prayagraj news : प्रो. अली अहमद फातमी का मकान।
– फोटो : prayagraj
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प्रयागराज विकास प्राधिकरण की कार्रवाई में सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अली अहमद फातमी का लूकरगंज स्थित मकान जमींदोज कर दिया गया। कार्रवाई में करीब ही बना उनकी बेटी नायला फातिमी का घर भी ढहा दिया गया। आरोप है कि उक्त मकान नजूल लैंड पर बना था, जिसकी समय सीमा वर्ष 1999 में पूरी हो गई लेकिन उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया था। जबकि प्र्रो.फातमी कहते हैं कि वर्ष 1999 में ही पहली किस्त के तौर पर 14 हजार रुपये जमा कराए थे, लेकिन वह कार्रवाई आगे ही नहीं बढ़ी।
वर्ष 1988 में महमूदा बेगम से बाकायदा रजिस्ट्री कराई थी, लेकिन पीडीए का कहना है कि लीज खत्म होने के बाद यह अवैध हो गया। भारी मन से बस इतना ही कहा, तकरीबरन 32 बरसों की कमाई रेत की तरह ढह गई, रह गईं हैं तो सिर्फ यादें। यहां मेरे वालिदैन साथ रहे, यहीं से बेटियों की शादी हुई। उपेंद्र नाथ अश्क ने नींव की पहली ईंट रखी थी।अश्क जी सहित भैरव प्रसाद गुप्त, शेखर जोशी सरीखी हस्तियां यहां आती रहीं, जाने कितनी गोष्ठियां हुईं। मकान टूट गया, इसका उतना गम नहीं, जितना बेटियों और नवासे, नवासी की आंसुओं ने तोड़ दिया। रविवार को उधर गया ही नहीं, क्या करता, बर्बादी का मंजर देखने जाता। कई बरस पहले कुवैत में रह रही बड़ी बेटी नायला फातिमी के लिए ही पास में एक प्लॉट लेकर घर बनवाया था, वह भी ढहा दिया गया। आंखों में आंसू भरकर बेटी बोली, अब्बा यह क्या हो गया। सेंट मेरीज में पढ़ने वाली नवासी सारा फातिमी और नवासे सारिम फातमी ने रोकर कहा, अरे मेरी किताबें, आलमारी जा रही है।
लाइब्रेरी की किताबें बचाने में बीता दिन
शनिवार, छह मार्च की शाम को कोई उनके आहाते में एक नोटिस फेंक गया, जब तक उसे उठाकर पढ़ते, वह शख्स जा चुका था। नोटिस पढ़ा तो होश फाख्ता हो गए। तुरंत सामान हटाने की तैयारियां होने लगीं। गली में मकान होने के कारण रविवार को वहां बुलडोजर नहीं पहुंच सका लेकिन सोमवार को घर जमींदोज कर दिया गया। रविवार का पूरा दिन उनके शागिर्द उनकी लाइब्रेरी में रखी तकरीबन साढे पांच-छह हजार किताबों और रिश्तेदार सामान बचाने, सहेजने में जुटे रहे। रविवार रात ही प्रो.फातमी ने करेली स्थित रिश्तेदार के घर जाकर पनाह ली और सामान अपने एक घर में रखवा दिया जिसे उन्होंने रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों से वहीं खरीदा था।
लेखक संगठनों ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण
जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने कहा, सुनकर बहुत धक्का लगा। कानूनी पेच जो भी हो लेकिन बिना मोहलत दिए आनन-फानन में ऐसे घर गिराना तो अमानवीय है। पहले नोटिस देते, किसी अदीब के लिए किताबें ही पूंजी होती है।
जलेस की इलाहाबाद इकाई के सचिव डॉ.बसंत त्रिपाठी बोले, यह बहुत दुखद है। कम से कम जो पढ़ने लिखने वाले लोग हैं, उनके बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले थोड़ी संवेदनशीलता तो बरतनी ही चाहिए। प्रलेस संयोजक मंडल के सदस्य असरार गांधी, संध्या नवोदिता ने कहा, बरसों से रह रहे घर का इस तरह ढहना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण की कार्रवाई में सोमवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अली अहमद फातमी का लूकरगंज स्थित मकान जमींदोज कर दिया गया। कार्रवाई में करीब ही बना उनकी बेटी नायला फातिमी का घर भी ढहा दिया गया। आरोप है कि उक्त मकान नजूल लैंड पर बना था, जिसकी समय सीमा वर्ष 1999 में पूरी हो गई लेकिन उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया था। जबकि प्र्रो.फातमी कहते हैं कि वर्ष 1999 में ही पहली किस्त के तौर पर 14 हजार रुपये जमा कराए थे, लेकिन वह कार्रवाई आगे ही नहीं बढ़ी।
prayagraj news : प्रो. अली अहमद फातमी का मकान।
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वर्ष 1988 में महमूदा बेगम से बाकायदा रजिस्ट्री कराई थी, लेकिन पीडीए का कहना है कि लीज खत्म होने के बाद यह अवैध हो गया। भारी मन से बस इतना ही कहा, तकरीबरन 32 बरसों की कमाई रेत की तरह ढह गई, रह गईं हैं तो सिर्फ यादें। यहां मेरे वालिदैन साथ रहे, यहीं से बेटियों की शादी हुई। उपेंद्र नाथ अश्क ने नींव की पहली ईंट रखी थी।
अश्क जी सहित भैरव प्रसाद गुप्त, शेखर जोशी सरीखी हस्तियां यहां आती रहीं, जाने कितनी गोष्ठियां हुईं। मकान टूट गया, इसका उतना गम नहीं, जितना बेटियों और नवासे, नवासी की आंसुओं ने तोड़ दिया। रविवार को उधर गया ही नहीं, क्या करता, बर्बादी का मंजर देखने जाता। कई बरस पहले कुवैत में रह रही बड़ी बेटी नायला फातिमी के लिए ही पास में एक प्लॉट लेकर घर बनवाया था, वह भी ढहा दिया गया। आंखों में आंसू भरकर बेटी बोली, अब्बा यह क्या हो गया। सेंट मेरीज में पढ़ने वाली नवासी सारा फातिमी और नवासे सारिम फातमी ने रोकर कहा, अरे मेरी किताबें, आलमारी जा रही है।
prayagraj news : प्रो. अली अहमद फातमी का मकान, जिसे तोड़ने के लिए पीडीए ने नोटिस दी है।
– फोटो : prayagraj
लाइब्रेरी की किताबें बचाने में बीता दिन
शनिवार, छह मार्च की शाम को कोई उनके आहाते में एक नोटिस फेंक गया, जब तक उसे उठाकर पढ़ते, वह शख्स जा चुका था। नोटिस पढ़ा तो होश फाख्ता हो गए। तुरंत सामान हटाने की तैयारियां होने लगीं। गली में मकान होने के कारण रविवार को वहां बुलडोजर नहीं पहुंच सका लेकिन सोमवार को घर जमींदोज कर दिया गया। रविवार का पूरा दिन उनके शागिर्द उनकी लाइब्रेरी में रखी तकरीबन साढे पांच-छह हजार किताबों और रिश्तेदार सामान बचाने, सहेजने में जुटे रहे। रविवार रात ही प्रो.फातमी ने करेली स्थित रिश्तेदार के घर जाकर पनाह ली और सामान अपने एक घर में रखवा दिया जिसे उन्होंने रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों से वहीं खरीदा था।
लेखक संगठनों ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण
जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने कहा, सुनकर बहुत धक्का लगा। कानूनी पेच जो भी हो लेकिन बिना मोहलत दिए आनन-फानन में ऐसे घर गिराना तो अमानवीय है। पहले नोटिस देते, किसी अदीब के लिए किताबें ही पूंजी होती है।
जलेस की इलाहाबाद इकाई के सचिव डॉ.बसंत त्रिपाठी बोले, यह बहुत दुखद है। कम से कम जो पढ़ने लिखने वाले लोग हैं, उनके बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले थोड़ी संवेदनशीलता तो बरतनी ही चाहिए। प्रलेस संयोजक मंडल के सदस्य असरार गांधी, संध्या नवोदिता ने कहा, बरसों से रह रहे घर का इस तरह ढहना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
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