कहानी एक ऐसी थी जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। 28 नवंबर को Meerut जिले के भावनपुर थाना क्षेत्र से दो बारहवीं कक्षा की छात्राएं लापता हो गईं। उनके लापता होने के बाद परिवार और स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया था। यह मामला जब मीडिया में आया, तो हर कोई हैरान रह गया। लेकिन कुछ दिन बाद जब मेरठ पुलिस ने जांच की, तो पूरा सच सामने आ गया। दोनों छात्राओं ने खुद को कार सवार युवकों द्वारा अगवा किए जाने और एक खंडहर में बंधक बनाए जाने की झूठी कहानी बनाई थी। आइए, इस मामले की पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं।
छात्राओं का दिल्ली घूमने का सपना
धर्मेंद्र सिंह, जो कि थाना भावनपुर के प्रभारी हैं, ने बताया कि दोनों छात्राएं एक ही काॅलोनी में रहती थीं और पास के एक काॅलेज में पढ़ाई करती थीं। दोनों सहेलियां थीं और एक-दूसरे के साथ हर जगह जाया करती थीं। 28 नवंबर को, इन दोनों छात्राओं ने अपने घरवालों से कहा कि वे कोचिंग जा रही हैं। लेकिन, उनके मन में तो कुछ और ही था। वे दिल्ली घूमने का सपना संजोए हुए थीं और उसी के लिए घर से निकलीं।
#Meerut कोचिंग सेंटर से घर जाते समय 28 नवंबर को लापता हुईं मुज़फ्फरनगर व मेरठ की निवासी बारहवीं कक्षा की दो छात्राएं 29 नवंबर को अलीगढ़ में थाना लोधा क्षेत्र के गोविंदपुर फगोई गांव के पास एक खंडहर प्याऊ धर्मशाला के भवन में बेहोशी की हालात में पड़ी मिलीं। pic.twitter.com/iaZFrVMSg9
— News & Features Network (@newsnetmzn) November 30, 2024
दिल्ली का ख्याल उनके लिए रोमांचक था, लेकिन यात्रा का रास्ता कठिन साबित हुआ। रास्ते में वे गलत बस में चढ़ गईं, जिससे उनकी पूरी योजना बिगड़ गई। फिर क्या था, यह सफर उन्हें अलीगढ़ ले आया, जहां वे बेहोश हालात में एक खंडहर में पाई गईं।
अलीगढ़ में बेहोशी की हालत में मिलना
जब Meerut पुलिस ने इस मामले की जांच की, तो 29 नवंबर को अलीगढ़ पुलिस के सहयोग से टीम वहां पहुंची। उन्होंने गांव के गोविंदपुर फगोई के पास एक खंडहर धर्मशाला में दोनों छात्राओं को बेहोशी की हालत में पाया। यह देख कर पुलिस भी हैरान रह गई। छात्राओं को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत को स्थिर बताया गया।
पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और छात्राओं से पूछताछ की। जब पुलिस ने दोनों से सवाल किए, तो उनके बयान से मामला और भी दिलचस्प हो गया। छात्राओं ने बताया कि कैसे उन्होंने खुद को कार सवार युवकों द्वारा अगवा किए जाने और खंडहर में बंधक बनाए जाने की झूठी कहानी बनाई थी।
झूठी कहानी का खुलासा
छात्राओं ने पुलिस से कहा कि वे डर के कारण यह कहानी गढ़ने लगी थीं। असल में, वे दिल्ली घूमने के बाद घर लौटने की बजाय अलीगढ़ में भटक गईं थीं। रात भर वे सड़क पर इधर-उधर घूमती रहीं और ठहरने के लिए कोई जगह नहीं मिल पाई। इस दौरान एक छात्रा ने फोन से अपनी कोचिंग की शिक्षिका की आवाज में अपने परिजनों को फोन किया और कहा कि दो घंटे अतिरिक्त क्लास चल रही है, जिससे वह देर से घर लौटेगी। इस झूठ से उनका परिवार समझ नहीं पाया कि दोनों कहां गईं।
पुलिस का दृष्टिकोण और सावधानी
इस मामले में मेरठ पुलिस ने अत्यंत सतर्कता बरती। धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि इस मामले ने न केवल उनकी टीम के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए यह सवाल खड़ा कर दिया कि कैसे किशोर मनोवृत्ति की गलतफहमी और डर के कारण ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं। उन्होंने कहा, “हमने मामले की जांच में पाया कि छात्राओं ने बिना सोचे-समझे एक झूठी कहानी गढ़ दी थी। इस तरह की घटनाएं किशोरों के मानसिक दबाव और बेवजह की चिंता का परिणाम हो सकती हैं।”
समाज में जागरूकता की जरूरत
यह घटना समाज में एक अहम संदेश देती है कि किशोरों और युवाओं के साथ संवाद करना, उन्हें सही मार्गदर्शन देना और उनके मनोविज्ञान को समझना कितना महत्वपूर्ण है। बच्चे आमतौर पर अपनी भावनाओं को शब्दों में नहीं बदल पाते, जिससे कई बार वे गलत फैसले ले लेते हैं। यह स्थिति उनके परिवार और समाज के लिए एक चुनौती हो सकती है।
कानूनी पहलू और पुलिस का दृष्टिकोण
पुलिस ने इस पूरे मामले में कानून के अनुसार कार्यवाही की और यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों की तुरंत जांच करें और सही तथ्य सामने लाएं।
परिवार की प्रतिक्रिया
जब परिवार को पता चला कि उनकी बेटियां सुरक्षित हैं, तो उनकी राहत की कोई सीमा नहीं रही। इस घटना के बाद परिवार ने माना कि किशोरों के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है और उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में वे अपनी बेटियों के साथ अधिक समय बिताएंगे और उनके विचारों को समझने की कोशिश करेंगे।