दिन में 2.21 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। ऐसे में प्रदोष एवं निशीथ काल मे चतुर्दशी तिथि मिलने से पर्व का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
महाशिवरात्रि का पर्व 11मार्च को मनाया जाएगा। भोले के भक्त दर्शन, पूजन के साथ ही जलाभिषेक, रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय का जप करेंगे। रात्रि जागरण करते हुए उन्हें याद किया जाएगा। मान्यता है कि ग्रहों के शुभफल की प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान शिव की पूजा श्रेष्ठ फलदायक होती है। पर्व पर बृहस्पतिवार को चतुर्दश लिंग की पूजा के साथ ही बैद्यनाथ जयन्ंती भी मनायी जाएगी। श्रद्धालु महाशिवरात्रि का व्रत भी रखेंगे। व्रत का पारण 12 मार्च को किया जाएगा।
शिव
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी ‘पूर्वांचली’ के मुताबिक त्रयोदशी तिथि का संचरण 10 मार्च को दिन में 2.52 बजे हुआ, तिथि 11 मार्च को दिन में 2.21 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। ऐसे में प्रदोष एवं निशीथ काल मे चतुर्दशी तिथि मिलने से पर्व का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
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