Hathras जिले के तमना गढ़ी इलाके में बीती रात एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। पूर्व प्रधान लोकेश शर्मा की उनके घर में निर्मम हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल हाथरस के लिए बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़े सवाल खड़ा करती है: राज्य की कानून-व्यवस्था आखिर कहां है?
हत्या का विवरण
लोकेश शर्मा, जो 2010 में तमना गढ़ी के प्रधान चुने गए थे और अखिल भारतीय ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी रह चुके थे, को उनके ही घर में बर्बरतापूर्वक मारा गया। घटना के समय घर में उनकी पत्नी इंद्रा शर्मा और बेटी भासु (16) भी मौजूद थीं। रात को लगभग 12 बजे, ठंड लगने पर लोकेश शर्मा ऊपर के कमरे से नीचे बने कमरे में सोने आ गए। सुबह जब उनकी बेटी ने उन्हें देखा, तो वह खून से लथपथ बिस्तर पर पड़े हुए थे। मकान का दरवाजा खुला हुआ था, जिससे स्पष्ट होता है कि हमलावर बिना किसी रुकावट के घर में घुसा और हत्या को अंजाम दिया।
हाथरस: अपराध का गढ़
हाथरस जिले में पिछले कुछ समय से अपराध की घटनाओं में वृद्धि हुई है। हाल ही में हुए इस हत्या कांड ने स्थानीय लोगों को और भी चिंतित कर दिया है। यह पहली बार नहीं है कि हाथरस में इस प्रकार की घटना हुई है। इससे पहले भी यहां कई गंभीर अपराधों की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें महिलाओं पर अत्याचार, हत्या, और लूटपाट जैसी घटनाएं शामिल हैं। जिले में बढ़ते अपराध दर ने लोगों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है।
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। राज्य में अपराध दर बढ़ती जा रही है, और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। चाहे वह हाथरस का मामला हो या राज्य के अन्य हिस्सों का, राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफलता का आरोप लगता रहा है।
हाथरस में पूर्व के अपराध और सरकारी विफलता
हाथरस की घटनाएं हमेशा से मीडिया की सुर्खियों में रही हैं। 2020 में हुए हाथरस कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, जब एक दलित लड़की के साथ अत्याचार और उसकी मौत का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद से ही राज्य सरकार और प्रशासन पर सवाल उठने लगे थे।
यह घटना भी उसी लापरवाही का परिणाम मानी जा रही है। लोकेश शर्मा की हत्या से यह स्पष्ट होता है कि अपराधियों के मन में कानून का डर समाप्त हो चुका है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर कड़ी आलोचना हो रही है कि वे अपराधियों पर लगाम लगाने में विफल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन यहां का अपराध दर भी उसी अनुपात में बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में हत्या, बलात्कार, और अन्य गंभीर अपराधों की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं। राज्य सरकार का दावा है कि वे अपराधियों के खिलाफ कड़े कदम उठा रहे हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।
हाथरस की घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है। विपक्ष का कहना है कि राज्य में जंगल राज कायम है और अपराधियों को सरकारी संरक्षण मिल रहा है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
हाथरस जैसे जिलों में अपराध की बढ़ती घटनाओं का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी हो रहा है। लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और निवेशकों का भरोसा टूट रहा है। यहां के लोग अब अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, यहां के व्यापार और उद्योग पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
निवारण के लिए आवश्यक कदम
ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के साथ ही पुलिस प्रशासन को जवाबदेह बनाना होगा। इसके अलावा, समाज में जागरूकता फैलाने और सुरक्षा के उपायों को मजबूत करने की भी आवश्यकता है।
हाथरस में हुई लोकेश शर्मा की हत्या ने राज्य की कानून व्यवस्था पर गहरा प्रश्न चिह्न लगा दिया है। ऐसी घटनाएं राज्य की सरकार और प्रशासन की विफलता का प्रतीक हैं। यह जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए ताकि अपराधियों के मन में कानून का डर फिर से पैदा हो सके और लोगों का राज्य सरकार पर विश्वास बहाल हो सके।
उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध और कमजोर कानून व्यवस्था पर ध्यान देना अब समय की मांग है, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।