हाइलाइट्स:प्रयागराज के बड़े हॉस्पिटल पर आरोप, बगैर टांका लगाए घरवालों को सौंप दी बच्ची सही इलाज न मिलने पर बच्ची की जान चली गई, जांच के लिए डीएम ने बनाई टीम अस्पताल का दावा है कि बच्ची के पेट में टांके लगाकर ही उसे घरवालों को दिया गया था बच्ची गरीब घर से थे, इसलिए हम उसके इलाज का पैसा नहीं लेते थे: अस्पताल प्रबंधनप्रयागराजप्रयागराज के एक बड़े हॉस्पिटल (Prayagraj Child Death News) के डॉक्टरों की संवेदनहीनता पर सोशल मीडिया पर ढेरों सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि तीन साल की बच्ची के घरवालों ने जब पांच लाख की रकम देने में असमर्थता जाहिर की तो बच्ची को ऑपरेशन टेबल से उसी हाल में वापस कर दिया गया। डॉक्टरों ने मासूम का पेट सिले बगैर ही उसे घरवालों को सौंप दिया, जिसके बाद बच्ची की मौत हो गई। इस पूरे मामले की जांच के लिए डीएम ने एक टीम बनाई है। इस बीच, अस्पताल प्रबंधन ने अपने ऊपर लगे आरोपों को पूरी तरह गलत बताया है। वहीं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी इस मामले पर सख्ती दिखाई है। आयोग ने डीएम को पत्र लिखकर 24 घंटे के भीतर पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।’दूसरे अस्पताल में कटा होगा टांका’दूसरी ओर, रावतपुर स्थित यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल के वाइस चेयरमैन सतपाल गुलाटी का कहना है कि हमारे डॉक्टरों ने बच्ची के पेट में टांके लगा दिए थे। इसके बाद जब उसका किसी और अस्पताल में इलाज किया रहा था, तो उन्होंने इसकी जांच की होगी और इस दौरान पेट के टांके खुल गए होंगे। यह भी हो सकता है कि वहां के डॉक्टरों ने जांच के लिए टांके काट दिए होंगे।पढ़ें: पैसे नहीं थे… अस्पताल ने बच्ची को मार डाला! फटे पेट किया बाहर… तड़प-तड़पकर मौत’बच्ची गरीब थी, नहीं लेते थे इलाज का पैसा’गुलाटी ने कहा- ‘बच्ची 15 दिनों के लिए यूनाइटेड अस्पताल में थी। जब उसकी तबीयत खराब हुई तो उसका ऑपरेशन किया गया, फिर पूरी जांच की गई। गरीब होने के कारण उनसे कोई पैसा नहीं लिया जाता था। जब वह इसके बाद भी ठीक नहीं हुई तो उसे मेडिकल कॉलेज रिफर कर दिया गया। बच्ची के परिवारवाले उसे अगले दिन अस्पताल से लेकर चले गए।’बच्ची के साथ बैठा पिता आयोग ने घरवालों को उचित मुआवजा देने का दिया निर्देशवहीं, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने डीएम को पूरे मामले की जांच कराने के साथ अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही बच्ची के परिवारवालों को उचित मुआवजा देने के लिए भी कहा गया है। आयोग ने 24 घंटे के भीतर डीएम से इस मामले में कार्रवाई से जुड़ी पूरी रिपोर्ट सौंपने का कहा है।खेत बेचा, रिश्तेदारों से पैसे लिए… लेकिन अस्पताल की संवेदनहीनता के आगे हार गया पितापांच लाख की डिमांड, नहीं पूरी कर पाए तो…गौरतलब है कि करेली के रहने वाले ब्रह्मदीन मिश्रा की तीन साल की बेटी को पेट में दिक्कत थी। घरवालों ने इलाज के लिए बच्ची को रावतपुर एक बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। कुछ दिन बाद बच्ची के पेट का ऑपरेशन किया गया। इसके बाद एक और ऑपरेशन हुआ। बच्ची के पिता के मुताबिक, इस ऑपरेशन का डेढ़ लाख रुपये ले लेने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने पांच लाख की डिमांड की। जब पैसे नहीं दे पाए तो हॉस्पिटल प्रशासन ने बच्ची सहित परिवार को बाहर भेज दिया और कहा कि अब इसका इलाज यहां नहीं हो पाएगा।बच्ची की हालत देख दूसरों अस्पतालों ने इनकार कर दियाजानकारी के मुताबिक, घरवाले मासूम को इस हालत में लेकर कई अस्पताल गए लेकिन बच्ची की गंभीर दशा देखकर सभी ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया। इस दौरान उचित उपचार न मिलने पर बच्ची की मौत हो गई। पिता का आरोप है कि यूनाइटेड अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची के ऑपरेशन के बाद उसके पेट में टांके नहीं लगाए को घरवालों को ऐसे ही सौंप दिया। बहरहाल, प्रयागराज के एडीएम सिटी और सीएमओ पूरे मामले की जांच कर रहे हैं। डीएम का कहना है कि आरोपियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी।
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