केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, सांसद धर्मेंद्र कश्यप समेत सभी विधायकों ने कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री को भेजी चिट्ठी
बरेली। केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) इज्जतनगर को बचाने के लिए जनप्रतिनिधि आगे आ गए हैं। उन्होंने सीएआरआई के कुक्कुट परियोजना निदेशालय हैदराबाद में विलय करने की प्रक्रिया को निरस्त करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं कृषि कल्याण मंत्री को पत्र भेजा है। इसमें विविध प्रजाति के पक्षियों के विकास को बढ़ावा देने की भी मांग की गई है।विधायक केसर सिंह का कहना है कि बरेली के सीएआरआई का हैदाराबाद के डीपीआर में विलय कर दिया गया है। पूर्व में भी सीएआरआई के विलय का प्रस्ताव था, लेकिन केंद्रीय मंत्री के हस्तक्षेप के बाद यह प्रस्ताव निरस्त हो गया था। केसर सिंह ने बताया कि इस संबंध में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से चर्चा हुई। इसके बाद उन्होंने अपने स्तर से कृषि मंत्रालय से संपर्क कर प्रस्ताव निरस्त करने को कहा। पत्र में सीएआरआई के कुक्कुट विकास में योगदान, प्रजातियों के प्रचार और प्रसार से ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलने, टर्की उत्पादन बढ़ने, विदेशी कुक्कुट को लोकप्रिय बनाने, बटेर पालन को विकसित करने, अनुसूचित जाति, जनजाति को लाभान्वित करने में योगदान का जिक्र किया गया है। कृषि मंत्रालय को भेजे गए पत्र पर विधान परिषद सदस्य हरि सिंह ढिल्लो, सांसद धर्मेंद्र कश्यप, विधायक बहोरन लाल मौर्य, छत्रपाल सिंह गंगवार, धर्मपाल सिंह, प्रो. श्याम बिहारी लाल, डॉ. डीसी वर्मा, डॉ. अरुण कुमार, एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त ने हस्ताक्षर किए हैं।
उत्तर भारत के लिए वरदान है सीएआरआई
सांसदों और विधायकों के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति अंडा उत्पादन, मुर्गे के मांस का उपभोग राष्ट्रीय औसत से 15 फीसदी कम है। इसे सुधारने में सीएआरआई का विशेष योगदान है। वैज्ञानिकों के प्रयास से 14 फ ीसदी तक उत्पादन बढ़ा है। पिछले साल संस्थान में स्वीकृत 40 पदों को घटाकर 22 पद कर दिए गए हैं। सीएआरआई बतख, जापानी बटेर, गिनि फाउल, टर्की, देसी मुर्गियों पर शोध के लिए अधिदेशित है। वैज्ञानिकों की संख्या घटने से शोध कार्य प्रभावित हुआ है। उधर, डीपीआर हैदराबाद को सीएआरआई से एआईआरसीपी को विघटित कर बनाया गया था। परिषद केवल मुर्गी प्रजाति पर शोध के लिए अधिदेशित थी, बाद में इसमें बतख की प्रजातियों पर शोध बढ़ाया गया। हैदराबाद से ज्यादा सीएआरआई की जरूरत उत्तर भारत में है। इसलिए विलय का आदेश तत्काल निरस्त होना चाहिए।
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