उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ के संत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) ने हाल ही में लखनऊ में आयोजित एक प्रेस वार्ता में भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हिंदू समाज के वोट लेकर उन्हें धोखा दिया है। स्वामी जी के इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि उनके समर्थकों के बीच भी एक नई ऊर्जा का संचार किया है। आइए, इस विस्तृत लेख में जानें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की यात्रा, उनके विचार और उनके आंदोलन के पीछे का उद्देश्य।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती: एक परिचय
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जिनका जन्म उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ में हुआ था, भारतीय समाज में एक प्रमुख संत और विचारक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी है, विशेषकर हिंदू संस्कृति और धर्म के संरक्षण के लिए। उनके विचारों को अक्सर विवादास्पद माना जाता है, लेकिन वे हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हैं।
प्रेस वार्ता में किए गए आरोप
लखनऊ में इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित प्रेस वार्ता में स्वामी जी ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “तीन बार लगातार सरकार में रहने के बावजूद गौ हत्या को रोकने और गौ-प्रतिष्ठा के लिए भाजपा ने कुछ भी नहीं किया।” स्वामी जी के अनुसार, यह देश के बहुसंख्यक हिंदू समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि तिरुपति मंदिर में प्रसादम के नाम पर गाय की चर्बी परोसी गई, जो एक घोर पाप है। उनके अनुसार, ऐसे मामलों पर देश में क्रांति हो जानी चाहिए।
गौहत्या के मुद्दे पर स्वामी जी का आंदोलन
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौहत्या के मुद्दे को लेकर एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि इस पुनीत काम की शुरुआत उन्होंने राम की नगरी अयोध्या से की और अब लक्ष्मण की नगरी लखनऊ में हैं। उनका लक्ष्य है कि वे देश के सभी राज्यों में जाएंगे और गौहत्या के खिलाफ आवाज उठाएंगे। स्वामी जी ने सभी हिंदुओं से आह्वान किया है कि वे इस आंदोलन में उनके साथ आएं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) के आरोपों ने भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के बीच नई चर्चाओं को जन्म दिया है। भाजपा के नेता इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं कि उनकी सरकार ने गौ माता की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन स्वामी जी का मानना है कि इन कदमों के परिणाम नकारात्मक हैं। वे सवाल उठाते हैं कि जब उत्तर प्रदेश में एक मठ के संत मुख्यमंत्री हैं, तो फिर राज्य में गोमांस के लिए कत्लखाने की संख्या इतनी अधिक क्यों है।
संतों की भूमिका और विवाद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) का यह बयान केवल एक धार्मिक विचारधारा से संबंधित नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में संतों की भूमिका को भी उजागर करता है। भारत में संतों का एक विशेष स्थान है, और उनकी आवाज अक्सर समाज के विभिन्न मुद्दों पर गूंजती है। स्वामी जी के विवादास्पद बयान इस बात का संकेत हैं कि संतों का राजनीतिक और सामाजिक जीवन पर कितना गहरा प्रभाव है।
समाज में संवेदनशीलता
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का आंदोलन केवल गौहत्या के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह हिंदू संस्कृति और धार्मिक मूल्यों के संरक्षण का भी एक प्रयास है। उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट होने का आह्वान किया है, ताकि वे अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा कर सकें। उनके अनुसार, जब तक गौहत्या जारी है, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का यह आंदोलन और उनकी आवाज़ भारतीय समाज में एक नई हलचल पैदा कर रही है। वे हिंदू संस्कृति के प्रति अपनी निष्ठा को दर्शाते हुए इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका यह आंदोलन कितना सफल होता है और क्या यह हिंदू समाज को एकजुट करने में सफल होगा।
इस तरह के मुद्दों पर स्वामी जी के विचार और उनका आंदोलन निश्चित रूप से देश की राजनीति और समाज पर गहरा असर डालेंगे। उन्होंने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि जब बात धर्म और संस्कृति की होती है, तो लोग एकजुट हो सकते हैं और परिवर्तन की दिशा में बढ़ सकते हैं।