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Noida news: कोरोन काल में छोड़ा था पेरोल पर, करने लगे क्राइम! अब अपराधियों को तलाश रही पुलिस

नोएडाजेल में बद लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पेरोल पर छोड़ा गया था। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को मानवता के आधार देखा गया था, लेकिन जिन लोगों को जेल से छोड़ा गया था, वो अब फिर अपराध करने लगे हैं। यहां तक कि कई की तो पेरोल की अवधि पूरी हो गई है, लेकिन वह वापस जेल नहीं गए। अब उन्हें तलाशा जा रहा है। नोएडा और गाजियाबाद में पेरोल पर छोड़े गए सभी बंदियों को बुला लिया गया है, जबकि फरीदाबाद और गुड़गांव में यह प्रक्रिया चल रही है।85 बंदियों ने की लूट और चेन स्नैचिंगकोरोना को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल की कम सजा वाली धाराओं में बंदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद जेल से छूटे बंदी पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए। करीब 85 बंदियों ने क्राइम की घटना को अंजाम दिया। इसमें लूट, चोरी, मारपीट समेत कई तरह की घटनाएं हैं। कई बदमाशों को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया, यहां तक की जेल में वापस लाने के लिए भी पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। कई बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। जिला कारागार अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने बताया कि 656 बंदी और 13 कैदियों को पेरोल पर अप्रैल 2020 में छोड़ा गया था। इसमें सभी कैदी और बंदी वापस जेल पहुंच गए हैं, लेकिन 656 बंदियों में से 86 ऐसे थे, जिन्होंने पेरोल पर छूटने के बाद लूटपाट, चेन स्नैचिंग समेत कई वारदात कीं। इनमें से कई बदमाशों की पुलिस के साथ मुठभेड़ भी हुई।फिर जेल भेजे जाएंगे छोड़े गए 268 कैदीनीमका जेल से पेरोल पर चल रहे 268 कैदियों को अब फिर जेल जाना होगा। इसकी शुरुआत 23 फरवरी से हो चुकी है। इसको लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की हाई लेवल कमिटी ने जेल अधीक्षकों और जिला एवं सत्र न्यायाधीश को आदेश जारी किया हुआ है। कैदी 9 चरणों में सरेंडर कर रहे हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सीजेएम मंगलेश कुमार चौबे और पैनल एडवोकेट रवींद्र गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फरीदाबाद की जेल में बंद कैदियों को कोरोना से बचाने के लिए पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट की हाई लेवल कमिटी ने इस पर अमल करते हुए फरीदाबाद से 268 जेल में बंदियों को रिहा कर दिया था, ताकि उन्हें जेल के अंदर संक्रमण से बचाया जा सके। गुप्ता ने बताया कि चंडीगढ़ में हाई लेवल कमिटी की बैठक हुई। इसमें न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने कमिटी के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद सभी छोड़े गए कैदियों को सरेंडर कराने का निर्णय लिया। 23 फरवरी से 14 मई तक 9 चरणों में सभी कैदियों को फिर अपने संबंधित जेल में सरेंडर कर रहे हैं।14 मई तक 218 कैदियों को भेजा जाएगा जेलभोंडसी जेल में बंद कुल 269 कैदियों को पेरोल पर छोड़ा गया था। अब इनको वापस जेल बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 7 साल से अधिक सजा वाले 218 कैदियों को कुल 9 चरणों में वापस बुलाया जा रहा है। 23 फरवरी को पहले चरण में कुल 24 कैदियों को वापस जेल पहुंचना था, लेकिन उनमें से 1 कैदी अब तक जेल नहीं पहुंचा है। 14 मई तक कैदियों के वापस जेल पहुंचने की यह प्रक्रिया जारी रहेगी। वहीं, 7 साल से कम सजा वाले 51 कैदियों को अभी वापस नहीं बुलाया जा रहा है। इन्हें फिलहाल 31 मार्च तक राहत दी गई है। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो इन्हें जेल से बाहर रखने की अवधि 31 मार्च के बाद भी आगे बढ़ाए जाने के आसार हैं। 23 फरवरी को पेरोल से वापस न लौटने वाला बदमाश उम्रकैद की सजा काट रहा था, उसे पकड़ने के प्रयास करते हुए नोटिस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। उसके घर या गांव के सरपंच को यह नोटिस भेजा जा रहा है। फिर भी नहीं लौटा तो एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। जिसके बाद पुलिस या क्राइम ब्रांच की टीम उसे पकड़कर लाएगी। पेरोल पर छूटे किसी भी कैदी ने बाहर जाकर कोई अपराध नहीं किया है। ऐसी कोई सूचना जेल प्रबंधन के पास अभी तक नहीं पहुंची है।पेरोल पर गए 66 कैदियों में से 8 नहीं लौटेकोरोना काल में आम पब्लिक के साथ जेल में बंद कैदियों को भी शासन के आदेश पर छोड़ा गया था। इसी का फायदा उठाकर फरीदाबाद के छोड़े गए बदमाश ने हत्या की वारदात को अंजाम दिया। हालांकि, गाजियाबाद इस प्रकार की कोई घटना सामने नहीं आई है। जेल से मिली जानकारी जानकारी के अनुसार, कोरोना काल में 30 मार्च को आए आदेश के बाद डासना जेल के 5211 बंदियों में से 66 कैदियों को छोड़ा गया था। इसमें 13 नवंबर तक सभी को वापस आना था। इनमें 58 लौटकर आ चुके हैं। अन्य 8 के बारे में एसएसपी समेत संबंधित जिलों के पुलिस-प्रशासन को जानकारी दी गई है। जेल सुपरिंटेंडेंट आलोक सिंह ने बताया कि 13 नवंबर तक सभी को लौटकर आना था। 8 कैदी लौटकर नहीं आए हैं, जिसे लेकर संबंधितों को जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि जो कैदी नियमानुसार लौटकर नहीं आए हैं। उनकी करेक्टर रोल में इसकी एंट्री की जाएगी, जिसका प्रभाव भविष्य में उन पर पड़ेगा।जेल से छूटने के बाद किए अपराध1 मार्च 2021 : साल 2017 में सेक्टर-14 थाना एरिया के निजी हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती नाबालिग का यौन शोषण करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जेल पहुंचाया था, लेकिन कोविड के दौरान रवि और कुलदीप जमानत पर आकर नाबालिग व उसके परिवार पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। पुलिस ने 1 मार्च को अब दोनों व उनके अज्ञात परिचितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।23 दिसंबर 2020 : बदमाश मनोज मांगरिया फरीदाबाद की नीमका जेल में उम्रकैद का अपराधी था। उसे कोरोना काल में पेरोल मिल गई थी। इसके बाद उसने गुड़गांव में कूड़े के ठेके को लेकर एक गुट पर गोलीबारी की। वहीं, दिसंबर अंत में उसने एक प्रॉपर्टी डीलर व विधायकी का चुनाव लड़ चुके मनोज भाटी की फिल्मी अंदाज में हत्या कर दी, जिसके बाद से वह फरार चल रहा है। पुलिस ने उसपर 2 लाख का इनाम रखा हुआ है, लेकिन वह अभी फरार चल रहा है।27 जून 2020 : नोएडा सेक्टर-20 पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ में प्रमोद व आकाश नाम के बदमाशों को गोली लगी थी। दोनों कोरोना के दौरान जिला कारागार से पेरोल पर बाहर आए थे। उसके बाद लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने लगे। इनके पास से बंदूक, 24 जिंदा कारतूस, 2 देसी तमंचे, एक बाइक बरामद हुई है। इनके खिलाफ 23 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।6 जून 2020 : ग्रेटर नोएडा के तिलपता गोल चक्कर के पास सूरजपुर पुलिस की पेरोल पर छूटे राहुल निवासी रंगपुर बुलंदशहर व उसके 2 साथियों से मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान बदमाश गोली लगने से घायल हो गया, जबकि उसके 2 साथी मौके से फरार हो गए। पेरोल पर छूटने के बाद बदमाश लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने लगा। पुलिस ने आरोपित के पास से एक तमंचा व बाइक बरामद की। उसके खिलाफ 10 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।