हाइलाइट्स:अंकित के पिता अशोक वर्मा का निधन 5 वर्ष पहले हो चुका अंकित साईं इंटर कॉलेज में कक्षा 12 में अध्ययनरत हैंस्कूल ने अंकित की पूरी फीस माफ कर दीबाराबंकीकहते हैं कि मां बच्चे की पहली गुरु होती है। महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन को मंदबुद्धि कहकर स्कूल से निकाल दिया गया था। लेकिन एक मां ने उसको महान वैज्ञानिक बना दिया। एक ऐसी ही मां यूपी के बाराबंकी जिले में है, जो अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए न दिन देखा न रात में सोने की फिक्र की। बच्चे को पढ़ाने के लिए घरों में बर्तन धोए। आज उस मां की मेहनत से उसके बेटे ने जेईई मेंस परीक्षा में 99.29 फीसदी अंक हासिल किए हैं।पुराने दिनों को याद नहीं करना चाहते अंकितबाराबंकी में नगर क्षेत्र के कार्तिक विहार कॉलोनी के रहने वाले मध्यम परिवार के अंकित पटेल ने जेईई मेंस परीक्षा में 99.29 फीसद अंक हासिल किए हैं। अंकित ने विपरीत हालात में अपना साहस बरकरार रखा और पिता के न रहते हुए अंकित ने यह गौरव हासिल किया। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफलता की कुंजी मिलने के बाद अंकित अपनी बीते जीवन के क्षणों को बयां नहीं करना चाहते। अंकित केवल अपनी पढ़ाई और मेहनत को लक्ष्य मानते हैं। अंकित शहर के श्री साईं इंटर कालेज में बारहवीं कक्षा के छात्र है। बेटे को इंजीनियर बनाने का पूरा होता मां सपनाअपने बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना देख रही अंकित की मां लज्जावती एक लौते बेटे को लेकर काफी चिंतित रहती हैं। वह अपने बीते कष्टों और दुश्वारियों के दिनों की चर्चा नहीं करना चाहती हैं। उनका कहना है कि अंकित को पढ़ाई के लिए कभी कहना नहीं पड़ा और न ही सुबह जगाना पड़ा, वो खुद ही अपनी पढ़ाई करता है। रात में कभी-कभी सोने के लिए लिए कहना पड़ता था। अंकित की मां लज्जावती घरों में बर्तन धोती हैं और लखनऊ के एक निजी स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों की देखभाल की नौकरी कर रही हैं। जिस कमाई से वो अपना खर्च और अपने बेटे को पाल रही हैं। देश की सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरिंग की परीक्षा आईआईटी जेईई मेन्स में नाम आने पर काफी खुशी है।स्कूल प्रबंधन के सदस्य से मिली मददअंकित के मामा शंकर पटेल का कहना है कि अंकित के पिता अशोक वर्मा का निधन 5 वर्ष पहले हो चुका था। घर की दुर्दशा देखते हुए थोड़ी आर्थिक मदद कर दी गई थी। अंकित साईं इंटर कॉलेज में कक्षा 12 में अध्ययनरत हैं। उनकी फीस के पैसे कॉलेज प्रबंधन सदस्य सुरेंद्र वर्मा ने माफ कर दी और इंजीनियरिंग क्षेत्र जाने की ललक देख जेईई की किताबों के लिए आर्थिक मदद कर रहे हैं। जीवन की तमाम दुश्वारियों और कठिनाइयों के बीच अंकित पटेल ने जेईई मेंस में जगह बनाई है। जिससे जिले के साथ अपने स्कूल का नाम किया रोशन किया है।
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